सूर्य एकादश भाव में हो तो जातक रूपवान्, कृश शरीर, सुन्दर नेत्रों वाला, चंचल, संगीत प्रेमी, सेवक, स्त्री तथा वाहनादि के सुख से युक्त, गुणग्राही, अत्यन्त धनवान, स्त्रियों का प्रिय, उच्चाधिकारी, राज्य या राजा द्वारा सम्नानित, संगीत प्रिय, धनी, सुखी, सत्कर्म करने वाला, वाहन-सुख सम्पन्न, प्रसिद्ध, अनेक प्रकार के द्रव्य-लाभ प्राप्त करने वाला, परम- प्रतापी, शत्रु नाशक, परन्तु सन्तान पक्ष से दुःखी अथवा अल्प-सन्ततिवान, बुद्धिमान, जितेन्त्रय, धर्मशील, श्रेष्ठविद्वान्, उत्तम पदार्थों का भोक्ता, सुन्दर पत्नी वाला, ईमानदारी के कारण अधिकार प्राप्त करने वाला राजा अथवा धनिक लोगों का स्नेह एवं विश्वास पात्र तथा गुप्त-मन्त्रणादाता, स्वाभिमानी, उदर रोगी, मितभाषी, तपस्वी तथा अनेक शत्रुओं से युक्त होता है । सूर्य स्वग्रही अथवा उच्चस्थ हो तो राजा या सरकार आदि से लाभ पाने वाला अथवा श्रेष्ठ उपायों से धन-लाभ प्राप्त करने वाला होता है । सूर्य निर्बल हो तो अनिष्ट फल प्राप्त होता है। यदि सूर्य के साथ चतुर्थेश की युति हो तो जातक अनेक प्रकार के पदार्थ एवम् धन को प्राप्त करने वाला है ।
सूर्य के विशेष उपाय -
सूर्य को प्रतिदिन लाल चंदन लगाकर जल अर्पित कर प्रणाम करें। तांबे या माणिक्य धारण करें। ( मकर लग्न वालों ) को छोड़कर। वैशाख मास के दूसरे रविवार से लगातार 43 दिन नित्य स्नानोपरांत रक्त चंदन आदि का तिलक लगाकर पूर्वमुखी बैठकर होकर "आदित्य हृदय" स्त्रोत्र का पाठ करें।घर का आंगन खुला रखना और पूर्व दिशा में दरवाजा होना। हरिवंश पुराण तथा रामचरित मानस की कथा करें या खुद पाठ करें। गेहूं, लाल चंदन, गन्ने का गुड़,ताम्बा, गुलाबी वस्त्र आदि का दान करें। लाल मुह वाले बंदर को रोटी में गन्ने का गुड़ रखकर को खिलाएं। घर के पूर्वी दिशा में खुला आंगन होने से। रवि पुष्यामृत योग में एक विल्व वृक्ष स्थिर लग्न में घर के वायुकोण के उत्तरी दिशा में रोपण करें और नित्य जल दान आदि से नियमित देख भाल करें। सदा सत्य का सहारा लें। मिथ्यावादी बनने से बचें। सूर्य दोष सेे सदैव बचे रहने के लिए ईमानदार होना और सात्विक होना जरूरी होता हैं क्योंकि सूर्य एक सात्विक ग्रह हैं । श्री राम, देवी मातंगी और सूर्यदेव की पूजा अर्चना हमेशा करते रहें। स्वात्विक आहार करें। मद्य, मांस आदि का त्याग करें।
सूर्य कब अशुभ होता है ?
सूर्य कब अशुभ होता है ?
सरकारी कार्यों में बाधा या विद्रोह उत्पन्न होना या खुद ही राजद्रोही होना । ब्लैक मार्केटर या स्मगलर होना, टैक्स की चोरी करना, शराबी-कबाबी होना, गरम स्वभाव का होना, झूठ बोलना या वादे का कच्चा होना, रक्त चाप का रोगी, नास्तिक होने से, मुकदमे में हारने से, मुफ्त माल पर नज़र रखना, आँखों के रोगों से परेशान, दक्षिण दिशा का मकान होने से, कुंडली में सूर्य से संबंधित पितृ दोष या कोई और दोष होने से । इन दोषों को कम करने के लिए सूर्य के इन उपायों को सहारा लें । इस ऊपर वर्णित कारणों के अलावा सूर्य के अशुभ होने के और भी कई सारे कारण हो सकते हैं जिसके लिए जन्म कुंडली आवश्यक होती हैं। जिनव्येक्तियों के जन्म कुंडली नही हैं वो भी इन उपायों का सहारा लेकर सूर्य दोष को प्रशमित कर सकतें हैं।
वेदों में सूर्य का दान-
माणिक्य ( आभाव में एक रुपए ), गोधूम, सवत्स धेनु, कुसुम्भ रंजीत वस्त्र, गुड़, स्वर्ण, ताम्र, रक्तचंदन,रक्तपद्म, सवस्त्र भोज्य, दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें। सूर्य का वैदिक मंत्र ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय। जपसंख्या ६०००, देवी मातंगी, अधिदेवता शिव, प्रत्याधि देवता वन्हि, कश्यप गोत्र, क्षत्रिय,कॉलिंग, द्वादशांगूल, द्विभुज, मंडल मध्यवर्ती, वर्तुलाकृति, रक्तवर्ण, ताम्रमूर्ति, सप्ताश्वारुढ़, श्री रामचंद्र अवतार, पुष्पादि जवाकुसुम एवं रक्तवर्ण पुष्प, धुप गुगुल, बलि गुड़ मिश्रित अन्न, समिध श्वेतार्क, दक्षिणा आदी।
सूर्य के विषय में-
सूर्य सभी ग्रहो के स्वामी तथा संपूर्ण ब्रम्हांड के कर्ता है। इन्हे क्रूर और निर्दयी ग्रह कहा गया है। इनका वार रविवार हैं। यह मेष राशि में उच्च तथा तुला राशि इनका नीच स्थान है। कृतिका, उत्तरफाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा इनके तीन नक्षत्र है। बृहस्पति, चंद्र और मंगल इनके मित्र ग्रह है।