बुध सप्तम भाव में हो तो जातक का शरीर स्वर्ण के समान शोभावान्, सत्यवादी, सुशील, अत्यन्त धनी, प्रभावशाली, युवती तथा उत्तम कुलोत्पन्न स्त्री से विवाह करने वाला परन्तु सहवास के समय दुर्बल वीर्य वाला, परोपकारी, योग्य, प्रेमी, विद्वान्,लेखन, सम्पादन आदि द्वारा धन उपार्जन करने वाला, न्यायी, माता-पिता के सुख से सम्पन्न, उदार, दीर्घायु, धर्म निष्ठ, चंचल वुद्धि वाला विनोदी, निर्मल, स्त्री पुत्रादि के सुख से युक्त, यशस्वी, सुबुद्धिवान, स्त्री का आज्ञाकारी होता है अशुभ होने पर परस्त्रीगामी तथा अभक्ष भक्षी होता है।
बुध बलवान हो तो अनेक स्त्रियों के सम्पर्क रखने वाला, गुरुयुक्त अथवा दृष्ट हो तो सुशील, सत्यप्रिय, पराक्रमी व्यवसायी, उत्तम सन्तान वाला, ऐश्वर्य शाली, लेखन कला कूशली होता है। सुर्य युक्त हो तो स्त्री नाश शुभग्रह युक्त हो तो २४ वर्ष की आयु मे वाहन का लाभ तथा शुभ ग्रह युक्त हो तो केवल एक ही स्त्री से विवाह और यदि निर्बेल, पापयूक्त या पापराशिस्थ होने पर स्त्री का नाश होता है या संभोग शक्ति की कमी उत्पन्न होती जिससे ज्यादा समय संभोग नही कर पाता परंतु जातक के कामकला में बचपने जैसी निरंतरता के कारण स्त्री को कामादि विषय में आनंदित करने वाला भी होता है। पुस्तक लेखन, संपादन या व्यवसाय द्वारा धन लाभ कराकर रोजगार चलाने वाला होता है। ऐसे जातक की स्त्री चंचल, चपल भी होती है।
बुध विभिन्न भाव में-
बुध के विशेष उपाय-
पन्ना धारण करें या पारा या कलई धारण करें। नाक छिदवाए। लड़की, बहन, बुआ,मौसी की सेवा करें। दुर्गा पाठ करें या कन्याओं की सेवा करें। हलवा ,कद्दू (सीता फल) मंदिर में दान करें। हरे रंग की चीजों का दान करें। हिजड़ों की सेवा करें , भेड़, बकरी, तोते की सेवा करें। अंडा न खाएं। कांसे के कटोरी में सबूत हरी मूंग भरकर मंदिर में दान करें। बाजार के तोते वाले से एक जोड़ा तोता उसके बताएं हुए एक दाम में खरीदें तथा अश्विन के महीने के शुक्लपक्ष के बुधवार को राहुकाल रहित समय में वायु लग्न के उदय होने पर छोड़ दें। इससे बुध अति शुभ फलदायी बन जाते हैं। गोचर में जब कन्या राशि में बुध हों उस परिधि में प्राप्त कोई बुधवार अगर सर्वार्थसिद्धि योग या अमृतसिद्धि योग हो तो विशेष शुभ हो जाता हैं। भूलने की या स्मरण शक्ति दोष हों तो हमेशा एक नोटबुक साथ रखें तथा अपने महत्वपूर्ण चीजों को लिख लिया करें और इसके अलावा भी कई और कारणों से बुध ग्रह का अशुभ प्रभाव मिलता हैं। श्री गोपाल, श्री गणेश, देवी नील सरस्वती, नृसिंह, देवी त्रिपुरसुंदरी, बुद्ध और बुध देव की पूजा अर्चना करने पर भी बुध के अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता हैं।
बुध अशुभ कब होता है ?
धागे ताबीज़, जल, बिभूतियाँ (राख) अपने पास जेब में रखने से या घर में रखने से। पत्थरों के पिंड रखने से। पीतल के बर्तन कोरे बंद हो। बहन, लड़की का धन मार लेना या उनसे धन मांगना। क्रोध करना, बंद जुबान होना। पूछने पर जवाब न देना, वायदे का कच्चा होना। फ़ोन ,कैलक्यूलेटर, घड़ी आदि सामान खराब होने पर। भेड़ बकरी का मांस खाने पर। घर में धर्म स्थान बदलने पर। किताबें चोरी करने पर। किसी बालक को मारना या सताने पर। तोते को मारने पर। घर में हरियाली बिल्कुल न होने पर। याददाश्त कमजोर होने पर।
वेदों में बुध का दान -
नीला या हरा वस्त्र, स्वर्ण, कांसा, हरे मूंग की दाल, घी, गौरवर्ण पुष्प, अंगूर, हाथी दांत इत्यादि सवस्त्र भोज्य सहित, दक्षिणा एवं मंत्र उच्चारण द्वारा दान करें। मंत्र -ॐ ऐं स्त्रीं श्रीं बुधाय। जपसंख्या - १७०००, देवी त्रिपुरसुन्दरी, अधिदेवता नारायण, प्रत्यधिदेवता विष्णु, अत्रिगोत्र, वैश्य, स्वर्णमूर्ति, धनुराकृति, सिंहवाहन, बुद्धदेवता, सरलकाष्ठ चन्दन, पुष्पादि पीतवर्ण, धुप स्वघृत देवदारुकाष्ठ, बलि दधि मिश्रित अन्न, समिध अपमार्ग, दक्षिणा स्वर्णखंड।
बुध के विषय में-
बुध मिथुन और कन्या राशि के स्वामी है। ये एक बालक एवं सौम्य ग्रह है। इनका दिन बुधवार है। अश्लेषा, ज्येष्ठा तथा रेवती इनके तीन नक्षत्र है। रवि एवं शुक्र इनके मित्र ग्रह है।
अन्य सभी ग्रह-
👉 सूर्य सभी घरों में
👉 चंद्र सभी घरों में
👉 मंगल सभी घरों में
👉 बुध सभी घरों में
👉 बृहस्पति सभी घरों में
👉 शुक्र सभी घरों में
👉 शनि सभी घरों में
👉 राहु सभी घरों में
👉 केतु सभी घरों में
👉 युरेनस सभी घरों में
👉 नेप्च्यून सभी घरों में
👉 प्लूटो सभी घरों में
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