सूर्य दशम भाव में बलवान हो तो राजकीय कार्य या सरकारी नौकरी या कर्म को प्राप्त कर यश का लाभ कराता है। जातक सर्वकर्म में योग्य और ख्यातिमान इंसान बनता है। जातक उद्योगी, गुणवान, अभिमान सहित कार्य करने वाला, नृत्य गीतादि में रुचि रखने वाला राजा के समान सब कार्यों में सहज-सफलता प्राप्त करने वाला प्रेमीजनों का वियोग तथा माता से कष्ट पाने वाला, चित्त में ग्लानियुक्त, श्रेष्ठ बुद्धि वाला, आयु के अन्तिम भाग मे रोगी, पितृ सुख एवं धन का लाभ पाने वाला, शूर-वीर, सात्विक बुद्धि, लेखक, कला-कौशल से प्रेम रखने वाला तथा सरकारी नौकरी में उच्च पद पाने वाला होता है। सूर्य अत्यन्त शुभ हों ऐसा व्यक्ति राजमान्य, राजमन्त्री, नगर-निर्माता, सन्ततिवान्,कुशल व्यवसायी अत्यन्त साहसी, संगीत -प्रिय, लोकमान्य, धन-धान्य सेवक मणि-भूमि आदि के सुंख से सम्पन्न तथा सुप्रसिद्ध होता है। सु्र्य वृष राशि का हो तो जातक कृषि-कर्म करने वाला, कर्क राशि का हो तो जल-यात्रा से लाभ पाने वाला, मेष या सिंह राशि का हो तो हिंसक अथवा तथा नीच तुला राशि का हो तो पिता से अल्प सुख पाने वाला होता है। युवाकाल में विद्या के कारण प्रसिद्धि प्राप्त होती है। पिता को कष्ट होता है। यदि सूर्यं उच्चस्थ या स्वग्रही हो तो जातक बलवान, यशस्वी तथा भवन-मन्दिर, जलाशय आदि का निर्माण कराने या अन्य निर्माण कार्य के कारण प्रसिद्धि प्राप्त करने वाला होता है। सूर्य पापयुक्त अथवा पापदृष्ट हो तो जातक पापी, नीच, भ्रष्ट तथा दुष्ट स्वभाव का होता है। यदि सूर्य पर तीन शुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो जातक पराक्रमी, प्रसिद्ध, कार्यकुशल सरकारी कर्म या सरकारी गणमान्य व्येक्तिओं का प्रियपात्र होता है।
सूर्य विभिन्न भावों में-
सूर्य के विशेष उपाय-
सूर्य को प्रतिदिन लाल चंदन लगाकर जल अर्पित कर प्रणाम करें। तांबे या माणिक्य धारण करें। ( मकर लग्न वालों ) को छोड़कर। वैशाख मास के दूसरे रविवार से लगातार 43 दिन नित्य स्नानोपरांत रक्त चंदन आदि का तिलक लगाकर पूर्वमुखी बैठकर होकर "आदित्य हृदय" स्त्रोत्र का पाठ करें।घर का आंगन खुला रखना और पूर्व दिशा में दरवाजा होना। हरिवंश पुराण तथा रामचरित मानस की कथा करें या खुद पाठ करें। गेहूं, लाल चंदन, गन्ने का गुड़,ताम्बा, गुलाबी वस्त्र आदि का दान करें। लाल मुह वाले बंदर को रोटी में गन्ने का गुड़ रखकर को खिलाएं। घर के पूर्वी दिशा में खुला आंगन होने से। रवि पुष्यामृत योग में एक विल्व वृक्ष स्थिर लग्न में घर के वायुकोण के उत्तरी दिशा में रोपण करें और नित्य जल दान आदि से नियमित देख भाल करें। सदा सत्य का सहारा लें। मिथ्यावादी बनने से बचें। सूर्य दोष सेे सदैव बचे रहने के लिए ईमानदार होना और सात्विक होना जरूरी होता हैं क्योंकि सूर्य एक सात्विक ग्रह हैं। श्री राम, देवी मातंगी और सूर्यदेव की पूजा अर्चना हमेशा करते रहें। स्वात्विक आहार करें। मद्य, मांस आदि का त्याग करें।
सूर्य अशुभ कब होता है ?
सरकारी कार्यों में बाधा या विद्रोह उत्पन्न होना या खुद ही राजद्रोही होना। ब्लैक मार्केटर या स्मगलर होना, टैक्स की चोरी करना, शराबी-कबाबी होना, गरम स्वभाव का होना, झूठ बोलना या वादे का कच्चा होना, रक्त चाप का रोगी, नास्तिक होने से, मुकदमे में हारने से, मुफ्त माल पर नज़र रखना, आँखों के रोगों से परेशान, दक्षिण दिशा का मकान होने से, कुंडली में सूर्य से संबंधित पितृ दोष या कोई और दोष होने से। इन दोषों को कम करने के लिए सूर्य के इन उपायों को सहारा लें । इस ऊपर वर्णित कारणों के अलावा सूर्य के अशुभ होने के और भी कई सारे कारण हो सकते हैं जिसके लिए जन्म कुंडली आवश्यक होती हैं। जिनव्येक्तियों के जन्म कुंडली नही हैं वो भी इन उपायों का सहारा लेकर सूर्य दोष को प्रशमित कर सकतें हैं। निष्ठा और पवित्रता के साथ इन उपायों को रविवार के दिन करें।
वेदों में सूर्य का दान -
माणिक्य ( आभाव में एक रुपए ), गोधूम, सवत्स धेनु, कुसुम्भ रंजीत वस्त्र, गुड़, स्वर्ण, ताम्र, रक्तचंदन, रक्तपद्म, सवस्त्र भोज्य, दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें। सूर्य का वैदिक मंत्र ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय। जपसंख्या ६०००, देवी मातंगी , अधिदेवता शिव, प्रत्याधि देवता वन्हि, कश्यप गोत्र, क्षत्रिय,कॉलिंग, द्वादशांगूल, द्विभुज, मंडल मध्यवर्ती, वर्तुलाकृति, रक्तवर्ण, ताम्रमूर्ति, सप्ताश्वारुढ़, श्री रामचंद्र अवतार, पुष्पादि जवाकुसुम एवं रक्तवर्ण पुष्प, धुप गुगुल, बलि गुड़ मिश्रित अन्न, समिध श्वेतार्क, दक्षिणा आदि।
सूर्य के विषय में -
सूर्य सभी ग्रहो के स्वामी तथा संपूर्ण ब्रम्हांड के कर्ता है। इन्हे क्रूर और निर्दयी ग्रह कहा गया है। इनका वार रविवार हैं। यह मेष राशि में उच्च तथा तुला राशि इनका नीच स्थान है। कृतिका, उत्तरफाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा इनके तीन नक्षत्र है। बृहस्पति, चंद्र और मंगल इनके मित्र ग्रह है।
अन्य सभी ग्रह-