राहु चतुर्थ भाव में योगकारी होकर शुभ स्थानगत हों तो जातक धन-वाहन, मित्र एवं प्रसाशन आदि से सुख सम्पन्न होता है। कई कई जातक सरकारी नौकरी या निजी व्यापार करने वाले होते है। इनका घन-धन्य आदि से परिपूर्ण होकर राजा के समान जीवन व्येतीत करने वाले होते है। नवमेश या नवम स्थान शुभ हो तो जातक विदेश भ्रमण या तीर्थ यात्राएं करने वाला होता है। जातक घर, जमीन, जायदाद आदि से सुखी, मातृभक्त, दुसरों का मददगार तथा सज्जन व्येक्ति होता है। जीवन में हर प्रकार के सुख में उसे कोई कमी नही रहती। अशुभ होने पर माता को शारीरिक रुग्णता, जातक के कारण माता को कष्ट या माता से इन्हें कष्ट नसीब होता है। कवि भट्ट नारायण के अनुसार जातक सर्वदा मानसिक रूप से तापित तथा घर गृहस्थी, संतान एवं मित्रों से अशान्ति लाकर आत्मीय कुटुम्बियों से संबंध का नाश कराने वाला होता है। अग्नि में तपे कटाह की भांति उसका हृदय व्येथित होता है। विशेष अशुभ होने पर घर एवं जायदाद के सुख से वंचित या मातृभूमि का त्याग कर दृर रहकर मनस्ताप पाने वाला होता है। राहु वृष, सिंह या मिथुन, कन्या राशिगत हों तो उपरिउक्त अशुभ फलों में कमी लाता है परंतु पापयुक्त राहु से माता को कष्ट एवं शुभ ग्रहयुक्त या शुभदृष्ट होने पर मातृकष्ट नही होकर सुखी होता जीवन जीता है।
राहु विभिन्न भावों में-
राहु प्रथम भाव राहु पंचम भाव राहु नवम भाव
राहु द्वितीय भाव राहु छठे भाव राहु दशम भाव
राहु तृतीय भाव राहु सप्तम भाव राहु एकादश भाव
राहु चतुर्थ भाव राहु अष्टम भाव राहु द्वादश भाव
अशुभ राहु के उपाय :-
सरस्वती माता कि वंदना करे। भंगी को पैसे दें या मदद करें। ननिहाल, ससुराल से अच्छे सम्बन्ध रखें। गंगा स्नान करें। रसोई में बैठकर खाना खाएं। सरसों नीलम तम्बाकु दान दें। जौ, मूली कच्चे कोयले जल में प्रवाह करें। नारियल का दान दे। सिर पर चोटी रखे, जौ बोझ तले दबाएं। खोटे सिक्के या सिक्का (Lead coin) जल प्रवाह करें।
राहु अशुभ कैसे होता है?
बदनीयत से या धोखे से धन कमाना, झूठी गवाही देना, गबन करना या धोखा देना। घर में धुआं करना। बिजली की चोरी करना, बिजली का सामान और स्टील के बर्तन मुफ्त लेना। ननिहाल, ससुराल से झगड़ा करना। तम्बाकु, सिगरेट आदि का इस्तेमाल करना या मुफ्त मांगकर पीना नाभि के ऊपर की बिमारियां हो, घर के पास गन्दे पानी का जमा होना या गन्दा पानी घर के दरवाजे के नीचे से निकलता हो बिना छत के घर में दीवार खड़ी हो, दक्षिण दिशा में घर का दरवाजा हो, मुकदमे बाजी करने पर।
वेदों में राहु का दान-
गोमेद रत्न (अभाव में १:२५ सवा रुपये), नीला वस्त्र, काला कम्बल, काले तिल, लोहपात्र में काले तिल का तेल, सवस्त्र भोज्य एवं दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें। मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं राहवे। जपसंख्या-१२०००, देवी छिन्नमस्तिका, अधिदेवता-काल, प्रत्यधिदेवता-सर्प, पैठीनमि गोत्र, शुद्र, मलयज, चतुर्भुज, द्वादशांगुल, नैऋत्य कोण में कृष्णवर्ण मकराकृति, सीसे की मूर्ति, सिंहवाहन, वराहावतार, श्वेतचंदन, पुष्पादि कृष्णवर्ण, धूप-दारचीनी, बलि-बकरे का मांस, समिध-दूर्वा आदि।
वेदों में राहु का दान-
गोमेद रत्न (अभाव में १:२५ सवा रुपये), नीला वस्त्र, काला कम्बल, काले तिल, लोहपात्र में काले तिल का तेल, सवस्त्र भोज्य एवं दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें। मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं राहवे। जपसंख्या-१२०००, देवी छिन्नमस्तिका, अधिदेवता-काल, प्रत्यधिदेवता-सर्प, पैठीनमि गोत्र, शुद्र, मलयज, चतुर्भुज, द्वादशांगुल, नैऋत्य कोण में कृष्णवर्ण मकराकृति, सीसे की मूर्ति, सिंहवाहन, वराहावतार, श्वेतचंदन, पुष्पादि कृष्णवर्ण, धूप-दारचीनी, बलि-बकरे का मांस, समिध-दूर्वा आदि।
राहु के विषय में-
राहु को तामसिक ग्रह की संज्ञा प्राप्त है। अशुभ होने पर इन्हें क्रूर और निर्दयी कहा गया है। इनका वार शनिवार और बुधवार और अमावस्या है। ये मिथुन राशि में उच्च तथा धनु राशि इनका नीच स्थान है। आद्रा, स्वाति तथा शतभिषा इनके तीन नक्षत्र है। शुक्र, शनि और बुध इनके मित्र ग्रह है।
राहु को तामसिक ग्रह की संज्ञा प्राप्त है। अशुभ होने पर इन्हें क्रूर और निर्दयी कहा गया है। इनका वार शनिवार और बुधवार और अमावस्या है। ये मिथुन राशि में उच्च तथा धनु राशि इनका नीच स्थान है। आद्रा, स्वाति तथा शतभिषा इनके तीन नक्षत्र है। शुक्र, शनि और बुध इनके मित्र ग्रह है।