बुध एकादश भाव में हों तो जातक बुद्धिमान, धनि तथा जीवन में अप्रत्याशित लाभ पाने वाला होता हैं। उसकी पत्नी के गर्भ से ज्यादा कन्या संतानो का जन्म होता हैं। जीवन के अंत तक अनेकों धन लाभ के अवसर उपस्थित होता है। "चमत्कार चिंतामणि" के अनुसार जातक किसीका उधार या ऋण नहीं रखता तथा जातक चाहे गरीब या आमिर जो कोई भी हो घर में उसके कन्या का विवाह बिना ज्यादा प्रयास और धन का आभाव होने पर भी संपन्न हो जाता हैं। ऐसे जातक के समीप कोई मदद मांगने जाए तो वो आशातीत लाभ पता हैं। ऐसे जातक अनेक विद्याओं का ज्ञान रखने वाला, चिंतनशील, महत्वाकांक्षी, तथा यशस्वी होता हैं। जातक सर्वप्रकार के सुख से संपन्न होता है। जातक मानसिक रूप से उन्नत, अपने कुल में प्रख्यात, अत्यंत गुनी, विद्या तथा धन के धन से धनि अवश्य होता हैं। बुध पाप या शत्रु गृह में हों तो सर्वदा नीच कर्मों से धन की हानि करवाता है। अशुभ बुध से जातक अनभिज्ञ तथा न समझ होता है। उच्चस्थ तथा स्वगृही होने पर शुभ कर्मों द्वारा धनलाभ होता हैं।
बुध विभिन्न भाव में-
बुध के विशेष उपाय-
पन्ना धारण करें या पारा या कलई धारण करें। नाक छिदवाए। लड़की, बहन, बुआ,मौसी की सेवा करें। दुर्गा पाठ करें या कन्याओं की सेवा करें। हलवा, कद्दू ( सीता फल ) मंदिर में दान करें। हरे रंग की चीजों का हिजड़ों को दान करें। भेड़, बकरी, तोते की सेवा करें। अंडा न खाएं। कांसे के कटोरी में सबूत हरी मूंग भरकर मंदिर में दान करें। बाजार के तोते वाले से एक जोड़ा तोता उसके बताएं हुए एक दाम में खरीदें तथा दाम कम कराएं और अश्विन के महीने के शुक्लपक्ष के बुधवार को राहुकाल रहित समय में वायु लग्न के उदय होने पर छोड़ दें। इससे बुध अति शुभ फलदायी बन जाते हैं। गोचर में जब कन्या राशि में बुध हों उस परिधि में प्राप्त कोई बुधवार अगर सर्वार्थसिद्धि योग या अमृतसिद्धि योग हो तो विशेष शुभ हो जाता हैं। भूलने की या स्मरण शक्ति दोष हों तो हमेशा एक नोटबुक साथ रखें तथा अपने महत्वपूर्ण चीजों को लिख लिया करें और इसके अलावा भी कई और कारणों से बुध ग्रह का अशुभ प्रभाव मिलता हैं। श्री गोपाल, श्री गणेश, देवी नील सरस्वती ,नृसिंह, देवी त्रिपुरसुंदरी, बुद्ध और बुध देव की पूजा अर्चना करने पर भी बुध के अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता हैं।
बुध अशुभ कब होता है ?
धागे ताबीज़, जल, बिभूतियाँ (राख) अपने पास जेब में रखने से या घर में रखने से। पत्थरों के पिंड रखने से। पीतल के बर्तन कोरे बंद हो। बहन, लड़की का धन मार लेना या उनसे धन मांगना। क्रोध करना, बंद जुबान होना। पूछने पर जवाब न देना, वायदे का कच्चा होना। फ़ोन, कैलक्यूलेटर, घड़ी आदि सामान खराब होने पर। भेड़ बकरी का मांस खाने पर। घर में धर्म स्थान बदलने पर। किताबें चोरी करने पर। किसी बालक को मारना या सताने पर। तोते को मारने पर। घर में हरियाली बिल्कुल न होने पर। याददाश्त कमजोर होने पर।
वेदों में बुध का दान -
नीला या हरा वस्त्र, स्वर्ण, कांसा, हरे मूंग की दाल, घी, गौरवर्ण पुष्प, अंगूर, हाथी दांत इत्यादि सवस्त्र भोज्य सहित, दक्षिणा एवं मंत्र उच्चारण द्वारा दान करें। मंत्र -ॐ ऐं स्त्रीं श्रीं बुधाय। जपसंख्या - १७०००, देवी त्रिपुरसुन्दरी, अधिदेवता नारायण, प्रत्यधिदेवता विष्णु, अत्रिगोत्र, वैश्य, स्वर्णमूर्ति, धनुराकृति, सिंघवाहन, बुद्धदेवता, सरलकाष्ठ चन्दन, पुष्पादि पीतवर्ण, धुप स्वघृत देवदारुकाष्ठ, बलि दधि मिश्रित अन्न, समिध अपमार्ग, दक्षिणा स्वर्णखंड।
बुध के विषय में-
बुध मिथुन और कन्या राशि के स्वामी है। ये एक बालक एवं सौम्य ग्रह है। इनका दिन बुधवार है। अश्लेषा, ज्येष्ठा तथा रेवती इनके तीन नक्षत्र है। रवि एवं शुक्र इनके मित्र ग्रह है।
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