मंगल तृतीय भाव में ( mars in third house )

Kaushik sharma
मंगल तृतीय भाव में


तृतीय भाव में शुभ मंगल हो तो जातक को उदार, पराक्रमी एवं साहसी बनाता है। नीचस्थ, शत्रुगृहगत या राहु, शनि इत्यादि द्वारा युत या दृष्ट होने पर अनुज द्वारा अशांति एवं धन की हानि होती है। ऐसा जातक मच्छर आदि से परिपूर्ण घर मे वास करता है। अशुभ मंगल से डरपोक तथा उद्यमहीन होता है। अग्रज या अनुज की हानि की संभावना विद्यमान रहती है। शुभ मंगल से गुणवान्, बलशाली, धनी, रत्न-पशु-वाहन आदि का स्वामी, रोग-मुक्त, प्रदीप्त जठराग्नि वाला, उदार तथा सुखी होता है। ऐसा व्यक्ति युद्ध-कुशल या शत्रु को पराजित करने वाला वाला होता है। शुभ स्थानगत या गुरु दृष्ट मंगल से अनुजों की संख्या में वृद्धि होती है तथा इस वजह से पराक्रम की वृद्धि होती है। मङ्गल मित्र गृही हो तो जातक धर्यवान होता है। उच्चस्थ, स्वगृही अथवा शुभग्रह से दृष्ट या युत हो तो गम्भीर एवं प्रतापी होता है तथा कोई भाई दीर्घायु होता है। राहु युक्त हो तो वेश्यागामी, गुरु अथवा चन्द्र की हष्टि युक्त हो तो दो-तीन भाई -बहिनों वाला होता है। इसके विपरीत यदि मङ्गल नीचस्थ अथवा शत्रुग्रही हो तो जातक धन-जन से हीन होता है। मङ्गल विशेष अशुभ या पापग्रह युक्त अथवा पापदृष्ट होने पर अग्रज पृष्ठज भई-बहिनों को दुर्घटना, रोग या मृत्यु आदि के अवसर उपस्थित होते है। पीड़ित मङ्गल से जातक धन सुख रहित, मानसिक त्रास पाने वाला अथवा पालगपन से ग्रस्त होता है। मंगल के शुभ अवस्था से शुभ फलों में वृद्धि एवं पाप युक्त या बलहीन होने पर अशुभ फलों में वृद्धि होती है।



मंगल के विशेष उपाय-

मूंगा धारण करें या ताम्बा धारण करें ( कन्या और मिथुन लग्न को छोड़कर )। नीम का वृक्ष लगाएं अगर घर में लागतें हैं तो घर के वायुकोण ( north west ) दिशा में ही लगाएं किसी दूसरे दिशा में नहीं। भाई भाभी की सेवा करें कहना मानें , गायत्री का पाठ करें। बताशे धर्म स्थान में दे दें या रेवड़ियां( गुड़-तिल ) जल प्रवाह करें। मीठा भोजन करें, मसूर की दाल रात को सिरहाने रखकर भंगी को दे दें। हनुमान चालीसा का पाठ करें और हनुमान जी को सिंदूर और लाल रंग का चोला चढ़ाएं। चांदी का बेजोड़ कड़ा तांबे की कील लगाकर पहने। लाल रंग की चीजों का दान करे, निःसंतान , काले गंजे व्येक्तियों से दूर रहें । खाने के बाद मेहमानों को मीठा खिलाना ( सौंफ और मिश्री )। बेकार जंग लगे चाकू , हथियार घर में ना रखें। अशुभ मंगल के लिए संभव हो तो नृसिंह देव, माता बगलामुखी , हनुमान जी, कार्तिकेय और मंगल देव की पूजा अर्चना करते रहना चाहिए जिससे मंगल ग्रह के कुपित फल से बचें रहें।


मंगल अशुभ कब होता है ?

घर में गड्ढे ज्यादा होना या पानी का गड्ढों में ज्यादा रहना। स्वाभाव क्रोधी होना। कुटुम्ब, भाई, बहन से झगड़ा विवाद आदि करना, रक्त या नाभि सम्बन्धी बीमारी होने पर। बड़े भाई और भाभी का अनादर करने पर, वैवाहिक जीवन में लड़ाई झगड़े होने पर, किसी निसंतान व्यक्ति से लिए गए जमीन पर रहने पर या निसंतान व्यक्ति से सम्बन्ध रखने पर। ऐय्याशी या जुआ आदि खेलने पर। घर पर कोई अग्निकांड होने पर, संतान पर कोई संकट आने पर या संतानों से कलह में लिप्त होने पर। घर के दक्षिण दिशा में दरवाजे या खिड़किया होने पर। कोर्ट केस या मुक़दमे में धन की हानि होने पर। बेमानी करने पर, किसी का खून करने पर, गुंडों जैसा आचरण करने पर। रक्तपात करने पर। खून की बीमारी अदि होने पर। प्रतिहिंसा परायण होने पर, निर्मम होने पर, तुरंत प्रतिक्रियावादी या तार्किक होने पर।


वेदों में मंगल का दान -

लाल मूंगा, गोधूम, मसूर की दाल, लाल या अरुणवर्ण वृष, (आभाव में सवा एक रूपए), गन्ने का गुड़, स्वर्ण, रक्तवस्त्र, लालकनेर का पुष्प, ताम्बा, सवस्त्र भोज्य सहित मंत्रो उच्चारण कर दान करें। मंगल मंत्र - ॐ हूं श्रीं मंगलाय। जपसंख्या - ८०००, देवी बगलामुखी, अधिदेवता स्कन्द, प्रत्यधिदेवता क्षिति, भरद्वाज गोत्र, क्षत्रिय, आवंत, चतुर्भुज,चतुरंगुल, दक्षिण दिशा, त्रिकोण आकृति, मेष वाहन, नृसिंह अवतार, पुष्पादि रक्तवर्ण, रक्तचंदन की मूर्ति, कुमकुम, धुप देवदारु, बलि खिचड़ी, समिध खदिर काष्ठ, दक्षिणा सवा रुपये सहित दान करें।


मंगल के विषय में -

मंगल वृश्चिक और मेष राशि के स्वामी है। इन्हें ज्योतिष में क्रूर ग्रह माना जाता हैं। इनका वार मंगलवार है। इसके नक्षत्र मृगशिरा,चित्रा और धनिष्ठा हैं। बृहस्पति, चंद्र और सूर्य इनके मित्र ग्रह हैं।










#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top