बुध प्रथम भाव में (mercury in first house)

Kaushik sharma

बुध प्रथम भाव में


बुध प्रथम भाव में आने वाली अमंगलकारी विपदाओं का नाश करता है जिसका मूल कारण उसका बुद्धिमान होना या बुद्धिमान होने का अनुकरण करना हैं। अपनी इसी ज्ञान के सहारे जीवन युद्ध की कई विपत्तियों का नाश करने में माहिर हो जाता हैं। ऐसे जातक मसिजीवी, विभिन्न भाषाओँ का ज्ञानी, चिकित्साशास्त्र, ग्रंथकर्ता या लेखन कार्य द्वारा जीवन निर्वाह करने वाला होता हैं। वर्त्तमान समय में ऐसे कई जातकों को ब्लॉगर बनते देखा जा सकता हैं। यौवन में स्वर्ण की भांति कांतिवान परन्तु उम्र बढ़ते बढ़ते सांवलापन आ जाता है। जातक निसंदेह विद्या व्यसनी होता हैं जिससे अनेक तरह के ज्ञान के समुद्र में गोता लगाते हुए ज्योतिष आदि शास्त्र में रूचि पैदा करता है। लोगों के समीप वो सभा चतुर होता हैं। इनके स्वाभाव से उग्रता नहीं अपितु ज्ञान रूपी सुशीलता ही झलकती हैं। कवि भट्टनारायण के अनुसार इन जातकों को रोग तथा व्याधि के आक्रमण होने पर औषधी या दवा पूरी तरह असर नहीं करती तथा पूर्ण रूप से रोग का आरोग्य नहीं हो पाता। बुध शुभ भाव के अधिपति होकर लग्न में शुभ हों तो जातक मेधावी और उम्र बढ़ने पर भी बालक जैसा आचरण, स्वाभाव वाला होता है जिसके के कारण तोते जैसे बातूनीपन या जिज्ञासु होता हैं। शनि के साथ हों तो पापबुद्धि सम्पन्न, शुक्र के साथ होने पर लेखन कार्य या वार्तालाप में माहिर, गुरु के साथ हों धर्म कर्म का ज्ञानी, मंगल युक्त या दृष्ट हों दुष्ट बुद्धि द्वारा समलोचक बन बैठता हैं। बुध षष्ठेश होकर लग्न में हों तो शत्रुओं में वृद्धि, अष्टमेश होकर लग्न में हों तो आत्मध्वंशकारी बुद्धि वाला, द्वादशेश होकर लग्न में हों तो नोटों के बंडलों को खर्च होते देखा गया हैं। इस स्थान मे बुध कमजोर होने होने पर बालक सुलभ आचरण वाला, ज्यादा बकने वाला बन जाता हैं। कन्या या मकर राशि में बुध लग्नस्थ हों तो स्थूल शरीर वाला या नपुंशक होता हैं। पाप रहित बुध लग्न में होने पर चतुर, शांत, मेधावी, दयालु तथा प्रियभाषी होकर जीवन जीता हैं। ऐसा माना जाता है की लग्नस्थ बुध से यौवन के कुछ वर्ष बाद से ही उस पर नपुंसकता हावी होती है जिससे सम्भोग या सहवास करने में कठिनाई पैदा कर नपुंशकता की और धकेल देता हैं। ऐसे जातक सफल रिपोर्टर, संपादक, लेखक बनकर जिंदगी के सभी सुखों का उपभोग करतें है। चंद्र से युक्त होने पर मेधावी और स्मृतिशक्ति से संपन्न तथा रवि युक्त होने पर सत्यान्वेषी एवं परिपक़्व स्वाभाव वाला होता है।

बुध विभिन्न भाव में



बुध के विशेष उपाय-


पन्ना धारण करें या पारा या कलई धारण करें। नाक छिदवाए। लड़की, बहन, बुआ,मौसी की सेवा करें। दुर्गा पाठ करें या कन्याओं की सेवा करें। हलवा ,कद्दू ( सीता फल) मंदिर में दान करें। हरे रंग की चीजों का दान करें। हिजड़ों को हरे रंग की चूड़ियां दान करें। भेड़, बकरी, तोते की सेवा करें। अंडा न खाएं। कांसे के कटोरी में सबूत हरी मूंग भरकर मंदिर में दान करें।बाजार के तोते वाले से एक जोड़ा तोता उसके बताएं हुए एकदाम में खरीदें तथा अश्विन के महीने के शुक्लपक्ष के बुधवार को राहुकाल रहित समय में वायु लग्न के उदय होने पर छोड़ दें। इससे बुध अति शुभ फलदायी बन जाते हैं। गोचर में जब कन्या राशि में बुध हों उस परिधि में प्राप्त कोई बुधवार अगर सर्वार्थसिद्धि योग या अमृतसिद्धि योग हो तो विशेष शुभ हो जाता हैं। भूलने की या स्मरण शक्ति दोष हों तो हमेशा एक नोटबुक साथ रखें तथा अपने महत्वपूर्ण चीजों को लिख लिया करें और इसके अलावा भी कई और कारणों से बुध ग्रह का अशुभ प्रभाव मिलता हैं। श्री गोपाल, श्री गणेश, देवी नील सरस्वती,नृसिंह, देवी त्रिपुरसुंदरी , बुद्ध और बुध देव की पूजा अर्चना करने पर भी बुध के अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता हैं।

बुध अशुभ कब होता है ?


धागे ताबीज़, जल, बिभूतियाँ (राख) अपने पास जेब में रखने से या घर में रखने से। पत्थरों के पिंड रखने से। पीतल के बर्तन कोरे बंद हो। बहन, लड़की का धन मार लेना या उनसे धन मांगना। क्रोध करना, गंदी एवं बद जुबान होना, हकलाना, पूछने पर जवाब न देना, वायदे का कच्चा होना। फ़ोन, कैलक्यूलेटर, घड़ी आदि सामान खराब होने पर। भेड़ बकरी का मांस खाने पर। घर में धर्म स्थान बदलने पर। किताबें चोरी करने पर। किसी बालक को मारना या सताने पर। तोते को मारने पर। घर में हरियाली बिल्कुल न होने पर। याददाश्त कमजोर होने पर।

वेदों में बुध का दान -


नीला या हरा वस्त्र, स्वर्ण, कांसा, हरे मूंग की दाल, घी, गौरवर्ण पुष्प, अंगूर, हाथी दांत इत्यादि सवस्त्र भोज्य सहित, दक्षिणा एवं मंत्र उच्चारण द्वारा दान करें। मंत्र- ॐ ऐं स्त्रीं श्रीं बुधाय। जपसंख्या-१७०००, देवी त्रिपुरसुन्दरी, अधिदेवता नारायण, प्रत्यधिदेवता विष्णु, अत्रिगोत्र, वैश्य, स्वर्णमूर्ति, धनुराकृति, सिंह वाहन, बुद्धदेवता, सरलकाष्ठ चन्दन, पुष्पादि पीतवर्ण, धुप, गौघृत, देवदारुकाष्ठ, बलि दधि मिश्रित अन्न, समिध अपमार्ग, दक्षिणा स्वर्णखंड। 

बुध के विषय में- 

बुध मिथुन और कन्या राशि के स्वामी है। ये एक बालक एवं सौम्य ग्रह है। इनका दिन बुधवार है। अश्लेषा, ज्येष्ठा तथा रेवती इनके तीन नक्षत्र है। रवि, शुक्र एवं शनि इनके मित्र ग्रह है।

















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