बुध तृतीय भाव में हो तो जातक स्वस्थ, सुन्दर और रोंग मुक्त रहता है। प्रभाव शाली, वाहन-सुख सम्पन्न, व्यापारी वर्ग से मित्रता करके धनोपार्जन करने वाला, जीवन में विषयों का अत्यधिक उपभोग करने के बाद बढ़ती उम्र में सब कुछ त्यागने वाला, चतुर, कुशलता पूर्वक अभीष्ट साधन करने वाला, गहरे दिल का, सुन्दर वस्तुओं का संग्रही, प्रवास से धन कमाने वाला परंंतू चित्त-शुद्धि से रहित, दुर्जनों की बातों में आ जाने वाला, हमदर्द, स्त्रियों
का त्रिय, उग्र प्रकृति वाला हठी, अपनी इच्छानुसार कार्य करने वाला, सुवक्ता, कार्यं दक्ष परिश्रमी, भाई-वहिनों के सुख से युक्त तथा वाल्यावस्था में रोगी होता है। मांगलिक कर्मों में सिद्धि प्राप्त करने वाला, अपने बुद्धि बल द्वारा क्रूर से क्रूर शत्रुओं को भी वश में कर लेने वाला होता है। युवाकाल में भोग-वासना में लिप्त परंतु उम्र बढ़ने पर वासनाओं का त्याग करने वाला होता है। पाप ग्रह से युक्त-संबंध होने पर भाई-बहन में किसी की मृत्यु होती है। बलहीन बुध से पराक्रमी न होकर डरपोक बनाता है। शुभ हों तो प्रभावशाली होकर जीवन व्यतीत करता है।
पन्ना धारण करें या पारा या कलई धारण करें। नाक छिदवाए। लड़की, बहन, बुआ,मौसी की सेवा करें। दुर्गा पाठ करें या कन्याओं की सेवा करें। हलवा ,कद्दू ( सीता फल ) मंदिर में दान करें। हरे रंग की चीजों का दान करें। हिजड़ों की सेवा करें , भेड़, बकरी, तोते की सेवा करें। अंडा न खाएं। कांसे के कटोरी में सबूत हरी मूंग भरकर मंदिर में दान करें। बाजार के तोते वाले से एक जोड़ा तोता उसके बताएं हुए एक दाम में खरीदें तथा अश्विन के महीने के शुक्लपक्ष के बुधवार को राहुकाल रहित समय में वायु लग्न के उदय होने पर छोड़ दें। इससे बुध अति शुभ फलदायी बन जाते हैं।
गोचर में जब कन्या राशि में बुध हों उस परिधि में प्राप्त कोई बुधवार अगर सर्वार्थसिद्धि योग या अमृतसिद्धि योग हो तो विशेष शुभ हो जाता हैं। भूलने की या स्मरण शक्ति दोष हों तो हमेशा एक नोटबुक साथ रखें तथा अपने महत्वपूर्ण चीजों को लिख लिया करें और इसके अलावा भी कई और कारणों से बुध ग्रह का अशुभ प्रभाव मिलता हैं। श्री गोपाल, श्री गणेश, देवी नील सरस्वती, नृसिंह, देवी त्रिपुरसुंदरी, बुद्ध और बुध देव की पूजा अर्चना करने पर भी बुध के अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता है।
बुध अशुभ कब होता है ?
धागे ताबीज़, जल, बिभूतियाँ (राख) अपने पास जेब में रखने से या घर में रखने से। पत्थरों के पिंड रखने से। पीतल के बर्तन कोरे बंद हो। बहन, लड़की का धन मार लेना या उनसे धन मांगना। क्रोध करना, गंदी या बद जुबान होना, हकलाना, पूछने पर जवाब न देना, वायदे का कच्चा होना। फ़ोन ,कैलक्यूलेटर, घड़ी आदि सामान खराब होने पर। भेड़ बकरी का मांस खाने पर। घर में धर्म स्थान बदलने पर। किताबें चोरी करने पर। किसी बालक को मारना या सताने पर। तोते को मारने पर। घर में हरियाली बिल्कुल न होने पर। याददाश्त कमजोर होने पर।
वेदों में बुध का दान -
नीला या हरा वस्त्र, स्वर्ण, कांसा, हरे मूंग की दाल, घी, गौरवर्ण पुष्प, अंगूर, हाथी दांत इत्यादि सवस्त्र भोज्य सहित, दक्षिणा एवं मंत्र उच्चारण द्वारा दान करें। मंत्र- ॐ ऐं स्त्रीं श्रीं बुधाय। जपसंख्या-१७०००, देवी त्रिपुरसुन्दरी, अधिदेवता नारायण, प्रत्यधिदेवता विष्णु, अत्रिगोत्र, वैश्य, स्वर्णमूर्ति, धनुराकृति, सिंह वाहन, बुद्धदेवता, सरलकाष्ठ चन्दन, पुष्पादि पीतवर्ण, धुप गौघृत, देवदारुकाष्ठ, बलि दधि मिश्रित अन्न, समिध अपमार्ग, दक्षिणा स्वर्णखंड।
बुध के विषय में-
बुध मिथुन और कन्या राशि के स्वामी है। ये एक बालक एवं सौम्य ग्रह है। इनका दिन बुधवार है। अश्लेषा, ज्येष्ठा तथा रेवती इनके तीन नक्षत्र है। रवि, शुक्र एवं शनि इनके मित्र ग्रह है।