सूर्य छठे भाव में (sun in sixth house)

Kaushik sharma
      
सूर्य छठे भाव में


सूर्य छठे भाव में शुभ हो तो जातक शत्रु दमनकारी, विक्रमी एवं सर्वदा सुखी, सुन्दर वाहन की प्राप्ति एवं सत्यगुण सम्पन्न होता है। श्री रमेश दैवज्ञ के अनुसार शत्रुहानी और मातुल (मामा) के कुल से हानि या संबंध विहीन होती है तथा व्येक्ति राज सन्मान प्राप्त करने पर भी नारी समाज में सन्मान लाभ नही होता। जीवन में विदेश या स्वदेश यात्रा के दौरान पथ में शत्रु या किसी और कारण से क्लेश उपस्थित होता है। मित्र एवं चतुष्पाद (चार पैरों वाला) जन्तु या पशु द्वारा जातक को दुःख नसीब होता है। शनि राहु या केतु से दृष्ट होने पर आकस्मिक दुर्घटना या अपयश का लाभ होता है। मामा के कुल के साथ शत्रुता बढ़ती है। गुरु दृष्ट सूर्य शुभ फलदायी होते है। जातक उत्तम रूप तथा दृढ़ देह वाला, मितभाषी, ज्ञानियों में श्रेष्ठ, विलासी, गुणवान्, शत्रु-नाशक, राजकीय कार्यों अथवा मित्रों के लिये अधिक खर्च करने वाला अपने परिजनों का पोषक, उत्तम गृहसुख पाने वाला विद्वान्, मातृपक्ष (ननसाल) से धनप्राप्त करने वाला, स्वाभिमानी, राज्य द्वारा सन्मानित, शूर-वीर, नौकरी से लाभ कमाने वाला, विख्यात, धनी, सतोगुणी, चिकित्सा शास्त्र का प्रेमी, आचारवान्, आनन्दी प्रकृति का, न्यायी, सुखी, अधिक भोजन करने वाला, निरोगी, पूर्ण सुख पाने वाला, कुटुम्ब प्रेमी तथा स्पष्टवक्ता होने के कारण अनेक लोगों को अपना शत्रु बना लेने वाला होता है।          

     

सूर्य के विशेष उपाय -

सूर्य को प्रतिदिन लाल चंदन लगाकर जल अर्पित कर प्रणाम करें। तांबे या माणिक्य धारण करें। ( मकर लग्न वालों ) को छोड़कर। वैशाख मास के दूसरे रविवार से लगातार 43 दिन नित्य स्नानोपरांत रक्त चंदन आदि का तिलक लगाकर पूर्वमुखी बैठकर होकर "आदित्य हृदय" स्त्रोत्र का पाठ करें। घर का आंगन खुला रखना और पूर्व दिशा में दरवाजा होना। हरिवंश पुराण तथा रामचरित मानस की कथा करें या खुद पाठ करें। गेहूं, लाल चंदन, गन्ने का गुड़,ताम्बा, गुलाबी वस्त्र आदि का दान करें। लाल मुह वाले बंदर को रोटी में गन्ने का गुड़ रखकर को खिलाएं। घर के पूर्वी दिशा में खुला आंगन होने से। रवि पुष्यामृत योग में एक विल्व वृक्ष स्थिर लग्न में घर के वायुकोण के उत्तरी दिशा में रोपण करें और नित्य जल दान आदि से नियमित देख भाल करें। सदा सत्य का सहारा लें। मिथ्यावादी बनने से बचें। सूर्य दोष सेे सदैव बचे रहने के लिए ईमानदार होना और सात्विक होना जरूरी होता हैं क्योंकि सूर्य एक सात्विक ग्रह हैं। श्री राम, देवी मातंगी और सूर्यदेव की पूजा अर्चना हमेशा करते रहें। स्वात्विक आहार करें। मद्य, मांस आदि का त्याग करें।


सूर्य कब अशुभ होता है ?

सरकारी कार्यों में बाधा या विद्रोह उत्पन्न होना या खुद ही राजद्रोही होना। ब्लैक मार्केटर या स्मगलर होना, टैक्स की चोरी करना, शराबी-कबाबी होना, गरम स्वभाव का होना, झूठ बोलना या वादे का कच्चा होना, रक्त चाप का रोगी, नास्तिक होने से, मुकदमे में हारने से, मुफ्त माल पर नज़र रखना, आँखों के रोगों से परेशान, दक्षिण दिशा का मकान होने से, कुंडली में सूर्य से संबंधित पितृ दोष या कोई और दोष होने से। इन दोषों को कम करने के लिए सूर्य के इन उपायों को सहारा लें । इस ऊपर वर्णित कारणों के अलावा सूर्य के अशुभ होने के और भी कई सारे कारण हो सकते हैं जिसके लिए जन्म कुंडली आवश्यक होती हैं। जिनव्येक्तियों के जन्म कुंडली नही हैं वो भी इन उपायों का सहारा लेकर सूर्य दोष को प्रशमित कर सकतें हैं। निष्ठा और पवित्रता के साथ इन उपायों को रविवार के दिन करें।


वेदों में सूर्य का दान-

माणिक्य ( आभाव में एक रुपए ), गोधूम, सवत्स धेनु, कुसुम्भ रंजीत वस्त्र, गुड़, स्वर्ण, ताम्र, रक्तचंदन, रक्तपद्म, सवस्त्र भोज्य, दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें । सूर्य का वैदिक मंत्र ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय। जपसंख्या ६०००, देवी मातंगी , अधिदेवता शिव , प्रत्याधि देवता वन्हि, कश्यप गोत्र, क्षत्रिय, कॉलिंग, द्वादशांगूल, द्विभुज, मंडल मध्यवर्ती, वर्तुलाकृति, रक्तवर्ण, ताम्रमूर्ति, सप्ताश्वारुढ़, श्री रामचंद्र अवतार, पुष्पादि जवाकुसुम एवं रक्तवर्ण पुष्प, धुप गुगुल, बलि गुड़ मिश्रित अन्न, समिध श्वेतार्क, दक्षिणा आदि।


सूर्य के विषय में-

सूर्य सभी ग्रहो के स्वामी तथा संपूर्ण ब्रम्हांड के कर्ता है। इन्हे क्रूर और निर्दयी ग्रह कहा गया है। इनका वार रविवार हैं। यह मेष राशि में उच्च तथा तुला राशि इनका नीच स्थान है। कृतिका, उत्तरफाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा इनके तीन नक्षत्र है। बृहस्पति, चंद्र और मंगल इनके मित्र गृह है।  


















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