बुध दशम भाव में (mercury in tenth house)

Kaushik sharma
बुध दशम भाव में


बुध दशम भाव में हो तो जातक स्वपराक्रम से प्रभावशाली, गुरुजनों और बड़ों का हितैषी, सभी जनों का प्रिय, लोगों पर अनुग्रह करने वाला होता है। ऐसे जातक अपनी शिक्षा अनुसार उन्नति करते देखे गए हैं।ऐसे जातक लेखक, प्रकाशक, समाचारपत्र, क्लर्क, गणितज्ञ, संपादक, रेल कर्मचारी, व्यवसाय या अध्यापक बनकर रोज़गार करते हुए अपना जीवन निर्वाह करना पड़ता हैं। जीवन में अच्छे कर्म करने वाला, राजा के सामान शोभित एवं सम्मानित होता हैं। जातक व्यव्हार कुशल, सज्जनों के संगती में रहने वाला, मनश्वी तथा भाग्यशाली होता है। ऐसे जातकों को दलाली के काम से लाभ पाते देखा गया है। गुरुजनों के प्रति आदर रखने वाला, मंगल युक्त हो मजाक या व्यंगादि करने वाला होता है। बुध पापग्रह से युक्त हो तो नीचकर्मी, भ्रष्टाचारी तथा मुर्ख होता है।शुभ फलों की जगह उसे अशुभ फलों की प्राप्ति होती है।


बुध विभिन्न भाव में-



बुध के विशेष उपाय-

पन्ना धारण करें या पारा या कलई धारण करें। नाक छिदवाए। लड़की, बहन, बुआ,मौसी की सेवा करें। दुर्गा पाठ करें या कन्याओं की सेवा करें। हलवा, कद्दू (सीता फल) मंदिर में दान करें। हरे रंग की चीजों का हिजड़ों को दान करें। भेड़, बकरी, तोते की सेवा करें। अंडा न खाएं। कांसे के कटोरी में सबूत हरी मूंग भरकर मंदिर में दान करें। बाजार के तोते वाले से एक जोड़ा तोता उसके बताएं हुए एक दाम में खरीदें तथा दाम कम कराएं और अश्विन के महीने के शुक्लपक्ष के बुधवार को राहुकाल रहित समय में वायु लग्न के उदय होने पर छोड़ दें। इससे बुध अति शुभ फलदायी बन जाते हैं। गोचर में जब कन्या राशि में बुध हों उस परिधि में प्राप्त कोई बुधवार अगर सर्वार्थसिद्धि योग या अमृतसिद्धि योग हो तो विशेष शुभ हो जाता हैं। भूलने की या स्मरण शक्ति दोष हों तो हमेशा एक नोटबुक साथ रखें तथा अपने महत्वपूर्ण चीजों को लिख लिया करें और इसके अलावा भी कई और कारणों से बुध ग्रह का अशुभ प्रभाव मिलता हैं। श्री गोपाल, श्री गणेश, देवी नील सरस्वती, नृसिंह, देवी त्रिपुरसुंदरी , बुद्ध और बुध देव की पूजा अर्चना करने पर भी बुध के अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता हैं।


बुध अशुभ कब होता है ?


धागे ताबीज़, जल, बिभूतियाँ (राख) अपने पास जेब में रखने से या घर में रखने से। पत्थरों के पिंड रखने से। पीतल के बर्तन कोरे बंद हो। बहन, लड़की का धन मार लेना या उनसे धन मांगना। क्रोध करना ,बंद जुबान होना। पूछने पर जवाब न देना, वायदे का कच्चा होना। फ़ोन ,कैलक्यूलेटर, घड़ी आदि सामान खराब होने पर। भेड़ बकरी का मांस खाने पर। घर में धर्म स्थान बदलने पर। किताबें चोरी करने पर। किसी बालक को मारना या सताने पर। तोते को मारने पर। घर में हरियाली बिल्कुल न होने पर। याददाश्त कमजोर होने पर।
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वेदों में बुध का दान -


नीला या हरा वस्त्र, स्वर्ण, कांसा, हरे मूंग की दाल, घी, गौरवर्ण पुष्प, अंगूर, हाथी दांत इत्यादि सवस्त्र भोज्य सहित, दक्षिणा एवं मंत्र उच्चारण द्वारा दान करें। मंत्र -ॐ ऐं स्त्रीं श्रीं बुधाय। जपसंख्या - १७०००, देवी त्रिपुरसुन्दरी, अधिदेवता नारायण, प्रत्यधिदेवता विष्णु, अत्रिगोत्र, वैश्य, स्वर्णमूर्ति, धनुराकृति, सिंघवाहन, बुद्धदेवता, सरलकाष्ठ चन्दन, पुष्पादि पीतवर्ण, धुप स्वघृत देवदारुकाष्ठ, बलि दधि मिश्रित अन्न, समिध अपमार्ग, दक्षिणा स्वर्णखंड। 

बुध के विषय में- 


बुध मिथुन और कन्या राशि के स्वामी है। ये एक बालक एवं सौम्य ग्रह है। इनका दिन बुधवार है। अश्लेषा, ज्येष्ठा तथा रेवती इनके तीन नक्षत्र है। रवि एवं शुक्र इनके मित्र ग्रह है। 

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