चंद्र एकादश भाव में (moon in eleventh house)

Kaushik sharma
चंद्र एकादश भाव में


चंद्र एकादश भाव में शुभ राशि व शुभ वर्गगत होकर शुभ ग्रह द्वारा दृष्ट होने पर राज कृपा या सरकार द्वारा धनलाभ तथा मान प्रतिष्ठा मे वृद्धि होती है और चंचला लक्ष्मी अचला होकर उसके गृह में नियत निवास करती हैं। श्री लक्ष्मी देवी के कृपा कटाक्ष का भागी बनता है तथा उसका घर स्त्री और सौंदर्य का निवासस्थान बन जाता है। जातक बुद्धिमान पर अनेक कन्या संतानों का पिता होता है। भविष्य में कन्या के विवाह के समय उसे धन का अभाव नही होता। चांदी तथा जलीय वस्तु द्वारा लाभ और कार्य एवं व्यवसाय में शीघ्रता से धन लाभ होता है। जातक को शीघ्रता से प्रतिष्ठा, अधिकार एवं उत्तमोत्तम वस्त्रों और आभूषणों का लाभ होता है तथा सुन्दर स्त्रियों का आवागमन उसके घर मे बना रहता है। लेकिन क्षीण या बलहीन चंद्र हों तो बनता काम भी बिगड़ जाता है और प्राप्ति होने की प्रतीत होने पर भी धन या वस्तु प्राप्त नही होता। शुभ चंद्र से बुद्धिमान, शांत बाला का प्रेमी, लोकप्रिय, सुशिक्षित, संततिवान, सदगुणी, प्रेमीजन से सूखी, यशस्वी, सुख्यात, भोगी, नौकर चाकरों का सूख तथा स्थिर वृत्ति वाला होता है। यदि चन्द्रमा क्षीण, शत्रु अथवा नीच राशि का हो तो जातक सुखहीन तथा रोगी होता है और बिपरीत फल प्राप्त होता है। निर्बल चन्द्र से जातक खर्चीले स्वभाव का होता है। शुभ ग्रह युक्त या दृष्ट से बहुत धन पाने वाला होता है। चन्द्र शुक्र योग में जातक को वाहन सुख मिलता है। वह अनेक विद्याओं का अध्ययन करने वाला, अनेक जानकारी रखने वाला, भाग्यशाली होता है। शनियुत चन्द्रमा राजयोग कारक माना गया है परंतु इस युति का फलादेश जन्म कुंडली अनुसार सही रूप से करने पर ही राजयोग के बलाबल की स्पष्टता का फलादेश संभव होता है।

चंद्र के अन्य विशेष उपाय -

सफेद मोती या चांदी धारण करना (धनु लग्न वालों) को छोड़कर। शिव आराधना व पूजा करें। शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि के संध्या के समय शिव की आराधना करने से आशुतोष शंकर की कृपा अवश्य होती हैं। चारपाई के पायों में चांदी की कील लगाना। कीकर के वृक्ष में दूध या पानी डालना। माता, नानी, दादी, सास, विधवा स्त्री की सेवा करना। घर की छत पर चौरस टंकी लगवाना। चांदी के बर्तन में दूध पीएं या पानी पिएं। चलते पानी में स्नान करें। घर में जेट पम्प लगवाना। पहाड़ की सैर करना। बर्षा का पानी चावल, ठोस चांदी घर पर रखें। सफेद रंग की चीजों का दान करें। चंद्र दोष से बचने के श्री कृष्ण, महादेव, कमला माता और चंद्र देव की पूजा अर्चना अवश्य करें। शरद पूर्णिमा के दिन घर पर कर्पूर, सफेद मिश्री युक्त चावल की खीर बनाकर एक रजत पत्र (चांदी की थाली)में रखकर घर के छत पर पूर्ण चंद्र दिखने पर अर्पित करें इसे रातभर पूर्णिमा की चाँदनी के नीचे रखें तथा सुबह परिवार के सभी सदस्यों में बाट दें और खुद भी थोड़ा खा लें। हर पूर्णिमा के रात को चंद्र को 10 /15 मिनट बिना पलक झपकाएं देखें। मन को असीम शांति का अनुभव होगा और मानसिक विकार से मुक्ति मिलेगी। चंद्र देव के प्रियफूल रात को खिलनेवाली सफेद कुमुद हैं इसके अलावा सफेद शंखपुष्पी भी चंद्र देव का अत्यधिक प्रिय फुल माना जाता हैं। इनके न मिलने पर किसी दूसरे सफेद फूलों से पूजा कर सकते हैं। चंद्र देव को अर्पित पुष्प या फूल लाल रंग वाले नहीं होने चाहिए। जन्म कुंडली में शनि -चंद्र योग हो या चंद्र अशुभ हो तो ब्रम्हमुहूर्त में स्नान और शाम होने पहले भी स्नान करते रहना चाहिये। शुक्ल त्रयोदशी के शाम के समय शिव पूजा करते रहें । जल और सफेद गाय के कच्चे दूध, चावल, दूध से बनी सफेद मिठाई, गंगा जल या शुद्ध जल महादेव को अर्पित करें तो देवादिदेव महादेव के कृपा का पात्र बन जाता हैं और प्रबल मानसिक शांति मिलती हैं। जन्मदात्री माता के नियमित सेवा से चंद्र शुभ फलदायी बन जातें हैं। मनको शांत रखने की हमेशा कोशिश करते रहें।

चंद्र अशुभ कब होता हैं ?

घर के सुख में कमी लाने। माता या विधवा स्त्री से झगड़ा करना,दूध में पानी मिलाने से, सीढ़ियों के नीचे पानी का साधन रखना या कुआ आदि। पहाड़ की यात्रा में नुकशान हो जाए। घर में धर्मस्थान बनाया हो। श्राद्ध न करने से। घर में ईश्वर की मूर्ति रखकर घंटी बजाकर पूजा करने से। मानसिक रोग और संतानसुख में कमी। घर की छत पर गोल टंकी बनी हो। गुर्दे के रोग इत्यादि। मानसिक अशांति व चिन्ता की वृद्धि होने पर।

वेदों में चंद्र का दान-

रजत पत्र में चावल, कर्पूर, मुक्ता, शुक्ल वस्त्र (शवेत वस्त्र), चांदी, सफ़ेद गाभी (वृष) आभाव होने पर सवा रुपये, घृत परिपूर्ण कुम्भ, स्वेतवस्त्र सहित भोज (भोजन) तथा दक्षिणा इत्यादि सभी वस्तुओं को मंत्र द्वारा दान करें। चंद्र मंत्र- ॐ ऐं क्लिं सोमाय, देवी कमला, अधिदेवता उमा, प्रत्यधिदेवता जल, अत्रि गोत्र, वैश्य, समुद्र, द्विभुज, हस्तप्रमाण, अग्निकोण में अर्धचंद्र आकृति, श्वेतवर्ण, दशाश्वोपरी, श्वेत पद्मस्थ, श्री कृष्ण अवतार। पुष्पादि श्वेतवर्ण, स्फटिक मूर्ति, धुप सरलकाष्ठ, बलि घृत मिश्रित खीर, समिध पलाश, दक्षिणा शंख।


चंद्र के विषय में -

चंद्र सम्पूर्ण ब्रम्हांड का मातृ स्वरुप ग्रह है। इन्हे सौम्य और शीतल ग्रह कहा गया है। इनका वार सोमवार है। यह वृष राशि में उच्च तथा वृश्चिक राशि इनका नीच स्थान है। रोहिणी, हस्ता तथा श्रवणा इनके तीन नक्षत्र है। बृहस्पति, सूर्य, मंगल इनके मित्र ग्रह है।






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