राहु द्वितीय भाव में शुभ हों तो कुटुम्ब, धन एवं पारिवारिक जीवन आदि का सुख प्राप्त होता है। राजनीति या कारोबारियों से इन्हें लाभ प्राप्त होता है। इनका मुखमंडल गेहुँआ तथा आकर्षक व्येक्तित्व के धनी होते है। ऐसे जातक सत्कर्मी, दीर्घायु तथा भाग्यशाली एवं अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठावान होते है। राहु मिथुन, कन्या, तुला और कुम्भ राशि में योगकारी होकर स्थित हों तो धन, कुटुम्ब के विषय में शुभ फल प्रदानकारी होते है। राहु अशुभ राशि एवं अशुभ स्थानगत होने पर कुटुम्ब या आत्मीय परिजनों से विरिध या विच्छेद की संभावना बनी रहती है। राहु तामसिक ग्रह होने के कारण बिड़ी, सिगरेट गांजा या अफीम के नशे आदि सेवन और अभक्ष्य भक्षी होते है। उग्र, बकबादी एवं गाली-गलौच तथा दूसरों को ठेस पहुंचाने वाली अप्रिय भाषा से घर परिवार, कुटुम्ब एवं लोगों से कलह आदि की वृद्धि होती है। जातक लालची, बेईमानी, धोखाधड़ी तथा चालबाज़ी से धन कमाने वाले होते है तथा धर्महीन कर्मो में अपना धन गवा देते है। माँ लक्ष्मी की कृपा से सर्वदा वंचित रहने वाले होते है। द्वितीय विवाह की भी संभावना बनी रहती है। कवि भट्ट नारायण के अनुसार द्वितीय भावगत राहु से जातक भ्रमण प्रिय, प्रयोजन से अधिक बकवास करने वाला, चोरी, धोखाधड़ी या चालबाज़ी से रोज़गार करने वाला एवं दरिद्र होता है। राहु शुभ स्थान में स्थित होने पर चौर्य प्रवृत्ति से धन कमाने वाला नही होता तथा कुटुम्ब सुख एवं धन-धान्य से परिपूर्ण जीवन जीने वाला होता है।
राहु विभिन्न भावों में-
राहु प्रथम भाव राहु पंचम भाव राहु नवम भाव
राहु द्वितीय भाव राहु छठे भाव राहु दशम भाव
राहु तृतीय भाव राहु सप्तम भाव राहु एकादश भाव
राहु चतुर्थ भाव राहु अष्टम भाव राहु द्वादश भाव
अशुभ राहु के उपाय :-
सरस्वती माता कि वंदना करे। भंगी को पैसे दें या मदद करें। ननिहाल, ससुराल से अच्छे सम्बन्ध रखें। गंगा स्नान करें। रसोई में बैठकर खाना खाएं। सरसों नीलम तम्बाकु दान दें। जौ, मूली कच्चे कोयले जल में प्रवाह करें। नारियल का दान दे। सिर पर चोटी रखे, जौ बोझ तले दबाएं। खोटे सिक्के या सिक्का (Lead coin) जल प्रवाह करें।
राहु अशुभ कैसे होता है?
बदनीयत से या धोखे से धन कमाना, झूठी गवाही देना, गबन करना या धोखा देना। घर में धुआं करना। बिजली की चोरी करना, बिजली का सामान और स्टील के बर्तन मुफ्त लेना। ननिहाल, ससुराल से झगड़ा करना। तम्बाकु, सिगरेट आदि का इस्तेमाल करना या मुफ्त मांगकर पीना नाभि के ऊपर की बिमारियां हो, घर के पास गन्दे पानी का जमा होना या गन्दा पानी घर के दरवाजे के नीचे से निकलता हो, बिना छत के घर में दीवार खड़ी हो, दक्षिण दिशा में घर का दरवाजा हो, मुकदमे बाजी करने पर।
वेदों में राहु का दान-
वेदों में राहु का दान-
गोमेद रत्न (अभाव में १:२५ सवा रुपये), नीला वस्त्र, काला कम्बल, काले तिल, लोहपात्र में काले तिल का तेल, सवस्त्र भोज्य एवं दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें। मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं राहवे। जपसंख्या-१२०००, देवी छिन्नमस्तिका, अधिदेवता-काल, प्रत्यधिदेवता-सर्प, पैठीनमि गोत्र, शुद्र, मलयज, चतुर्भुज, द्वादशांगुल, नैऋत्य कोण में कृष्णवर्ण मकराकृति, सीसे की मूर्ति, सिंहवाहन, वराहावतार, श्वेतचंदन, पुष्पादि कृष्णवर्ण, धूप-दारचीनी, बलि-बकरे का मांस, समिध-दूर्वा आदि।
राहु के विषय में-
राहु को तामसिक ग्रह की संज्ञा प्राप्त है। अशुभ होने पर इन्हें क्रूर और निर्दयी कहा गया है। इनका वार शनिवार और बुधवार और अमावस्या है। ये मिथुन राशि में उच्च तथा धनु राशि इनका नीच स्थान है। आद्रा, स्वाति तथा शतभिषा इनके तीन नक्षत्र है। शुक्र, शनि और बुध इनके मित्र ग्रह है।