चंद्र दशम भाव में ( moon in tenth house )

Kaushik sharma

चंद्र दशम भाव में


चन्द्र दशम भाव में उच्च, स्वक्षेत्री तथा शुभ वर्गगत होकर शुभ ग्रह दृष्ट हों तो मन में प्रेम तथा ममता का सदा वास रहता है तथा घर या पड़ोस आदि के वातावरण से शांति, जमीन, जायदाद, घर, भू-संपत्ति, वाहन आदि का स्वामी, जलीय व्यवसाय या जल से संबंधित कर्मों से उत्तम सफलता प्राप्त करता है। चित्तवृत्ति स्थिर तथा शांति से हर कर्म करने हेतु हर कार्य मे सफलता प्राप्त करता है और कही जाने पर या कुछ भी करने पर जादू की तरह उसका काम सफल हो जाता है। मित्रों-बांधवों का सूख प्राप्त करने वाला, धनिको द्वारा सुख पाने वाला, नवीन-स्त्री के ऐश्वय से प्रसन्न, परिवार का भरण पोषणकर्ता, श्रेष्ठ बुद्धिमान्, सुशील, धनी, वाल्यावस्था में अल्पसुखी तत्पश्चात् पूर्ण सुखी, आनंदी, कुलत्रेष्ठ, सज्जन, राजमान्य, यशस्वी, सामाजिक या सरकारी कामों में उच्चपद और सम्नानित, चतुर, महत्वाकाँक्षी, कार्य को सफल करने वाला, पवित्र कार्य करने वाला, प्रसन्नचित, लोक हितैषी तथा सब प्रकार के सुख-साधन से सम्पन्न होने के साथ-साथ घर और गृहस्थ जीवन में शांति पाने वाला होता है। क्षीण शत्रुक्षेत्री होकर अशुभ वर्गगत, नीच नवांश या अशुभ भाव में हो तो उद्यमहीन, कृतकर्म से असफल, सन्मानहीन, मातृहीन या माता से प्यार न पाने वाला, तथा घर, वाहन व भूसंपत्ति से असुखी होता है। चंद्र चर राशि में हो तो व्यापार में अस्थिरता देता है, मंगल से युक्त होने पर अत्यधिक नुकसान, शनि, राहु तथा केतु से युक्त होने पर कार्य में बाधाओं की वृद्धि होती है। फलित ज्योतिष के अनुसार दशम भावस्थ शनि-चंद्र की किसी विशेष स्थिति से राजयोग का निर्माण आदि का उल्लेख किया गया है। दशम भावस्थ शुभ चंद्र से विवाह से सुखी, मन में शांति और अशुभ चंद्र से स्त्री सुखहीन एवं मन में अशांति का वास होता है। मन की शांति की तलाश तो करता है पर उसे नही मिलती।


चंद्र विभिन्न भावों में-



चंद्र के अन्य विशेष उपाय -

सफेद मोती या चांदी धारण करना (धनु लग्न वालों) को छोड़कर। शिव आराधना व पूजा करें। शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि के संध्या के समय शिव की आराधना करने से आशुतोष शंकर की कृपा अवश्य होती हैं। चारपाई के पायों में चांदी की कील लगाना। कीकर के वृक्ष में दूध या पानी डालना। माता, नानी, दादी, सास, विधवा स्त्री की सेवा करना। घर की छत पर चौरस टंकी लगवाना। चांदी के बर्तन में दूध पीएं या पानी पिएं। चलते पानी में स्नान करें। घर में जेट पम्प लगवाना। पहाड़ की सैर करना। बर्षा का पानी चावल, ठोस चांदी घर पर रखें । सफेद रंग की चीजों का दान करें। चंद्र दोष से बचने के श्री कृष्ण, महादेव, कमला माता और चंद्र देव की पूजा अर्चना अवश्य करें। शरद पूर्णिमा के दिन घर पर कर्पूर, सफेद मिश्री युक्त चावल की खीर बनाकर एक रजत पत्र (चांदी की थाली)में रखकर घर के छत पर पूर्ण चंद्र दिखने पर अर्पित करें इसे रातभर पूर्णिमा की चाँदनी के नीचे रखें तथा सुबह परिवार के सभी सदस्यों में बाट दें और खुद भी थोड़ा खा लें। हर पूर्णिमा के रात को चंद्र को 10 /15 मिनट बिना पलक झपकाएं देखें। मन को असीम शांति का अनुभव होगा और मानसिक विकार से मुक्ति मिलेगी। चंद्र देव के प्रियफूल रात को खिलनेवाली सफेद कुमुद हैं इसके अलावा सफेद शंखपुष्पी भी चंद्र देव का अत्यधिक प्रिय फुल माना जाता हैं। इनके न मिलने पर किसी दूसरे सफेद फूलों से पूजा कर सकते हैं। चंद्र देव को अर्पित पुष्प या फूल लाल रंग वाले नहीं होने चाहिए। जन्म कुंडली में शनि -चंद्र योग हो या चंद्र अशुभ हो तो ब्रम्हमुहूर्त में स्नान और शाम होने पहले भी स्नान करते रहना चाहिये। शुक्ल त्रयोदशी के शाम के समय शिव पूजा करते रहें। जल और सफेद गाय के कच्चे दूध , चावल , दूध से बनी सफेद मिठाई ,गंगा जल या शुद्ध जल महादेव को अर्पित करें तो देवादिदेव महादेव के कृपा का पात्र बन जाता हैं और प्रबल मानसिक शांति मिलती हैं। जन्मदात्री माता के नियमित सेवा से चंद्र शुभ फलदायी बन जातें हैं। मनको शांत रखने की हमेशा कोशिश करते रहें।


चंद्र अशुभ कब होता हैं ?

घर के सुख में कमी लाने। माता या विधवा स्त्री से झगड़ा करना,दूध में पानी मिलाने से, सीढ़ियों के नीचे पानी का साधन रखना या कुआ आदि। पहाड़ की यात्रा में नुकशान हो जाए। घर में धर्मस्थान बनाया हो। श्राद्ध न करने से। घर में ईश्वर की मूर्ति रखकर घंटी बजाकर पूजा करने से। मानसिक रोग और संतानसुख में कमी। घर की छत पर गोल टंकी बनी हो। गुर्दे के रोग इत्यादि। मानसिक अशांति व चिन्ता की वृद्धि होने पर।


वेदों में चंद्र का दान-

रजत पत्र में चावल, कर्पूर, मुक्ता, शुक्ल वस्त्र (शवेत वस्त्र), चांदी, सफ़ेद गाभी (वृष) आभाव होने पर सवा रुपये, घृत परिपूर्ण कुम्भ, स्वेतवस्त्र सहित भोज्य (भोजन ) तथा दक्षिणा इत्यादि सभी वस्तुओं को मंत्र द्वारा दान करें। चंद्र मंत्र- ॐ ऐं क्लिं सोमाय, देवी कमला, अधिदेवता उमा, प्रत्यधिदेवता जल, अत्रि गोत्र, वैश्य, समुद्र, द्विभुज, हस्तप्रमाण, अग्निकोण में अर्धचंद्र आकृति, श्वेतवर्ण, दशाश्वोपरी, श्वेत पद्मस्थ, श्री कृष्ण अवतार। पुष्पादि श्वेतवर्ण, स्फटिक मूर्ति, धुप सरलकाष्ठ, बलि घृत मिश्रित खीर, समिध पलाश, दक्षिणा शंख। 

चंद्र के विषय में -

चंद्र सम्पूर्ण ब्रम्हांड का मातृ स्वरुप ग्रह है। इन्हे सौम्य और शीतल ग्रह कहा गया है। इनका वार सोमवार है। यह वृष राशि में उच्च तथा वृश्चिक राशि इनका नीच स्थान है। रोहिणी, हस्ता तथा श्रवणा इनके तीन नक्षत्र है। बृहस्पति, सूर्य, मंगल इनके मित्र ग्रह है। 









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