मंगल योगकारी होकर दशम भाव में स्वराशि, मित्रराशि, उच्चराशि या शुभ होने पर कुल प्रदीप योग का निर्माण करता है जिससे जातक जातिकाएँ नीचकुल में जन्म होने पर भी कुछ कर गुजरने या झूझने के प्रयास से सिंह की भांति कर्मोद्द्म से जीवन में क्रूरभाग्य को सौभाग्य में परिवर्तित कर पाने वाला तथा अपने सोचे गए कार्य को पूर्ण करके ही दम लेने वाला होता है। दशम में स्थित मंगल साहसिकता पूर्ण कार्य या अग्नि से सम्पर्कित कार्य में सफल बनाता है। ऐसे जातक सेना, पुलिस या देश रक्षा से जुड़े विभाग में सफल होता है लेकिन हर कुंडली में दशमस्थ मंगल देश रक्षा विभाग या पुलिस विभाग में ही नौकरी देगा ऐसा बिल्कुल नही है। दशम भावस्थ मंगल के नक्षत्र तथा क्षेत्रानुसार जातक के जीविका का निर्धारण होता है। दशम भावस्थ मंगल के जातकों में कईयों को वाद्ययंत्र बजाते या किसी मंदिर में ढोलक बजाते देखा भी देखा जा सकता है। ऐसे जातकों में कई जातक अग्नि से सम्पर्कित कुक या रसोईया बनकर जीवन जीते देखा गया है। वर्गबल में बली मंगल शुभ होकर बृहस्पति के प्रभाव में हों और शुभ ग्रह दृष्ट होने पर सेना प्रधान, सरकारी इंटेलिजेंस बयूरो, सीबीआई, तथा सरकारी राष्ट्रदूत या उच्चाधिकारी रूप में सफलता भी मिलती है। मंगल शनि और राहु के प्रभाव में आने पर कमजोर होता है जिससे शुभ फलों में कमी आती है और मनमौजी बन जाते है। मंगल मेष, कन्या, मकर, वृष और वृश्चिक राशि में प्रतापी तथा धैर्यपूर्वक काम करने वाला होता है। दशमस्थ मंगल पाप ग्रह के प्रभाव में आने पर मनमौजी बनकर दुर्व्यसनों का शिकार बनता है और पूर्व में प्राप्त सुखों व अधिकारों से वंचित होता चला जाता है। दशमस्थ मंगल का लग्न, चतुर्थ, पंचम पर दृष्टि के कारण क्रोध करते रहना, घर पर विवाद तथा युवाकाल में प्रेम में विरह या विछोह होना एवं प्रथम संतान की अकालमृत्यु या गर्भनाश (एबॉर्शन) आदि का खतरा हमेशा बना रहता है। दशमस्थ मंगल वाले जातकों को हमेशा अपने क्रोध को नियंत्रित करते रहना शुभ फलदायी होता है वरना रिश्तों में खटास होना संभव है।
शगल विभिन्न भाव में -
मंगल के विशेष उपाय-
मूंगा धारण करें या ताम्बा धारण करें ( कन्या और मिथुन लग्न को छोड़कर )। नीम का वृक्ष लगाएं अगर घर में लागतें हैं तो घर के वायुकोण ( north west ) दिशा में ही लगाएं किसी दूसरे दिशा में नहीं। भाई भाभी की सेवा करें कहना मानें , गायत्री का पाठ करें। बताशे धर्म स्थान में दे दें या रेवड़ियां( गुड़-तिल) जल प्रवाह करें। मीठा भोजन करें, मसूर की दाल रात को सिरहाने रखकर भंगी को दे दें। हनुमान चालीसा का पाठ करें और हनुमान जी को सिंदूर और लाल रंग का चोला चढ़ाएं। चांदी का बेजोड़ कड़ा तांबे की कील लगाकर पहने। लाल रंग की चीजों का दान करे, निःसंतान, काले गंजे व्येक्तियों से दूर रहें । खाने के बाद मेहमानों को मीठा खिलाना (सौंफ और मिश्री)। बेकार जंग लगे चाकू , हथियार घर में ना रखें । अशुभ मंगल के लिए संभव हो तो नृसिंह देव, माता बगलामुखी , हनुमान जी, कार्तिकेय और मंगल देव की पूजा अर्चना करते रहना चाहिए जिससे मंगल ग्रह के कुपित फल से बचें रहें ।
मंगल अशुभ कब होता है ?
घर में गड्ढे ज्यादा होना या पानी का गड्ढों में ज्यादा रहना। स्वाभाव क्रोधी होना। कुटुम्ब, भाई, बहन से झगड़ा विवाद आदि करना, रक्त या नाभि सम्बन्धी बीमारी होने पर। बड़े भाई और भाभी का अनादर करने पर, वैवाहिक जीवन में लड़ाई झगड़े होने पर, किसी निसंतान व्यक्ति से लिए गए जमीन पर रहने पर या निसंतान व्यक्ति से सम्बन्ध रखने पर। ऐय्याशी या जुआ आदि खेलने पर। घर पर कोई अग्निकांड होने पर, संतान पर कोई संकट आने पर या संतानों से कलह में लिप्त होने पर। घर के दक्षिण दिशा में दरवाजे या खिड़किया होने पर। कोर्ट केस या मुक़दमे में धन की हानि होने पर। बेमानी करने पर, किसी का खून करने पर, गुंडों जैसा आचरण करने पर। रक्तपात करने पर। खून की बीमारी अदि होने पर। प्रतिहिंसा परायण होने पर, निर्मम होने पर, तुरंत प्रतिक्रियावादी या तार्किक होने पर।
वेदों में मंगल का दान -
लाल मूंगा, गोधूम, मसूर की दाल, लाल या अरुणवर्ण वृष, ( आभाव में सवा एक रूपए ), गन्ने का गुड़, स्वर्ण, रक्तवस्त्र, लालकनेर का पुष्प, ताम्बा, सवस्त्र भोज्य सहित मंत्रो उच्चारण कर दान करें। मंगल मंत्र - ॐ हूं श्रीं मंगलाय। जपसंख्या - ८०००, देवी बगलामुखी, अधिदेवता स्कन्द, प्रत्यधिदेवता क्षिति, भरद्वाज गोत्र, क्षत्रिय, आवंत, चतुर्भुज,चतुरंगुल, दक्षिण दिशा, त्रिकोण आकृति, मेष वाहन, नृसिंह अवतार, पुष्पादि रक्तवर्ण, रक्तचंदन की मूर्ति, कुमकुम, धुप देवदारु, बलि खिचड़ी, समिध खदिर काष्ठ, दक्षिणा सवा रुपये सहित दान करें।
मंगल के विषय में -
मंगल वृश्चिक और मेष राशि के स्वामी है। इन्हें ज्योतिष में क्रूर ग्रह माना जाता हैं। इनका वार मंगलवार है। इसके नक्षत्र मृगशिरा,चित्रा और धनिष्ठा हैं। बृहस्पति, चंद्र और सूर्य इनके मित्र ग्रह हैं।