राहु द्वादश भाव में (Rahu in 12th house)

Kaushik sharma
राहु द्वादश भाव में (Rahu in 12th house)


राहु द्वादश भाव में शुभ हो तो जातक भाग्यशाली, परोपकारी एवं उदार प्रकृति का होता है। ऐसा जातक अपने कुल का नाम ऊंचा करने वाला, शत्रुओं पर विजय दिलाने वाला, एकांतप्रिय एवं भावुक होते है। उच्च राहु द्वादश भावस्थ हों तो जातक जन्मस्थान से दूर या विदेश में विजतियों के बीच रहकर भाग्य एवं धन कमाने वाला होता है। राहु अशुभ होने पर छल-कपट का सहारा लेने वाला, मूर्ख, अपव्ययी, व्यर्थ समय नष्ट करने वाला होता है। कवि भट्ट नारायण के अनुसार जातक के कमर में दर्द रहने रहने वाला, समाज के बुरे लोगों से मित्रता तथा साधुजनों से शत्रुता करने वाला होता है। उसकी संतान अल्पायु होती है। जातक कर्महीन, सुखहीन, ऋणग्रस्त, धर्म-कर्म के सुख से रहित होकर जीवन जीने वाला होता है। नेत्र रोगों से पीड़ित होने की संभावना बनी रहती है।


सरस्वती माता कि वंदना करे। भंगी को पैसे दें या मदद करें। ननिहाल, ससुराल से अच्छे सम्बन्ध रखें। गंगा स्नान करें। रसोई में बैठकर खाना खाएं। सरसों नीलम तम्बाकु दान दें। जौ, मूली कच्चे कोयले जल में प्रवाह करें। नारियल का दान दे। सिर पर चोटी रखे, जौ बोझ तले दबाएं। खोटे सिक्के या सिक्का (Lead coin) जल प्रवाह करें।


राहु अशुभ कैसे होता है?

बदनीयत से या धोखे से धन कमाना, झूठी गवाही देना, गबन करना या धोखा देना। घर में धुआं करना। बिजली की चोरी करना, बिजली का सामान और स्टील के बर्तन मुफ्त लेना। ननिहाल, ससुराल से झगड़ा करना। तम्बाकु, सिगरेट आदि का इस्तेमाल करना या मुफ्त मांगकर पीना, नाभि के ऊपर की बिमारियां हो।घर के पास गन्दे पानी का जमा होना या गन्दा पानी घर के दरवाजे के नीचे से निकलता हो, बिना छत के घर में दीवार खड़ी हो, दक्षिण दिशा में घर का दरवाजा हो, मुकदमे बाजी करने पर।


वेदों में राहु का दान- 

गोमेद रत्न (अभाव में १:२५ सवा रुपये), नीला वस्त्र, काला कम्बल, काले तिल, लोहपात्र में काले तिल का तेल, सवस्त्र भोज्य एवं दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें। मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं राहवे। जपसंख्या-१२०००, देवी छिन्नमस्तिका, अधिदेवता-काल, प्रत्यधिदेवता-सर्प, पैठीनमि गोत्र, शुद्र, मलयज, चतुर्भुज, द्वादशांगुल, नैऋत्य कोण में कृष्णवर्ण मकराकृति, सीसे की मूर्ति, सिंहवाहन, वराहावतार, श्वेतचंदन, पुष्पादि कृष्णवर्ण, धूप-दारचीनी, बलि-बकरे का मांस, समिध-दूर्वा आदि।

राहु के विषय में-

राहु को तामसिक ग्रह की संज्ञा प्राप्त है। अशुभ होने पर इन्हें क्रूर और निर्दयी कहा गया है। इनका वार शनिवार और बुधवार और अमावस्या है। ये मिथुन राशि में उच्च तथा धनु राशि इनका नीच स्थान है। आद्रा, स्वाति तथा शतभिषा इनके तीन नक्षत्र है। शुक्र, शनि और बुध इनके मित्र ग्रह है।

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