बुध द्वितीय भाव में (mercury in second house)

Kaushik sharma
बुध द्वितीय भाव में


बुध द्वितीय भाव में हो तो जातक बातचीत में माहिर, अत्यन्त गौरवर्ण, सुन्दर, कोमल शरीर तथा दोर्घकेशों वाला, सुस्थिर पाप से डरने वाला, अत्यन्त उदार, स्वपराक्रम से प्रतापी, सत्यवादी, अत्यन्त उदार श्रेष्ठ विद्वान्, पितृ भक्त परदेश में रहने बाला, दानी, कोमल हृदय चाला, भ्रमर के समान विहार करने वाला, विलासी, पवित्र भोजन करने वाला, सभा में व्यास की भांति सुशोभित एवं उच्चपद पानेवाला। अनेक प्रकार के सुखोंका उपभोग करने वाला, मधुर-भाषी, विनीत, शुभकर्म करने वाला, वेदज्ञ, विद्वान्, दृढ़सङ्कल्पी, हठी, उत्तम शीलवान्, साहसी, सन्ततिवान् राजसम्मान प्राप्त करने वाला,अनेक प्रकार से धन एशर्य से परिपूर्ण होता है। सत्याचार्य के अनुसार जिस तरह द्वितीय भावगत बृहस्पति के ऊपर बुध की दृष्टि से धनहीन होता है ठीक उसी प्रकार से द्वितीय भाव में स्थित बुध की दृष्टि से वैसा ही प्रभाव पड़ता है। पापयुक्त बुध द्वितीय भाव में होने पर शुभ फलों की हानि होती है। इस भाव में बुध रवि या शुक्र युक्त हों तो शुभ फल प्रदान करते है। शुभ स्थानगत बुध से जिव्या पर सरस्वती का वास होता है तथा जातक अपने मधुर भाषण से सब को मंत्रमुग्ध और वश में कर लेता है।


बुध के विशेष उपाय-

पन्ना धारण करें या पारा या कलई धारण करें। नाक छिदवाए। लड़की, बहन, बुआ, मौसी की सेवा करें। दुर्गा पाठ करें या कन्याओं की सेवा करें। हलवा, कद्दू (सीता फल) मंदिर में दान करें। हरे रंग की चीजों का दान करें। हिजड़ों की सेवा करें, भेड़, बकरी, तोते की सेवा करें। अंडा न खाएं। कांसे के कटोरी में सबूत हरी मूंग भरकर मंदिर में दान करें। बाजार के तोते वाले से एक जोड़ा तोता उसके बताएं हुए एक दाम में खरीदें तथा अश्विन के महीने के शुक्लपक्ष के बुधवार को राहुकाल रहित समय में वायु लग्न के उदय होने पर छोड़ दें। इससे बुध अति शुभ फलदायी बन जाते हैं। गोचर में जब कन्या राशि में बुध हों उस परिधि में प्राप्त कोई बुधवार अगर सर्वार्थसिद्धि योग या अमृतसिद्धि योग हो तो विशेष शुभ हो जाता हैं। भूलने की या स्मरण शक्ति दोष हों तो हमेशा एक नोटबुक साथ रखें तथा अपने महत्वपूर्ण चीजों को लिख लिया करें और इसके अलावा भी कई और कारणों से बुध ग्रह का अशुभ प्रभाव मिलता हैं। श्री गोपाल, श्री गणेश, देवी नील सरस्वती, नृसिंह, देवी त्रिपुरसुंदरी, बुद्ध और बुध देव की पूजा अर्चना करने पर भी बुध के अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता हैं।

बुध अशुभ कब होता है ?


धागे ताबीज़, जल, बिभूतियाँ (राख) अपने पास जेब में रखने से या घर में रखने से। पत्थरों के पिंड रखने से। पीतल के बर्तन कोरे बंद हो। बहन, लड़की का धन मार लेना या उनसे धन मांगना। क्रोध करना, गंदी या बद जुबान होना, हकलाना, पूछने पर जवाब न देना, वायदे का कच्चा होना। फ़ोन, कैलक्यूलेटर, घड़ी आदि सामान खराब होने पर। भेड़ बकरी का मांस खाने पर। घर में धर्म स्थान बदलने पर। किताबें चोरी करने पर। किसी बालक को मारना या सताने पर। तोते को मारने पर। घर में हरियाली बिल्कुल न होने पर।  याददाश्त कमजोर होने पर। 

वेदों में बुध का दान -


नीला या हरा वस्त्र, स्वर्ण, कांसा, हरे मूंग की दाल, घी, गौरवर्ण पुष्प, अंगूर, हाथी दांत इत्यादि सवस्त्र भोज्य सहित, दक्षिणा एवं मंत्र उच्चारण द्वारा दान करें। मंत्र -ॐ ऐं स्त्रीं श्रीं बुधाय। जपसंख्या-१७०००, देवी त्रिपुरसुन्दरी, अधिदेवता नारायण, प्रत्यधिदेवता विष्णु, अत्रिगोत्र, वैश्य, स्वर्णमूर्ति, धनुराकृति, सिंह वाहन, बुद्धदेवता, सरलकाष्ठ चन्दन, पुष्पादि पीतवर्ण, धुप गौघृत, देवदारुकाष्ठ, बलि दधि मिश्रित अन्न, समिध अपमार्ग, दक्षिणा स्वर्णखंड या सोना।

बुध के विषय में- 


बुध मिथुन और कन्या राशि के स्वामी है। ये एक बालक एवं सौम्य ग्रह है। इनका दिन बुधवार है। अश्लेषा, ज्येष्ठा तथा रेवती इनके तीन नक्षत्र है। रवि, शुक्र एवं शनि इनके मित्र ग्रह है। 










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