बुध छठे भाव में हो तो जातक शारीरिक दुबलापन वाला, अलसी तथा शत्रु द्वारा पीड़ित होता है परंतु जातक शत्रुजयी तथा शत्रुओं को वश में रखने वाला होता है।जातक लोक-विरोधी, स्वरोदय शास्त्र तथा प्राणायाम क्रिया का प्रेमी, सन्यासियों के साथ ज्ञानचर्चा करनेवाला, अपने धन को सत्कार्य में खचं करने वाला स्वपराक्रम से धन कमाने वाला होता है। ऐसा जातक बहुमित्र युक्त,चतुर, सुन्दरकमाने वाला, आलसी, दुष्ट-स्वभाव वाला, नौकरों से त्रास पाने वाला, लेखन तथा मुद्रण कला से धन लाभ पाने वाला, मानसिक-व्याधियुक्त, क्षय अथवा श्वास रोगी, हाथ-पाँव में रोग वाला, किंचित अभिमानी, अर्द्ध शिक्षित, निष्ठुर, धूर्त, कलह-प्रिय, कटुभाषी, राज्य से सम्मानित, विवेकी, पत्रादि लेखन में कुशल तथा अनेक शत्रुओं वाला तथा वैद्यक-शास्त्र सम्मत भोजन करने वाला होता है।
बुध वक्री अथावा शुभयुक्त हो तो सदैव शत्रु से भीत एवं सहायक-विहीन होता है तथा बलवान ग्रह युक्त होने पर जातक कुटुम्ब का मुखिया अथवा जाति का नेता होता है। नीच या शत्रु राशि में हो तो अल्प कृटुम्बी अथवा जाति विनाशी होता है। बुध शुभग्रह की राशि में हो अर्थवा शुभग्रह से युत अथवा दृष्ट हो तो जातक सुख तथा शत्रुजयी होता है। मंगल अथवा शनि युक्त हो तो जातक स्त्रियो के पीछे पागल हो जाने वाला अथवा आत्महत्या तक कर बँठने वाला होता है। कर्क- राशित्व बुध हो तो ब्रण अरथवा पाकस्थली के रोग होता है । शनि राहु या केतु के साथ हो तो शत्रु कलह एवं वात-शूलाादि रोग कारक होता है। जातक के खर्चे बढ़ जाते है और त्वचा संबंधी रोग, खुजली या एलर्जी आदि का रोग होता है।
बुध विभिन्न भावों में-
पन्ना धारण करें या पारा या कलई धारण करें। नाक छिदवाए। लड़की, बहन, बुआ,मौसी की सेवा करें। दुर्गा पाठ करें या कन्याओं की सेवा करें। हलवा ,कद्दू ( सीता फल ) मंदिर में दान करें। हरे रंग की चीजों का दान करें। हिजड़ों की सेवा करें , भेड़, बकरी, तोते की सेवा करें। अंडा न खाएं। कांसे के कटोरी में सबूत हरी मूंग भरकर मंदिर में दान करें।बाजार के तोते वाले से एक जोड़ा तोता उसके बताएं हुए एक दाम में खरीदें तथा दाम कम कराएं और अश्विन के महीने के शुक्लपक्ष के बुधवार को राहुकाल रहित समय में वायु लग्न के उदय होने पर छोड़ दें। इससे बुध अति शुभ फलदायी बन जाते हैं। गोचर में जब कन्या राशि में बुध हों उस परिधि में प्राप्त कोई बुधवार अगर सर्वार्थसिद्धि योग या अमृतसिद्धि योग हो तो विशेष शुभ हो जाता हैं। भूलने की या स्मरण शक्ति दोष हों तो हमेशा एक नोटबुक साथ रखें तथा अपने महत्वपूर्ण चीजों को लिख लिया करें और इसके अलावा भी कई और कारणों से बुध ग्रह का अशुभ प्रभाव मिलता हैं। श्री गोपाल, श्री गणेश, देवी नील सरस्वती ,नृसिंह, देवी त्रिपुरसुंदरी, बुद्ध और बुध देव की पूजा अर्चना करने पर भी बुध के अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता हैं।
बुध अशुभ कब होता है ?
धागे ताबीज़, जल, बिभूतियाँ (राख) अपने पास जेब में रखने से या घर में रखने से। पत्थरों के पिंड रखने से। पीतल के बर्तन कोरे बंद हो। बहन, लड़की का धन मार लेना या उनसे धन मांगना। क्रोध करना ,बद जुबान होना। पूछने पर जवाब न देना, वायदे का कच्चा होना। फ़ोन ,कैलक्यूलेटर, घड़ी आदि सामान खराब होने पर। भेड़ बकरी का मांस खाने पर। घर में धर्म स्थान बदलने पर। किताबें चोरी करने पर। किसी बालक को मारना या सताने पर। तोते को मारने पर। घर में हरियाली बिल्कुल न होने पर। याददाश्त कमजोर होने पर।
अन्य सभी ग्रह-
वेदों में बुध का दान -
नीला या हरा वस्त्र, स्वर्ण, कांसा, हरे मूंग की दाल, घी, गौरवर्ण पुष्प, अंगूर, हाथी दांत इत्यादि सवस्त्र भोज्य सहित, दक्षिणा एवं मंत्र उच्चारण द्वारा दान करें। मंत्र -ॐ ऐं स्त्रीं श्रीं बुधाय। जपसंख्या - १७०००, देवी त्रिपुरसुन्दरी, अधिदेवता नारायण, प्रत्यधिदेवता विष्णु, अत्रिगोत्र, वैश्य, स्वर्णमूर्ति, धनुराकृति, सिंघवाहन, बुद्धदेवता, सरलकाष्ठ चन्दन, पुष्पादि पीतवर्ण, धुप स्वघृत देवदारुकाष्ठ, बलि दधि मिश्रित अन्न, समिध अपमार्ग, दक्षिणा स्वर्णखंड।
बुध के विषय में-
बुध मिथुन और कन्या राशि के स्वामी है। ये एक बालक एवं सौम्य ग्रह है। इनका दिन बुधवार है। अश्लेषा, ज्येष्ठा तथा रेवती इनके तीन नक्षत्र है। रवि एवं शुक्र इनके मित्र ग्रह है।