राहु दशम भाव में (Rahu in 10th house)

Kaushik sharma
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राहु दशम भाव में (Rahu in 10th house)


राहु दशम भाव में शुभ हो स्थावर संपत्ति का भोगी, व्यापार आदि में कुशल, राजा या राज्य द्वारा सन्मानित तथा वैभव वृद्धि करने वाला होता है। ऐसे जातक सु-प्रतिष्ठित, सहयोगी मित्र वाले होते है। कवि भट्ट नारायण के अनुसार दशमस्थ राहु से विजातीय या विदेशियों के संस्पर्श में रहकर धन, यश एवं सन्मान की प्राप्ति करता है। अशुभ होने पर अभिमानी, व्यर्थ विवाद करने वाला, कामातुर होकर निर्लज्जता प्रदान करने वाला, मद्यपान आदि सेवन करने वाला तथा लोकनिन्दित होता है। जातक अनियमित कार्य करने वाला होता है। राहु सिंह, कन्या, कर्कट, मिथुन, मीन अथवा वृष राशि में स्थित हो तो प्रायः शुभ फल देने वाला होता है। शुभ ग्रह युक्त-दृष्ट होने पर दशम भावस्थ राहु द्वारा प्रभूत सन्मान और यशस्वी होता है। दशम भावगत शुभ राहु योगकारी हों तो मंत्री, दंडाधिकारी या व्यापार द्वारा सुख-वैभव पाने वाला होता है। बलवान शत्रु से विवाद आदि होने पर उन पर विजय दिलाने वाला होता है। उच्च राहु दशम भावस्थ होने पर राजयोग का फल दिलाने वाला होता है। अशुभ होने पर अनेक अनर्थों फलों को प्रदान करने वाला होता है।


सरस्वती माता कि वंदना करे। भंगी को पैसे दें या मदद करें। ननिहाल, ससुराल से अच्छे सम्बन्ध रखें। गंगा स्नान करें। रसोई में बैठकर खाना खाएं। सरसों नीलम तम्बाकु दान दें। जौ, मूली कच्चे कोयले जल में प्रवाह करें। नारियल का दान दे। सिर पर चोटी रखे, जौ बोझ तले दबाएं। खोटे सिक्के या सिक्का (Lead coin) जल प्रवाह करें।


राहु अशुभ कैसे होता है?

बदनीयत से या धोखे से धन कमाना, झूठी गवाही देना, गबन करना या धोखा देना। घर में धुआं करना। बिजली की चोरी करना, बिजली का सामान और स्टील के बर्तन मुफ्त लेना। ननिहाल, ससुराल से झगड़ा करना। तम्बाकु, सिगरेट आदि का इस्तेमाल करना या मुफ्त मांगकर पीना, नाभि के ऊपर की बिमारियां हो।घर के पास गन्दे पानी का जमा होना या गन्दा पानी घर के दरवाजे के नीचे से निकलता हो, बिना छत के घर में दीवार खड़ी हो, दक्षिण दिशा में घर का दरवाजा हो, मुकदमे बाजी करने पर।


वेदों में राहु का दान- 

गोमेद रत्न (अभाव में १:२५ सवा रुपये), नीला वस्त्र, काला कम्बल, काले तिल, लोहपात्र में काले तिल का तेल, सवस्त्र भोज्य एवं दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें। मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं राहवे। जपसंख्या-१२०००, देवी छिन्नमस्तिका, अधिदेवता-काल, प्रत्यधिदेवता-सर्प, पैठीनमि गोत्र, शुद्र, मलयज, चतुर्भुज, द्वादशांगुल, नैऋत्य कोण में कृष्णवर्ण मकराकृति, सीसे की मूर्ति, सिंहवाहन, वराहावतार, श्वेतचंदन, पुष्पादि कृष्णवर्ण, धूप-दारचीनी, बलि-बकरे का मांस, समिध-दूर्वा आदि।


राहु के विषय में-

राहु को तामसिक ग्रह की संज्ञा प्राप्त है। अशुभ होने पर इन्हें क्रूर और निर्दयी कहा गया है। इनका वार शनिवार और बुधवार और अमावस्या है। ये मिथुन राशि में उच्च तथा धनु राशि इनका नीच स्थान है। आद्रा, स्वाति तथा शतभिषा इनके तीन नक्षत्र है। शुक्र, शनि और बुध इनके मित्र ग्रह है।

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