राहु तृतीय भाव में योगकारी होकर शुभ राशिगत हों शारीरिक तौर पर बलिष्ठ बाहु वाला, प्रबल पराक्रमी, दृरसंकल्प युक्त होकर कर्म करने पर कर्म को पूरा करके ही दम लेने वाले होते है। कवि भट्टनारायण के अनुसार जातक विलासप्रिय,अत्यंत प्रतापशाली एवं मित्र-बान्धवों से सर्वदा युक्त होते है तथा शक्तिमान व्येक्ति भी इनके सम्मुख जाने से भयभीत होते है। अपने पराक्रम और बाहुबल द्वारा भाग्योदय सम्पन्न होकर उच्चपद प्राप्त करने वाला तथा सभी अरिष्टों का नाश करने वाले होते है। योगाभ्यास एवं शारीरिक कसरत से बलिष्ठ शरीर के स्वामी होते है। जातक को भ्राता एवं भगिनी से लाभ एवं धन-वाहन आदि के सुख से सम्पन्न होकर पराक्रम द्वारा भाग्यशाली होते है। कवि भट्टनारायण के अनुसार शुभ राहु तृतीय भावगत होने पर भी कुछ अशुभ फलों की प्राप्ति भी होती है। विशेष अशुभ होने पर भाई-बहन में किसी के साथ विवाद के चलते विच्छेद या संपर्क विहीन होते है। शारिरिक एवं सामाजिक पराक्रम का नाश करने वाले होते है। भाग्य का साथ न मिलने के कारण मानसिक अशांति से ग्रसित होते है। परिवार या समाज में सन्मान हानि एवं अपमानजनक स्थिति बनती है। धर्म-कर्म विहीन होकर भाग्य विहीन जीवन जीने वाले होते है। इनका धन अल्प से शनै शनै यानी धीरे धीरे वृद्धि हो पाती है। राहु कुम्भ, मिथुन, सिंह एवं कन्या राशि में योगकारी होकर स्थित हों तो अत्यंत तेजस्वी होता है। उच्च राशिगत होने पर धन वाहन से सुख-सम्पन्न होते है। जातक के कंठ में तिल अथवा अन्य चिन्ह होता है।
राहु विभिन्न भावों में-
राहु प्रथम भाव राहु पंचम भाव राहु नवम भाव
राहु द्वितीय भाव राहु छठे भाव राहु दशम भाव
राहु तृतीय भाव राहु सप्तम भाव राहु एकादश भाव
राहु चतुर्थ भाव राहु अष्टम भाव राहु द्वादश भाव
राहु के विशेष उपाय-
सरस्वती माता कि वंदना करे। भंगी को पैसे दें या मदद करें। ननिहाल, ससुराल से अच्छे सम्बन्ध रखें। गंगा स्नान करें। रसोई में बैठकर खाना खाएं। सरसों नीलम तम्बाकु दान दें। जौ, मूली कच्चे कोयले जल में प्रवाह करें। नारियल का दान दे। सिर पर चोटी रखे, जौ बोझ तले दबाएं। खोटे सिक्के या सिक्का (Lead coin) जल प्रवाह करें।
राहु अशुभ कैसे होता है?
बदनीयत से या धोखे से धन कमाना, झूठी गवाही देना, गबन करना या धोखा देना। घर में धुआं करना। बिजली की चोरी करना, बिजली का सामान और स्टील के बर्तन मुफ्त लेना। ननिहाल, ससुराल से झगड़ा करना। तम्बाकु, सिगरेट आदि का इस्तेमाल करना या मुफ्त मांगकर पीना नाभि के ऊपर की बिमारियां हो, घर के पास गन्दे पानी का जमा होना या गन्दा पानी घर के दरवाजे के नीचे से निकलता हो बिना छत के घर में दीवार खड़ी हो, दक्षिण दिशा में घर का दरवाजा हो, मुकदमे बाजी करने पर।
वेदों में राहु का दान-
गोमेद रत्न (अभाव में १:२५ सवा रुपये), नीला वस्त्र, काला कम्बल, काले तिल, लोहपात्र में काले तिल का तेल, सवस्त्र भोज्य एवं दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें। मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं राहवे। जपसंख्या-१२०००, देवी छिन्नमस्तिका, अधिदेवता-काल, प्रत्यधिदेवता-सर्प, पैठीनमि गोत्र, शुद्र, मलयज, चतुर्भुज, द्वादशांगुल, नैऋत्य कोण में कृष्णवर्ण मकराकृति, सीसे की मूर्ति, सिंहवाहन, वराहावतार, श्वेतचंदन, पुष्पादि कृष्णवर्ण, धूप-दारचीनी, बलि-बकरे का मांस, समिध-दूर्वा आदि।
वेदों में राहु का दान-
गोमेद रत्न (अभाव में १:२५ सवा रुपये), नीला वस्त्र, काला कम्बल, काले तिल, लोहपात्र में काले तिल का तेल, सवस्त्र भोज्य एवं दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें। मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं राहवे। जपसंख्या-१२०००, देवी छिन्नमस्तिका, अधिदेवता-काल, प्रत्यधिदेवता-सर्प, पैठीनमि गोत्र, शुद्र, मलयज, चतुर्भुज, द्वादशांगुल, नैऋत्य कोण में कृष्णवर्ण मकराकृति, सीसे की मूर्ति, सिंहवाहन, वराहावतार, श्वेतचंदन, पुष्पादि कृष्णवर्ण, धूप-दारचीनी, बलि-बकरे का मांस, समिध-दूर्वा आदि।
राहु के विषय में-
राहु को तामसिक ग्रह की संज्ञा प्राप्त है। अशुभ होने पर इन्हें क्रूर और निर्दयी कहा गया है। इनका वार शनिवार और बुधवार और अमावस्या है। ये मिथुन राशि में उच्च तथा धनु राशि इनका नीच स्थान है। आद्रा, स्वाति तथा शतभिषा इनके तीन नक्षत्र है। शुक्र, शनि और बुध इनके मित्र ग्रह है।
राहु को तामसिक ग्रह की संज्ञा प्राप्त है। अशुभ होने पर इन्हें क्रूर और निर्दयी कहा गया है। इनका वार शनिवार और बुधवार और अमावस्या है। ये मिथुन राशि में उच्च तथा धनु राशि इनका नीच स्थान है। आद्रा, स्वाति तथा शतभिषा इनके तीन नक्षत्र है। शुक्र, शनि और बुध इनके मित्र ग्रह है।