चंद्र पंचम भाव में बलवान हों तो जातक इन्द्रियविजयी, आनंदी, हँसमुख, धनी एवं संतानादि से सम्पन्न होता है। वह सत्यवादी एवं दिमागी रूप से शांत रहता है। उसकी बुद्धि निर्मल होती है। धन वृद्धि के लिए उसके प्रयास सफल होते है एवं व्यवसाय से धनादि का लाभ होता रहता है। क्षीण या अशुभ चंद्र से बुद्धि की चंचलता वृद्धि व सूक्ष्म विचार रहित होता है। चंद्र बाली हों तो जतक तेजस्वी शरीर वाला, बलवान्, धन-रत्न-भूमि, बाहन एवं सन्तान का उत्तम सुख प्राप्त करने वाला, लज्जाशील, निर्मल बुद्धि, व्यवसाय आदि से अनेक प्रकारों से धनोपार्जन करने वाला, जितेन्द्रिय, आडम्बरी, प्रेमी, पशु-सुखी, अनेक वस्तुओं का संग्रह करने वाला, क्षमाशील, अधिक कन्या सन्तति वाला, प्रसन्न चित्त रहता है।
शुभ चंद्र से जातक ऐश्वर्यशाली, बली, सुकर्मी, भाग्यवान, ज्ञानी तथा राजयोग वाला होता है। धनु या मीन का चद्रमा हो तो धर्म पर श्रद्धा होती है। चंद्र शुभग्रह से युक्त अथवा दृष्ट हो तो जातक नम्र तथा दयालु-स्वभाव का होता है। वृष का चन्द्रमा वस्त्र, स्त्री तथा पुत्र का विशेष सुख देता है और क्षीण चन्द्र हो तो जातक स्त्री तथा संतान सुख से हीन होता है। उसकी कन्याएं हों तो कन्याएं चंचल स्वभाव की होती हैं। चन्द्रभा गुरु के साथ हो तो निष्फल होता है तथा पुत्र सूख में बाधा पड़ती है। शनिदृष्ट तो जातक ठग होता है। पापग्रह से युक्त अथवा दृष्ट हो तो सन्तान-रहित तथा दुष्ट स्वभाव का हाता है। पंचम भाव में गुरु यूक्त चन्द्रमा निष्फल होता है।
चंद्र विभिन्न भावों में-
चंद्र के अन्य विशेष उपाय-
सफेद मोती या चांदी धारण करना ( धनु लग्न वालों ) को छोड़कर। शिव आराधना व पूजा करें। शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि के संध्या के समय शिव की आराधना करने से आशुतोष शंकर की कृपा अवश्य होती हैं। चारपाई के पायों में चांदी की कील लगाना। कीकर के वृक्ष में दूध या पानी डालना। माता, नानी, दादी, सास, विधवा स्त्री की सेवा करना। घर की छत पर चौरस टंकी लगवाना। चांदी के बर्तन में दूध पीएं या पानी पिएं। चलते पानी में स्नान करें। घर में जेट पम्प लगवाना। पहाड़ की सैर करना। बर्षा का पानी चावल, ठोस चांदी घर पर रखें। सफेद रंग की चीजों का दान करें। चंद्र दोष से बचने के श्री कृष्ण, महादेव, कमला माता और चंद्र देव की पूजा अर्चना अवश्य करें। शरद पूर्णिमा के दिन घर पर कर्पूर, सफेद मिश्री युक्त चावल की खीर बनाकर एक रजत पत्र (चांदी की थाली) में रखकर घर के छत पर पूर्ण चंद्र दिखने पर अर्पित करें इसे रातभर पूर्णिमा की चाँदनी के नीचे रखें तथा सुबह परिवार के सभी सदस्यों में बाट दें और खुद भी थोड़ा खा लें। हर पूर्णिमा के रात को चंद्र को 10 /15 मिनट बिना पलक झपकाएं देखें। मन को असीम शांति का अनुभव होगा और मानसिक विकार से मुक्ति मिलेगी। चंद्र देव के प्रियफूल रात को खिलनेवाली सफेद कुमुद हैं इसके अलावा सफेद शंखपुष्पी भी चंद्र देव का अत्यधिक प्रिय फुल माना जाता हैं। इनके न मिलने पर किसी दूसरे सफेद फूलों से पूजा कर सकते हैं। चंद्र देव को अर्पित पुष्प या फूल लाल रंग वाले नहीं होने चाहिए। जन्म कुंडली में शनि-चंद्र योग हो या चंद्र अशुभ हो तो ब्रम्हमुहूर्त में स्नान और शाम होने पहले भी स्नान करते रहना चाहिये। शुक्ल त्रयोदशी के शाम के समय शिव पूजा करते रहें। जल और सफेद गाय के कच्चे दूध, चावल, दूध से बनी सफेद मिठाई, गंगा जल या शुद्ध जल महादेव को अर्पित करें तो देवादिदेव महादेव के कृपा का पात्र बन जाता हैं और प्रबल मानसिक शांति मिलती हैं। जन्मदात्री माता के नियमित सेवा से चंद्र शुभ फलदायी बन जातें हैं। मनको शांत रखने की हमेशा कोशिश करते रहें। वास्तु के अनुसार घर के उत्तर दिशा में एक मछली कुंड या एक्वेरियम रखने से घर में शांति रहने तथा आय वृद्धि में मदद मिलती हैं।
चंद्र अशुभ कब होता हैं ?
घर के सुख में कमी लाने। माता या विधवा स्त्री से झगड़ा करना, दूध में पानी मिलाने से, सीढ़ियों के नीचे पानी का साधन रखना या कुआ आदि। पहाड़ की यात्रा में नुकशान हो जाए। घर में धर्मस्थान बनाया हो। श्राद्ध न करने से। घर में ईश्वर की मूर्ति रखकर घंटी बजाकर पूजा करने से ल। मानसिक रोग और संतानसुख में कमी। घर की छत पर गोल टंकी बनी हो। गुर्दे के रोग इत्यादि। मानसिक अशांति व चिन्ता की वृद्धि होने पर।
वेदों में चंद्र का दान-
रजत पत्र में चावल, कर्पूर, मुक्ता, शुक्ल वस्त्र (शवेत वस्त्र), चांदी, सफ़ेद गाभी (वृष) आभाव होने पर सवा रुपये, घृत परिपूर्ण कुम्भ, स्वेतवस्त्र सहित भोज्य (भोजन) तथा दक्षिणा इत्यादि सभी वस्तुओं को मंत्र द्वारा दान करें। चंद्र मंत्र- ॐ ऐं क्लिं सोमाय, देवी कमला, अधिदेवता उमा, प्रत्यधिदेवता जल, अत्रि गोत्र, वैश्य, समुद्र, द्विभुज, हस्तप्रमाण, अग्निकोण में अर्धचंद्र आकृति, श्वेतवर्ण, दशाश्वोपरी, श्वेत पद्मस्थ, श्री कृष्ण अवतार। पुष्पादि श्वेतवर्ण, स्फटिक मूर्ति, धुप सरलकाष्ठ, बलि घृत मिश्रित खीर, समिध पलाश, दक्षिणा शंख।
चंद्र के विषय में -
चंद्र सम्पूर्ण ब्रम्हांड का मातृ स्वरुप ग्रह है। इन्हे सौम्य और शीतल ग्रह कहा गया है। इनका वार सोमवार है। यह वृष राशि में उच्च तथा वृश्चिक राशि इनका नीच स्थान है। रोहिणी, हस्ता तथा श्रवणा इनके तीन नक्षत्र है। बृहस्पति, सूर्य, इनके मित्र ग्रह है।
अन्य सभी ग्रह-
👉 सूर्य सभी घरों में
👉 चंद्र सभी घरों में
👉 मंगल सभी घरों में
👉 बुध सभी घरों में
👉 बृहस्पति सभी घरों में
👉 शुक्र सभी घरों में
👉 शनि सभी घरों में
👉 राहु सभी घरों में
👉 केतु सभी घरों में
👉 युरेनस सभी घरों में
👉 नेप्च्यून सभी घरों में
👉 प्लूटो सभी घरों में
👉 सूर्य सभी घरों में
👉 चंद्र सभी घरों में
👉 मंगल सभी घरों में
👉 बुध सभी घरों में
👉 बृहस्पति सभी घरों में
👉 शुक्र सभी घरों में
👉 शनि सभी घरों में
👉 राहु सभी घरों में
👉 केतु सभी घरों में
👉 युरेनस सभी घरों में
👉 नेप्च्यून सभी घरों में
👉 प्लूटो सभी घरों में