बुध पंचम भाव में (mercury in fifth house)

Kaushik sharma

बुध पंचम भाव में


बुध पंचम भाव में शुभ हो तो जातक बहुमित्र युक्त, चतुर, सुन्दर, सुशील, देवता, ब्राह्मण तथा गुरुजनों का भक्त, स्त्री -पुत्रादि के सुख से युक्त, कार्य-कुशल, प्रथम कन्या सन्तति वाला, धनवान, दानी, तीव्रबुद्धि वाला, सदाचारी सुखी, कवि, विद्वान् उद्योगी, परिश्रमी, वाद-विवाद में प्रवीण, मिष्टभाषी, कार्य-कुशल, अत्यंत बुद्धिमान परन्तु आडम्बरी, मन्त्र-विद्या में रुचि रखने वाला मातृ-सुख सम्पन्न, प्रतिष्ठित, यशस्वी, राजमन्त्री अपने बुद्धि-कौशल से लोगों को आश्चर्य चकित कर देने वाला, उत्तम परामर्शंदाता तथा कभी-कभी झगड़ालू स्वभाव वाला होता है। ऐसा व्यक्ति यान्त्रिक कलाओं का ज्ञाता तथा पाप कम में निरत भी हो सकता है। २५ वें या २९  वें मातृ कष्ट होता है। बुध अस्त अथवा शत्रु-दृष्ट हो तो पुत्र-शोक होता है। निर्बल अथवा पाप युक्त हो तो किसी को पुत्र-शोक के बाद दत्तक पुत्र लेने का योग भी उपस्थित हो सकता है। यदि राहु से युक्त हो तो जातक सट्टा खेलने वाला होता है। शनि से युक्त हो तो एक ही संतान या कन्या संतान मिलता है। बुध पाप ग्रह से युक्त अथवा दृष्ट हो तो जातक व्येसनी या जुआरी होता है। शुभ होने पर कैश धन प्रचुर मात्रा में मिलता है।


बुध विभिन्न भावों में-


बुध के विशेष उपाय -

पन्ना धारण करें या पारा या कलई धारण करें। नाक छिदवाए। लड़की, बहन, बुआ,मौसी की सेवा करें। दुर्गा पाठ करें या कन्याओं की सेवा करें। हलवा ,कद्दू (सीता फल) मंदिर में दान करें। हरे रंग की चीजों का दान करें। हिजड़ों की सेवा करें, भेड़, बकरी, तोते की सेवा करें। अंडा न खाएं। कांसे के कटोरी में सबूत हरी मूंग भरकर मंदिर में दान करें। बाजार के तोते वाले से एक जोड़ा तोता उसके बताएं हुए एक दाम में खरीदें तथा दाम कम कराएं और अश्विन के महीने के शुक्लपक्ष के बुधवार को राहुकाल रहित समय में वायु लग्न के उदय होने पर छोड़ दें। इससे बुध अति शुभ फलदायी बन जाते हैं। गोचर में जब कन्या राशि में बुध हों उस परिधि में प्राप्त कोई बुधवार अगर सर्वार्थसिद्धि योग या अमृतसिद्धि योग हो तो विशेष शुभ हो जाता हैं। भूलने की या स्मरण शक्ति दोष हों तो हमेशा एक नोटबुक साथ रखें तथा अपने महत्वपूर्ण चीजों को लिख लिया करें और इसके अलावा भी कई और कारणों से बुध ग्रह का अशुभ प्रभाव मिलता हैं। श्री गोपाल, श्री गणेश, देवी नील सरस्वती, नृसिंह, देवी त्रिपुरसुंदरी, बुद्ध और बुध देव की पूजा अर्चना करने पर भी बुध के अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता हैं।

बुध अशुभ कब होता है ?

धागे ताबीज़, जल, बिभूतियाँ (राख) अपने पास जेब में रखने से या घर में रखने से। पत्थरों के पिंड रखने से। पीतल के बर्तन कोरे बंद हो। बहन, लड़की का धन मार लेना या उनसे धन मांगना। क्रोध करना, गंदी या बद जुबान होना, हकलाना, पूछने पर जवाब न देना, वायदे का कच्चा होना। फ़ोन, कैलक्यूलेटर, घड़ी आदि सामान खराब होने पर। भेड़ बकरी का मांस खाने पर। घर में धर्म स्थान बदलने पर। किताबें चोरी करने पर। किसी बालक को मारना या सताने पर। तोते को मारने पर। घर में हरियाली बिल्कुल न होने पर।  याददाश्त कमजोर होने पर।

वेदों में बुध का दान -

नीला या हरा वस्त्र, स्वर्ण, कांसा, हरे मूंग की दाल, घी, गौरवर्ण पुष्प, अंगूर, हाथी दांत इत्यादि सवस्त्र भोज्य सहित, दक्षिणा एवं मंत्र उच्चारण द्वारा दान करें। मंत्र -ॐ ऐं स्त्रीं श्रीं बुधाय। जपसंख्या-१७०००, देवी त्रिपुरसुन्दरी, अधिदेवता नारायण, प्रत्यधिदेवता विष्णु, अत्रिगोत्र, वैश्य, स्वर्णमूर्ति, धनुराकृति, सिंहवाहन, बुद्धदेवता, सरलकाष्ठ चन्दन, पुष्पादि पीतवर्ण, धुप, गौघृत, देवदारुकाष्ठ, बलि दधि मिश्रित अन्न, समिध अपमार्ग, दक्षिणा स्वर्णखंड। 

बुध के विषय में- 

बुध मिथुन और कन्या राशि के स्वामी है। ये एक बालक एवं सौम्य ग्रह है। इनका दिन बुधवार है। अश्लेषा, ज्येष्ठा तथा रेवती इनके तीन नक्षत्र है। रवि शुक्र एवं शनि इनके मित्र ग्रह है। 


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