मंगल एकादश भाव में (mars in eleventh house)

Kaushik sharma
मंगल एकादश भाव में

मंगल एकादश भाव में स्थित होने से भूमि से उपजे या भूमि से संबंधित वस्तु से या भूस्वामी बनने से लाभ प्राप्त करता है। कोई कोई जातक सरकारी सैन्य विभाग, पुलिस या बिजली से सम्पर्कित कर्म द्वारा धन उपार्जन करते देखा गया है। ऐसे जातक के स्त्री की प्रथम गर्भ संतान का नाश होता है। मंगल शुभ स्थानगत होकर वर्गबल मे बलवान होने पर दुर्भाग्य के समय भी अपने प्रबल पराक्रम द्वारा धन कमाने वाला होता है। ऐसे जातक जातिकाएँ जो कुछ भी सोचते है वह गलत होने पर भी उसे ही ठीक समझकर चलने वाले होते है तथा आगे चलकर इसके दुष्परिणाम से दुख नसीब होता है। मंगल शुभ घर के स्वामी होकर मकर, धनु, कन्या, वृष या मेष राशि में हो जीवन में स्थावर सम्पत्ति, भूमि, भवन का लाभ होता है। ऐसा जातक साहसी और शत्रुओं को पराजित करने की क्षमता रखनेवाला होता है। ऐसे जातक को भविष्य मे अपने संतान, पुत्रवधु या जमाई से दुख लाभ होते देखा गया है। शुभ होने पर अरिष्टनाशक और अशुभ होने पर अल्पायु, परिवारों में मतभेद या लड़ाई झगड़े रहते है तथा भूमि या संपत्ति का नाश कर देते है। विशेष शुभ होने पर ये अपने पराक्रम से उत्तम बिज़नेसमैन या अंतरास्ट्रीय स्तर के व्यापारी भी बन जाते हैं और ऐश्वर्य से परिपूर्ण जीवन जीते हैं तथा ईश्वर के प्रति आस्था बनी रहती है।


मंगल विभिन्न भाव में -


मंगल के विशेष उपाय-

मूंगा धारण करें या ताम्बा धारण करें ( कन्या और मिथुन लग्न को छोड़कर )। नीम का वृक्ष लगाएं अगर घर में लागतें हैं तो घर के वायुकोण ( north west ) दिशा में ही लगाएं किसी दूसरे दिशा में नहीं। भाई भाभी की सेवा करें कहना मानें , गायत्री का पाठ करें। बताशे धर्म स्थान में दे दें या रेवड़ियां( गुड़-तिल ) जल प्रवाह करें। मीठा भोजन करें, मसूर की दाल रात को सिरहाने रखकर भंगी को दे दें। हनुमान चालीसा का पाठ करें और हनुमान जी को सिंदूर और लाल रंग का चोला चढ़ाएं। चांदी का बेजोड़ कड़ा तांबे की कील लगाकर पहने। लाल रंग की चीजों का दान करे, निःसंतान, काले गंजे व्येक्तियों से दूर रहें । खाने के बाद मेहमानों को मीठा खिलाना ( सौंफ और मिश्री )। बेकार जंग लगे चाकू , हथियार घर में ना रखें। अशुभ मंगल के लिए संभव हो तो नृसिंह देव, माता बगलामुखी, हनुमान जी, कार्तिकेय और मंगल देव की पूजा अर्चना करते रहना चाहिए जिससे मंगल ग्रह के कुपित फल से बचें रहें।


मंगल अशुभ कब होता है ?

घर में गड्ढे ज्यादा होना या पानी का गड्ढों में ज्यादा रहना। स्वाभाव क्रोधी होना। कुटुम्ब, भाई, बहन से झगड़ा विवाद आदि करना, रक्त या नाभि सम्बन्धी बीमारी होने पर। बड़े भाई और भाभी का अनादर करने पर, वैवाहिक जीवन में लड़ाई झगड़े होने पर, किसी निसंतान व्यक्ति से लिए गए जमीन पर रहने पर या निसंतान व्यक्ति से सम्बन्ध रखने पर। ऐय्याशी या जुआ आदि खेलने पर। घर पर कोई अग्निकांड होने पर, संतान पर कोई संकट आने पर या संतानों से कलह में लिप्त होने पर। घर के दक्षिण दिशा में दरवाजे या खिड़किया होने पर। कोर्ट केस या मुक़दमे में धन की हानि होने पर। बेमानी करने पर, किसी का खून करने पर, गुंडों जैसा आचरण करने पर। रक्तपात करने पर। खून की बीमारी अदि होने पर। प्रतिहिंसा परायण होने पर, निर्मम होने पर, तुरंत प्रतिक्रियावादी या तार्किक होने पर।


वेदों में मंगल का दान -

लाल मूंगा, गोधूम, मसूर की दाल, लाल या अरुणवर्ण वृष, (आभाव में सवा एक रूपए), गन्ने का गुड़, स्वर्ण, रक्तवस्त्र, लालकनेर का पुष्प, ताम्बा, सवस्त्र भोज्य सहित मंत्रो उच्चारण कर दान करें। मंगल मंत्र - ॐ हूं श्रीं मंगलाय। जपसंख्या - ८०००, देवी बगलामुखी, अधिदेवता स्कन्द, प्रत्यधिदेवता क्षिति, भरद्वाज गोत्र, क्षत्रिय, आवंत, चतुर्भुज,चतुरंगुल, दक्षिण दिशा, त्रिकोण आकृति, मेष वाहन, नृसिंह अवतार, पुष्पादि रक्तवर्ण, रक्तचंदन की मूर्ति, कुमकुम, धुप देवदारु, बलि खिचड़ी, समिध खदिर काष्ठ, दक्षिणा सवा रुपये सहित दान करें।


मंगल के विषय में -

मंगल वृश्चिक और मेष राशि के स्वामी है। इन्हें ज्योतिष में क्रूर ग्रह माना जाता हैं। इनका वार मंगलवार है। इसके नक्षत्र मृगशिरा,चित्रा और धनिष्ठा हैं। बृहस्पति, चंद्र और सूर्य इनके मित्र ग्रह हैं।






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