मंगल नवम भाव में (mars in ninth house)

Kaushik sharma
मंगल नवम भाव में

मंगल नवम भाव में अशुभ हो तो जातक क्रोधी स्वभाव एवं भाग्यहीन होता है। उसे सम्पद, धन और भाग्य की प्राप्ति में बाधा रहती है। क्रोधी और कोप से परिपूर्ण स्वभाव के कारण उसके द्वारा अनुष्ठित शुभ कार्यों से भी यश लाभ नही होता। ऐसा व्येक्ति अपने वंश या अपने खानदानी धौंस या मर्यादा से गर्वित, क्रूरकर्मी और तेजश्वी होता है। जातक धर्म कर्म हीन, कर्मफल प्राप्ति की इच्छा से किये गए कर्मो में इच्छित फल प्राप्त न करने वाला, क्रोध और कोप से परिपूर्ण स्वभाव के कारण उसके द्वारा अनुष्ठित शुभ कार्यों से भी यश लाभ नही होता। जातक अपने क्रूर भाग्य से सदैव असंतुष्ट होकर अपने दुर्भाग्य को ही कोसता है तथा जीवन के हर दिशा से उसे दुर्भाग्य ही नसीब होता है। उसके इसी उग्र व्यवहार के कारण घर परिवार के लोग उसके नजदीक जाकर सलाह मशवरा करने से डरते हैं जिससे अपनों से मिलने वाले अवसरों का नाश होता है। ऐसा जातक भाई-बहन या साले से सुख न पाने वाला, हठकारी, हिंसा तथा प्रतिशोध की भावना युक्त तथा भाग्य से असंतुष्ट या विरोध बना रहता है। नवमस्थ मंगल केवल गुरु के क्षेत्र, गुरु से युक्त या दृष्ट होने पर ही भाग्य में कुछ अनुकूल परिवर्तन आते है। बर्फ रहित पहाड़ी अंचलों में भ्रमण तथा उच्चपद लाभ के अवसर का संयोग भी बनता है । बुध से युक्त हो तो धर्म -कर्म रहित होता है। मिथुन, तुला, कुंभ का हो तो नियम विरुद्ध चलने वाला, वृष, कन्या, वृश्चिक, मकर या मीन राशि का हो तो उत्तम फलों की प्राप्ति होती है तथा ऐसे जातकों का भाग्य २८ वर्ष के बाद शुभता की ओर अग्रसर होता है। नवमस्थ मंगल वाले जातकों को सर्वदा क्रोध रहित होकर कार्य करना चाहिए तथा सबसे प्रीतिपूर्वक व्यवहार करने पर ही भाग्य के सुअवसरों में में वृद्धि होती है। अशुभता से धर्म-कर्म करके भी फल प्राप्ति न होने पर ईश्वर को कोसने लगते है तथा दोनों हाथों से अपने सर के बाल नोचने की नौबत आती है। उनके दुर्भाग्य का कारण पूर्वजन्म से पुण्यहीन तथा धर्म-कर्महीन होने से होता है तथा उसे इस जन्म में ही पुण्य का निर्माण करना पड़ता है।


मंगल विभिन्न भाव में -



मंगल के विशेष उपाय-

मूंगा धारण करें या ताम्बा धारण करें (कन्या और मिथुन लग्न को छोड़कर)। नीम का वृक्ष लगाएं अगर घर में लागतें हैं तो घर के वायुकोण ( north west ) दिशा में ही लगाएं किसी दूसरे दिशा में नहीं। भाई भाभी की सेवा करें और कहना मानें, गायत्री का पाठ करें। बताशे धर्म स्थान में दे दें या रेवड़ियां ( गुड़-तिल ) जल प्रवाह करें। मीठा भोजन करें, मसूर की दाल रात को सिरहाने रखकर भंगी को दे दें। हनुमान चालीसा का पाठ करें और हनुमान जी को सिंदूर और लाल रंग का चोला चढ़ाएं। चांदी का बेजोड़ कड़ा तांबे की कील लगाकर पहने। लाल रंग की चीजों का दान करे, निःसंतान, काले गंजे व्येक्तियों से दूर रहें। खाने के बाद मेहमानों को मीठा खिलाना (सौंफ और मिश्री)। बेकार जंग लगे चाकू, हथियार घर में ना रखें। अशुभ मंगल के लिए संभव हो तो नृसिंह देव, माता बगलामुखी, हनुमान जी, कार्तिकेय और मंगल देव की पूजा अर्चना करते रहना चाहिए जिससे मंगल ग्रह के कुपित फल से बचें रहें ।


मंगल अशुभ कब होता है ?

घर में गड्ढे ज्यादा होना या पानी का गड्ढों में ज्यादा रहना। स्वाभाव क्रोधी होना। कुटुम्ब, भाई, बहन से झगड़ा विवाद आदि करना, रक्त या नाभि सम्बन्धी बीमारी होने पर। बड़े भाई और भाभी का अनादर करने पर, वैवाहिक जीवन में लड़ाई झगड़े होने पर, किसी निसंतान व्यक्ति से लिए गए जमीन पर रहने पर या निसंतान व्यक्ति से सम्बन्ध रखने पर। ऐय्याशी या जुआ आदि खेलने पर। घर पर कोई अग्निकांड होने पर, संतान पर कोई संकट आने पर या संतानों से कलह में लिप्त होने पर। घर के दक्षिण दिशा में दरवाजे या खिड़किया होने पर। कोर्ट केस या मुक़दमे में धन की हानि होने पर। बेमानी करने पर, किसी का खून करने पर, गुंडों जैसा आचरण करने पर। रक्तपात करने पर। खून की बीमारी आदि होने पर। प्रतिहिंसा परायण होने पर, निर्मम होने पर, तुरंत प्रतिक्रियावादी या तार्किक होने पर।


वेदों में मंगल का दान -

लाल मूंगा, गोधूम, मसूर की दाल, लाल या अरुणवर्ण वृष, (आभाव में सवा एक रूपए), गन्ने का गुड़, स्वर्ण, रक्तवस्त्र, लालकनेर का पुष्प, ताम्बा, सवस्त्र भोज्य सहित मंत्रो उच्चारण कर दान करें। मंगल मंत्र - ॐ हूं श्रीं मंगलाय। जपसंख्या - ८०००, देवी बगलामुखी, अधिदेवता स्कन्द, प्रत्यधिदेवता क्षिति, भरद्वाज गोत्र, क्षत्रिय, आवंत, चतुर्भुज,चतुरंगुल, दक्षिण दिशा, त्रिकोण आकृति, मेष वाहन, नृसिंह अवतार, पुष्पादि रक्तवर्ण, रक्तचंदन की मूर्ति, कुमकुम, धुप देवदारु, बलि खिचड़ी, समिध खदिर काष्ठ, दक्षिणा सवा रुपये सहित दान करें।

मंगल के विषय में -

मंगल वृश्चिक और मेष राशि के स्वामी है। इन्हें ज्योतिष में क्रूर ग्रह माना जाता हैं। इनका वार मंगलवार है। इसके नक्षत्र मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा हैं। बृहस्पति, चंद्र और सूर्य इनके मित्र ग्रह हैं।







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