बुध चतुर्थ भाव में (mercury in fourth house)

Kaushik sharma
बुध चतुर्थ भाव में


बुध चतुर्थ भाव में हो तो जातक स्वस्थ, बड़ी आँखों वाला अत्यन्त धनी, दानी, नृत्य-गायन-प्रिय, मधुर भाषी, पंडित, भाग्यवान, स्थूल शरीर वाला, दानी, आलसी, उदार, धन-धान्य, वाहन, माता-पिता आदि के सुख से युक्त, विद्वान्, मित्रों का प्रेमी, कृषि, बागवानी एवं पुस्तकों का प्रिय एवं सर्वदा अध्ययन प्रिय होकर सम्पूर्ण जीवन गुजार देने वाला, अनेक विद्या का जानकार, नीतिज्ञ, लेखन कला कुशल, चंचल स्वभाव वाला, अनेक स्त्रियों का भोग करने वाला एवं युवाकाल में स्त्रियों को आभूषणादि देकर अपने प्रेम का इज़हार करने वाला तथा तीव्र स्मरण शक्ति वाला होता है। यदि बुध पापग्रह हो तो बन्धुहीन होता है। यदि पापग्रह-युक्त न हो तो जातक धनी,विलासी एवं अनेक मित्रों वाला होता है। बुध बलवान अथवा बलीग्रह से युक्त हो तो उसे वाहन आदि का सुख प्राप्त होता है। यदि राहु, केतु अथवा शनि युक्त हो तो वाहनसुख में कमी आती है। चतुर्थ बुध से अक्सर जेष्ठ पुत्र होकर अपने मा का दुलारा बनकर रहता है। जातक का हृदय बालक जैसा आचरण करने वाला तथा बालक जैसा बाचालता या अधिक बकने वाला होता है। बुध चतुर्थ भावस्थ से मन कमज़ोर होता जिससे थोड़े से दुख से ही मानसिक व्यथा अन्य से ज्यादा होती है। वैदिक ज्योतिष में चतुर्थ भावस्थ बुध को निष्फल या कम प्रभावहीन माना गया है जिसके चलते चतुर्थ घर से संबंधित फल साधारण प्रतीत होता है। आशुभ होने पर जमीन, जायदाद, घर-वाहन, गृह सुख आदि के विषय में शुभ फल प्राप्ति की बाधा बनी रहती है।

बुध विभिन्न भाव में-


बुध के विशेष उपाय-


पन्ना धारण करें या पारा या कलई धारण करें। नाक छिदवाए। लड़की, बहन, बुआ,मौसी की सेवा करें। दुर्गा पाठ करें या कन्याओं की सेवा करें।  हलवा, कद्दू ( सीता फल ) मंदिर में दान करें। हरे रंग की चीजों का दान करें। हिजड़ों की सेवा करें, भेड़, बकरी, तोते की सेवा करें। अंडा न खाएं। कांसे के कटोरी में सबूत हरी मूंग भरकर मंदिर में दान करें। बाजार के तोते वाले से एक जोड़ा तोता उसके बताएं हुए एक दाम में खरीदें तथा दाम कम कराएं और अश्विन के महीने के शुक्लपक्ष के बुधवार को राहुकाल रहित समय में वायु लग्न के उदय होने पर छोड़ दें। इससे बुध अति शुभ फलदायी बन जाते हैं। गोचर में जब कन्या राशि में बुध हों उस परिधि में प्राप्त कोई बुधवार अगर सर्वार्थसिद्धि योग या अमृतसिद्धि योग हो तो विशेष शुभ हो जाता हैं। भूलने की या स्मरण शक्ति दोष हों तो हमेशा एक नोटबुक साथ रखें तथा अपने महत्वपूर्ण चीजों को लिख लिया करें और इसके अलावा भी कई और कारणों से बुध ग्रह का अशुभ प्रभाव मिलता हैं। श्री गोपाल, श्री गणेश, देवी नील सरस्वती, नृसिंह, देवी त्रिपुरसुंदरी, बुद्ध और बुध देव की पूजा अर्चना करने पर भी बुध के अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता हैं।

बुध अशुभ कब होता है ?


धागे ताबीज़, जल, बिभूतियाँ (राख) अपने पास जेब में रखने से या घर में रखने से। पत्थरों के पिंड रखने से। पीतल के बर्तन कोरे बंद हो। बहन, लड़की का धन मार लेना या उनसे धन मांगना। क्रोध करना, गंदी या बद जुबान होना, हकलाना, पूछने पर जवाब न देना, वायदे का कच्चा होना। फ़ोन, कैलक्यूलेटर, घड़ी आदि सामान खराब होने पर। भेड़ बकरी का मांस खाने पर। घर में धर्म स्थान बदलने पर। किताबें चोरी करने पर। किसी बालक को मारना या सताने पर। तोते को मारने पर। घर में हरियाली बिल्कुल न होने पर। याददाश्त कमजोर होने पर।

वेदों में बुध का दान -


नीला या हरा वस्त्र, स्वर्ण, कांसा, हरे मूंग की दाल, घी, गौरवर्ण पुष्प, अंगूर, हाथी दांत इत्यादि सवस्त्र भोज्य सहित, दक्षिणा एवं मंत्र उच्चारण द्वारा दान करें। मंत्र -ॐ ऐं स्त्रीं श्रीं बुधाय। जपसंख्या-१७०००, देवी त्रिपुरसुन्दरी, अधिदेवता नारायण, प्रत्यधिदेवता विष्णु, अत्रिगोत्र, वैश्य, स्वर्णमूर्ति, धनुराकृति, सिंघवाहन, बुद्धदेवता, सरलकाष्ठ चन्दन, पुष्पादि पीतवर्ण, धुप गौघृत, देवदारुकाष्ठ, बलि दधि मिश्रित अन्न, समिध अपमार्ग, दक्षिणा स्वर्णखंड।

बुध के विषय में- 


बुध मिथुन और कन्या राशि के स्वामी है। ये एक बालक एवं सौम्य ग्रह है। इनका दिन बुधवार है। अश्लेषा, ज्येष्ठा तथा रेवती इनके तीन नक्षत्र है। रवि, शुक्र एवं शनि इनके मित्र ग्रह है। 











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