चंद्र अष्टम भाव में (moon in eighth house)

Kaushik sharma
चंद्र अष्टम भाव में

चंद्र अष्टम भाव में अशुभ हो तो जातक का मानसिक संतुलन ठीक नही रहता। ऐसे जातक या जातिकाओं को बंधन और क्लेश नशीब होता है। विशेष अशुभ होने पर महाव्याधि आदि की उपस्थिति से उपचार हेतु बार बार डॉक्टर, हाकिम या चिकित्सकों के पास जाना पड़ता है। बलवान या स्वक्षेत्रगत चंद्र बृहस्पति द्वारा दृष्ट हों तो अशुभ फलों में कमी आती हैं परंतु अष्टम भावगत चंद्र शुभ होने पर भी मानसिक भय और शोक आदि से पूर्णरूपेण राहत नही मिल पाती तथा अशुभता से सदैव भय तथा आपत्ति-ग्रस्त, शत्रुओं द्वारा नित्य-पीड़ित, पराये धन का अपहरण करने वाला, शारिरिक कष्ट पाने वाला, दुर्बल शरीर वाला, कामी, प्रमेह-रोगी, विकार- ग्रस्त, पित्त प्रकृति वाला नेत्र रोगी, मूत्राशय के रोग से ग्रस्त, वाचाल, स्वाभिमानी, ईष्र्यालु, निर्धन, चोर, दुःखी, स्त्री के कारण अपनों का त्याग करने वाला जल से भय पाने वाला, अग्नि, शस्त्र अथवा राजतुल्य व्येक्ति या सरकार द्वारा सन्तप्त, उद्विग्न चित्त वाला भाइयों द्वारा परत्यक्त आदि के प्रसंग उपस्थित होते है। पाप राशि पर हो तो शीघ्र मृत्यु कारक होता है। शुभ ग्रह युक्त हो तो साझेदारी या व्यवसाय अच्छा चलता है। ऐसे जातक किस्मत अनुसार परदेश वासी भी बन जाता है। चंद्रमा गुरु से युक्त हो तो अशुभ फलों की कमी करता है। शुभ ग्रह से दृष्ट अथवा युक्त हो, गुरु दृष्ट अथवा वृषराशि का हो तो जातक दीर्घायु होता है। चन्द्रमा पाप ग्रह से दृष्ट अथवा युक्त हो तो अकारण भय होता है। अत्यधिक क्षीण चन्द्र हो तो बाल्यावस्था में मृत्यु का भय होता है। शुभ चंद्र से अशुभ फलों में कुछ हद तक कमी आती है। पूर्णचन्द्र हो या बलि होने पर दीर्घायु, लक्ष्मीवान, धनवान, स्टॉक मार्किट से लाभ व लोन आदि प्रसंग में शीघ्र सफलता प्राप्त करता है।

चंद्र विभिन्न भावों में-


चंद्र के अन्य विशेष उपाय -

सफेद मोती या चांदी धारण करना (धनु लग्न वालों) को छोड़कर। शिव आराधना व पूजा करें। शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि के संध्या के समय शिव की आराधना करने से आशुतोष शंकर की कृपा अवश्य होती हैं। चारपाई के पायों में चांदी की कील लगाना। कीकर के वृक्ष में दूध या पानी डालना। माता, नानी, दादी, सास, विधवा स्त्री की सेवा करना। घर की छत पर चौरस टंकी लगवाना। चांदी के बर्तन में दूध पीएं या पानी पिएं। चलते पानी में स्नान करें। घर में जेट पम्प लगवाना। पहाड़ की सैर करना। बर्षा का पानी चावल, ठोस चांदी घर पर रखें। सफेद रंग की चीजों का दान करें। चंद्र दोष से बचने के श्री कृष्ण, महादेव, कमला माता और चंद्र देव की पूजा अर्चना अवश्य करें। शरद पूर्णिमा के दिन घर पर कर्पूर, सफेद मिश्री युक्त चावल की खीर बनाकर एक रजत पत्र (चांदी की थाली)में रखकर घर के छत पर पूर्ण चंद्र दिखने पर अर्पित करें इसे रातभर पूर्णिमा की चाँदनी के नीचे रखें तथा सुबह परिवार के सभी सदस्यों में बाट दें और खुद भी थोड़ा खा लें। हर पूर्णिमा के रात को चंद्र को 10 /15 मिनट बिना पलक झपकाएं देखें। मन को असीम शांति का अनुभव होगा और मानसिक विकार से मुक्ति मिलेगी। चंद्र देव के प्रियफूल रात को खिलनेवाली सफेद कुमुद हैं इसके अलावा सफेद शंखपुष्पी भी चंद्र देव का अत्यधिक प्रिय फुल माना जाता हैं। इनके न मिलने पर किसी दूसरे सफेद फूलों से पूजा कर सकते हैं। चंद्र देव को अर्पित पुष्प या फूल लाल रंग वाले नहीं होने चाहिए। जन्म कुंडली में शनि -चंद्र योग हो या चंद्र अशुभ हो तो ब्रम्हमुहूर्त में स्नान और शाम होने पहले भी स्नान करते रहना चाहिये। शुक्ल त्रयोदशी के शाम के समय शिव पूजा करते रहें । जल और सफेद गाय के कच्चे दूध, चावल , दूध से बनी सफेद मिठाई ,गंगा जल या शुद्ध जल महादेव को अर्पित करें तो देवादिदेव महादेव के कृपा का पात्र बन जाता हैं और प्रबल मानसिक शांति मिलती हैं। जन्मदात्री माता के नियमित सेवा से चंद्र शुभ फलदायी बन जातें हैं। मनको शांत रखने की हमेशा कोशिश करते रहें।

चंद्र अशुभ कब होता हैं ?

घर के सुख में कमी लाने । माता या विधवा स्त्री से झगड़ा करना,दूध में पानी मिलाने से, सीढ़ियों के नीचे पानी का साधन रखना या कुआ आदि। पहाड़ की यात्रा में नुकशान हो जाए । घर में धर्मस्थान बनाया हो । श्राद्ध न करने से । घर में ईश्वर की मूर्ति रखकर घंटी बजाकर पूजा करने से । मानसिक रोग और संतानसुख में कमी । घर की छत पर गोल टंकी बनी हो । गुर्दे के रोग इत्यादि । मानसिक अशांति व चिन्ता की वृद्धि होने पर।

वेदों में चंद्र का दान-

रजत पत्र में चावल, कर्पूर, मुक्ता, शुक्ल वस्त्र (शवेत वस्त्र), चांदी, सफ़ेद गाभी (वृष) आभाव होने पर सवा रुपये, घृत परिपूर्ण कुम्भ, स्वेतवस्त्र सहित भोज्य (भोजन) तथा दक्षिणा इत्यादि सभी वस्तुओं को मंत्र द्वारा दान करें। चंद्र मंत्र- ॐ ऐं क्लिं सोमाय, देवी कमला, अधिदेवता उमा, प्रत्यधिदेवता जल, अत्रि गोत्र, वैश्य, समुद्र, द्विभुज, हस्तप्रमाण, अग्निकोण में अर्धचंद्र आकृति, श्वेतवर्ण, दशाश्वोपरी, श्वेत पद्मस्थ, श्री कृष्ण अवतार। पुष्पादि श्वेतवर्ण, स्फटिक मूर्ति, बलि घृत मिश्रित खीर, समिध पलाश, दक्षिणा शंख।

चंद्र के विषय में -

चंद्र सम्पूर्ण ब्रम्हांड का मातृ स्वरुप ग्रह है। इन्हे सौम्य और शीतल ग्रह कहा गया है। इनका वार सोमवार है। यह वृष राशि में उच्च तथा वृश्चिक राशि इनका नीच स्थान है। रोहिणी, हस्ता तथा श्रवणा इनके तीन नक्षत्र है। बृहस्पति, सूर्य, मंगल इनके मित्र ग्रह है।










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