सूर्य नवम भाव में बलहीन और पाप युक्त हो तो जातक को अधार्मिक बनाता है। उसके धर्म कर्म या देवार्चना आडंबरों से परिपूर्ण होने पर भी हृदय भक्ति विहीन होता है। शुभ हो तो पिता के आदर्श को मानने वाला और अशुभ हो पिता के आदर्श का विरोधी एवं भ्राता से अशांति लाभ होता है। सूर्य उच्च, स्वक्षेत्रगत, मित्रगृहगत या बलवान बृहस्पति दृष्ट होने पर मनुष्य धार्मिक, पितृभक्त एवं स्वात्विक स्वभाव का होता है।जातक सुन्दर केशोंवाला, दीर्घायु, धनी, सुखी, दूसरों के धन से आनन्द करने वाला, दुष्टप्रकृति वाला, सदैव चिन्तित बना रहने वाला, सहोदर से सुख पानेवाला, सदैव सत्य बोलने वाला, पूर्व जन्म की पूण्य या तपस्या के कारण सुख पाने वाला होता है। अशुभ हो तो माता-पिता तथा गुरु जनों का द्वेषी, अपना धर्मं छोड़कर पराया धर्म स्वीकार करने वाला होता है। सूर्य विशेष शुभ होने पर योगी, तपस्वी, ज्योतिष में रुचि, कृषि-कुशल या पेड़-पौधे लगाने में कुशल,सदाचारी, श्रेष्ठ सूझ-बूझ बाला, उदार, साहसी, सदाचारी, स्वउपार्जित धन से धनी, सेवक-वाहन आदि के सुख पाने वाला होता है। सूर्य मेष या सिंह राशि का हो तो प्रवास से धन-लाभ या सम्पत्ति का लाभ, शास्त्रीय ज्ञान की अभिरुचि तथा कानून का ज्ञान आदि लाभ मिलते हैं। सूर्य उच्चस्थ, स्वग्रही अथवा शुभग्रहु युक्त हो तो उत्तम भाग्य की वृद्धि होती है। स्वराशिस्थ सूर्य भ्रातृ नाशक होता है, परन्तु यदि कोई भाई जीवित रहे तो वह अत्यन्त भाग्यशाली होता है । शुभ हो तो धर्मकृत्य का लाभ होता है। सूर्य स्वग्रही अथवा उच्चस्थ हो तो पिता की दीर्घायु होती हैं तथा जातक स्वयं ईश्वर-देव-गुरु का भक्त, मन धर्म-कर्म के विषय में तल्लीन एवं पिता की आयु को बढ़ाता है। नीचस्थ सूर्य भाग्य तथा धर्म नाशक एवं विरक्ति तथा चिंताकारक होता है। पापस्थ अथवा शत्रु क्षेत्री अथवा शत्रु से दृष्ट या युत सूर्य पिता या माता से शत्रुतापूर्ण व्यवहार कर पाप का भागी बनता है।
सूर्य विभिन्न भावों में-
सूर्य के विशेष उपाय -
सूर्य को प्रतिदिन लाल चंदन लगाकर जल अर्पित कर प्रणाम करें। तांबे या माणिक्य धारण करें। (मकर लग्न वालों) को छोड़कर। वैशाख मास के दूसरे रविवार से लगातार 43 दिन नित्य स्नानोपरांत रक्त चंदन आदि का तिलक लगाकर पूर्वमुखी बैठकर होकर "आदित्य हृदय" स्त्रोत्र का पाठ करें। घर का आंगन खुला रखना और पूर्व दिशा में दरवाजा होना। हरिवंश पुराण तथा रामचरित मानस की कथा करें या खुद पाठ करें। गेहूं, लाल चंदन, गन्ने का गुड़,ताम्बा, गुलाबी वस्त्र आदि का दान करें। लाल मुह वाले बंदर को रोटी में गन्ने का गुड़ रखकर को खिलाएं। घर के पूर्वी दिशा में खुला आंगन होने से। रवि पुष्यामृत योग में एक विल्व वृक्ष स्थिर लग्न में घर के वायुकोण के उत्तरी दिशा में रोपण करें और नित्य जल दान आदि से नियमित देख भाल करें। सदा सत्य का सहारा लें। मिथ्यावादी बनने से बचें। सूर्य दोष सेे सदैव बचे रहने के लिए ईमानदार होना और सात्विक होना जरूरी होता हैं क्योंकि सूर्य एक सात्विक ग्रह हैं। श्री राम, देवी मातंगी और सूर्यदेव की पूजा अर्चना हमेशा करते रहें। स्वात्विक आहार करें। मद्य, मांस आदि का त्याग करें।
सरकारी कार्यों में बाधा या विद्रोह उत्पन्न होना या खुद ही राजद्रोही होना। ब्लैक मार्केटर या स्मगलर होना, टैक्स की चोरी करना, शराबी-कबाबी होना, गरम स्वभाव का होना, झूठ बोलना या वादे का कच्चा होना, रक्त चाप का रोगी, नास्तिक होने से, मुकदमे में हारने से, मुफ्त माल पर नज़र रखना, आँखों के रोगों से परेशान, दक्षिण दिशा का मकान होने से, कुंडली में सूर्य से संबंधित पितृ दोष या कोई और दोष होने से।इन दोषों को कम करने के लिए सूर्य के इन उपायों को सहारा लें। इस ऊपर वर्णित कारणों के अलावा सूर्य के अशुभ होने के और भी कई सारे कारण हो सकते हैं जिसके लिए जन्म कुंडली आवश्यक होती हैं। जिनव्येक्तियों के जन्म कुंडली नही हैं वो भी इन उपायों का सहारा लेकर सूर्य दोष को प्रशमित कर सकतें हैं। निष्ठा और पवित्रता के साथ इन उपायों को रविवार के दिन करें।
वेदों में सूर्य का दान-
माणिक्य (आभाव में एक रुपए), गोधूम, सवत्स धेनु, कुसुम्भ रंजीत वस्त्र, गुड़, स्वर्ण, ताम्र, रक्तचंदन, रक्तपद्म, सवस्त्र भोज्य, दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें। सूर्य का वैदिक मंत्र ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय। जपसंख्या ६०००, देवी मातंगी, अधिदेवता शिव, प्रत्याधि देवता वन्हि, कश्यप गोत्र, क्षत्रिय, कॉलिंग, द्वादशांगूल, द्विभुज, मंडल मध्यवर्ती, वर्तुलाकृति, रक्तवर्ण, ताम्रमूर्ति, सप्ताश्वारुढ़, श्री रामचंद्र अवतार, पुष्पादि जवाकुसुम एवं रक्तवर्ण पुष्प, धुप गुगुल, बलि गुड़ मिश्रित अन्न, समिध श्वेतार्क, दक्षिणा आदि।
सूर्य के विषय में-
सूर्य सभी ग्रहो के स्वामी तथा संपूर्ण ब्रम्हांड के कर्ता है। इन्हे क्रूर और निर्दयी ग्रह कहा गया है। इनका वार रविवार हैं। यह मेष राशि में उच्च तथा तुला राशि इनका नीच स्थान है। कृतिका, उत्तरफाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा इनके तीन नक्षत्र है। बृहस्पति, चंद्र और मंगल इनके मित्र ग्रह है।
अन्य सभी ग्रह-
👉 सूर्य सभी घरों में
👉 चंद्र सभी घरों में
👉 मंगल सभी घरों में
👉 बुध सभी घरों में
👉 बृहस्पति सभी घरों में
👉 शुक्र सभी घरों में
👉 शनि सभी घरों में
👉 राहु सभी घरों में
👉 केतु सभी घरों में
👉 युरेनस सभी घरों में
👉 नेप्च्यून सभी घरों में
👉 प्लूटो सभी घरों में
अन्य सभी ग्रह-
👉 सूर्य सभी घरों में
👉 चंद्र सभी घरों में
👉 मंगल सभी घरों में
👉 बुध सभी घरों में
👉 बृहस्पति सभी घरों में
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👉 शनि सभी घरों में
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👉 युरेनस सभी घरों में
👉 नेप्च्यून सभी घरों में
👉 प्लूटो सभी घरों में