सूर्य चतुर्थ भाव में शुभ हो तो शोभाधिकारी और मित्र एवं बंधुजनों से प्रेम संपर्क में आबद्ध तथा अशुभ होने पर वैर भाव उत्पन्न करता है। जातक प्रवासी होता है। विपक्ष से झगड़ा होने पर सन्मान की हानि होती है और सर्वदा अशांत मन वाला होता है। अशुभ भाव के स्वामी होकर चतुर्थ में हो तो पिता का अल्प सुख पाने वाला, वान्धवों से कलह करने वाला, परदेश में रहने वाला, शत्रु द्वारा अपमानित, अशान्त चित्त एवं मलिन-स्वभाव वाला, घमंडी, कपटी, अकारण विवाद-प्रिय, गीत-वाद्य में निपुण, स्त्री द्वारा सुख न पाने वाला, पितृ-धन हीन, भाई-बहिनों के सुख से रहित, मानहानि पाने वाला, भ्रमणशील, गृह-सुख-हीन, आत्मीय जनो से उपेक्षित ,सुन्दर परन्तु विकृत-अङ्ग अथवा अंगहीन, दुर्बल परन्तु संग्राम में स्थिर रहने वाला, बहुस्त्रीगामी, गुप्त विद्या में रुचि रखने वाला होता है।शुभ सूर्य से प्रतिष्ठित तथा विख्यात व्येक्ति होता हैं। सूर्य उच्चस्थ शुभग्रह युक्त अथवा दृष्ट हो तो जातक ढलती आयु में राजा या राजतुल्य व्येक्ति द्वारा सम्मान पाने वाला, धनी, जमीन जायदाद तथा मकान का सुख पाने वाला परंतु मातृ सूख में कमी पाने वाला तथा सदेव चिन्तामग्न रहने वाला भी होता है । सूर्य स्वग्रही हो अथवा चतुर्थेश बली ग्रह से युक्त अथवा केन्द्र या त्रिकोण में हो तो जातक को वाहनादि का सुख मिलता है। चतुर्थ भाव पर पापग्रह की दृष्ट हो तो सामान्य सवारी का सुख प्राप्त होता है।
सूर्य विभिन्न भावों में-
लालकिताब में सूर्य चतुर्थ भाव का फल-
सूर्य शुभ हो तथा गुरु दशम भाव में हो तो दशमस्थ गुरु के प्रभाव की वृद्धि करेगा तथा सामाजिक तथा सत्ता से लाभांवित होगा। शनि अगर सप्तम भाव में होगा तो कमजोर और नपुंसक बनाएगाऔर रतौंधी जेसी बीमारियां देगा। जो काम बाप दादा या पूर्वजों ने भी नहीं किये जातक ऐसे कार्य करेगा। सूर्य बलवान होगा तो ईमानदार होगा तथा अशुभ होने पर माता या बहन को कष्ट होगा। उच्च का सूर्य होगा तो प्रसाशन से लाभ होगा तथा ईमानदार तथा दयावान होगा। सूर्य गुरु एक साथ होने पर सोना, चांदी और कपड़ें के व्यापार से मुनाफा होगा। गुरु पहले घर में होगा तो घर में अग्निकांड होगा।
लालकिताब में चतुर्थ भाव के सूर्य का उपाय-
अंधों को अन्न तथा रोटी दान में दें।
शराब, मांस, मदिरा का त्याग करे।
खाकी कपड़े में शीशे का सिक्का डालकर गले में पहने।
सूर्य के अन्य विशेष उपाय-
सूर्य को प्रतिदिन लाल चंदन लगाकर जल अर्पित कर प्रणाम करें। तांबा या माणिक्य धारण करें। ( मकर लग्न वालों ) को छोड़कर। वैशाख मास के दूसरे रविवार से लगातार ४३ दिन नित्य स्नानोपरांत रक्त चंदन आदि का तिलक लगाकर पूर्वमुखी बैठकर "आदित्य हृदय" स्त्रोत्र का पाठ करें। घर का आंगन खुला और पूर्व दिशा में दरवाजा रखें। हरिवंश पुराण तथा रामचरित मानस की कथा करें या खुद पाठ करें। गेहूं, लाल चंदन, गन्ने का गुड़, ताम्बा, गुलाबी वस्त्र आदि का दान करें। लाल मुह वाले बंदर को रोटी में गन्ने का गुड़ रखकर को खिलाएं। रविपुष्यामृत योग में एक विल्व वृक्ष स्थिर लग्न में घर के वायुकोण के उत्तरी दिशा में रोपण करें और नित्य जल दान आदि से नियमित देख भाल करें। सदा सत्य का सहारा लें। मिथ्यावादी बनने से बचें। सूर्य दोष सेे सदैव बचे रहने के लिए ईमानदार होना और सात्विक होना जरूरी होता हैं क्योंकि सूर्य एक सात्विक ग्रह हैं। श्री राम, देवी मातंगी और सूर्यदेव की पूजा अर्चना हमेशा करते रहें। स्वात्विक आहार करें। मद्य, मांस, मदिरा का त्याग करें। सूर्य अशुभ हो तो राजनीति से बचें। पिता की देखभाल करें।
सूर्य कब अशुभ होता है ?
सरकारी कार्यों में बाधा या विद्रोह उत्पन्न होना या खुद ही राजद्रोही होना। ब्लैक मार्केटर या स्मगलर होना, टैक्स की चोरी करना, शराबी-कबाबी होना, गरम स्वभाव का होना, झूठ बोलना या वादे का कच्चा होना, रक्त चाप का रोगी, नास्तिक होने से, मुकदमे में हारने से, मुफ्त माल पर नज़र रखना, आँखों के रोगों से परेशान, दक्षिण दिशा का मकान होने से, कुंडली में सूर्य से संबंधित पितृ दोष या कोई और दोष होने से । इन दोषों को कम करने के लिए सूर्य के इन उपायों को सहारा लें । इस ऊपर वर्णित कारणों के अलावा सूर्य के अशुभ होने के और भी कई सारे कारण हो सकते हैं जिसके लिए जन्म कुंडली आवश्यक होती हैं। जिनव्येक्तियों के जन्म कुंडली नही हैं वो भी इन उपायों का सहारा लेकर सूर्य दोष को प्रशमित कर सकतें हैं । निष्ठा और पवित्रता के साथ इन उपायों को रविवार के दिन करें।
वेदों में सूर्य का दान-
माणिक्य ( आभाव में एक रुपए ), गोधूम, सवत्स धेनु, कुसुम्भरंजीत वस्त्र, गुड़, स्वर्ण, ताम्र, रक्तचंदन, रक्तपद्म, सवस्त्र भोज्य, दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें। सूर्य का वैदिक मंत्र ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय। जपसंख्या ६०००, देवी मातंगी, अधिदेवता शिव, प्रत्याधि देवता वन्हि, कश्यप गोत्र, क्षत्रिय, कॉलिंग, द्वादशांगूल, द्विभुज, मंडल मध्यवर्ती, वर्तुलाकृति, रक्तवर्ण, ताम्रमूर्ति, सप्ताश्वारुढ़, श्री रामचंद्र अवतार, पुष्पादि जवाकुसुम एवं रक्तवर्ण पुष्प, धुप गुगुल, बलि गुड़ मिश्रित अन्न, समिध श्वेतार्क, दक्षिणा आदि।
सूर्य के विषय में-
सूर्य सभी ग्रहो के स्वामी तथा संपूर्ण ब्रम्हांड के कर्ता है। इन्हे क्रूर और निर्दयी ग्रह कहा गया है। इनका वार रविवार हैं। यह मेष राशि में उच्च तथा तुला राशि इनका नीच स्थान है। कृतिका, उत्तरफाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा इनके तीन नक्षत्र है। बृहस्पति, चंद्र और मंगल इनके मित्र गृह है।
अन्य सभी ग्रह-
👉 सूर्य सभी घरों में
👉 चंद्र सभी घरों में
👉 मंगल सभी घरों में
👉 बुध सभी घरों में
👉 बृहस्पति सभी घरों में
👉 शुक्र सभी घरों में
👉 शनि सभी घरों में
👉 राहु सभी घरों में
👉 केतु सभी घरों में
👉 युरेनस सभी घरों में
👉 नेप्च्यून सभी घरों में
👉 प्लूटो सभी घरों में
👉 सूर्य सभी घरों में
👉 चंद्र सभी घरों में
👉 मंगल सभी घरों में
👉 बुध सभी घरों में
👉 बृहस्पति सभी घरों में
👉 शुक्र सभी घरों में
👉 शनि सभी घरों में
👉 राहु सभी घरों में
👉 केतु सभी घरों में
👉 युरेनस सभी घरों में
👉 नेप्च्यून सभी घरों में
👉 प्लूटो सभी घरों में