राहु प्रथम भाव में (Rahu in 1st house)

Kaushik sharma

राहु प्रथम भाव में (Rahu in 1st house)


राहु प्रथम भाव मे बलवान या शुभ अवस्था में हों तो जातक अत्यंत साहसी, पराक्रमी, शत्रुओं के पराक्रम का नाश कर उन पर विजय श्री पाने वाला, धनवान एवं सुख-सम्पन्न होकर जीने वाला होता है। अशुभ होने पर असाधु बुद्धि वाला, निजजनों को कष्टदायी, अधर्मी और कुकर्मी होता है। ऐसे जातक के अनेक स्त्रियों के होने पर भी उनसे तृप्त नही होता तथा अत्यधिक कामी होता है। गृहस्थ जीवन में सभी उत्तरदायित्व को ये ठीक से नही निभाते तथा इनका अधिकतर धन स्वयं के लिए ही खर्च ज्यादा होता है। कवि भट्ट नारायण के अनुसार अपने स्त्री द्वारा जातक अग्नि से तपे कटाह की तरह संतापित रहने वाला, गृह कलह से युक्त, नीच कर्मरत एवं मित्रों का विरोधी होता है। जन्मकुण्डली में दशम, पंचम या नवम भाव में यदि शुभ ग्रह की न स्थित हों तो लग्नस्थ राहु विशेष अशुभ फलदायी बनता है। लग्न स्थित राहु के वर्चस्व एवं दम्भ का प्रभाव चिरकाल तक रहना संभव नही होता तथा एक सामयिक काल तक प्रकाश में आकर आखिर में धूमिल हो जाता है। जातक को सिरदर्द या सिर से जुड़ी कोई बीमारी अवश्य होती है। मिथुन या कन्या राशि स्थित राहु शुभ फल प्रदान करते है तथा उपरिउक्त अशुभ फलों में कमी लाते है।


राहु विभिन्न भावों में-

राहु प्रथम भाव    राहु पंचम भाव    राहु नवम भाव
राहु द्वितीय भाव   राहु छठे भाव     राहु दशम भाव
राहु तृतीय भाव   राहु सप्तम भाव   राहु एकादश भाव
राहु चतुर्थ भाव   राहु अष्टम भाव   राहु द्वादश भाव


अशुभ राहु के उपाय :-

सरस्वती माता कि वंदना करे। भंगी को पैसे दें या मदद करें। ननिहाल, ससुराल से अच्छे सम्बन्ध रखें। गंगा स्नान करें। रसोई में बैठकर खाना खाएं। सरसों नीलम तम्बाकु दान दें। जौ, मूली कच्चे कोयले जल में प्रवाह करें। नारियल का दान दे। सिर पर चोटी रखे, जौ बोझ तले दबाएं। खोटे सिक्के या सिक्का (Lead coin) जल प्रवाह करें।

राहु अशुभ कैसे होता है?

बदनीयत से या धोखे से धन कमाना, झूठी गवाही देना, गबन करना या धोखा देना। घर में धुआं करना। बिजली की चोरी करना, बिजली का सामान और स्टील के बर्तन मुफ्त लेना। ननिहाल, ससुराल से झगड़ा करना। तम्बाकु, सिगरेट आदि का इस्तेमाल करना या मुफ्त मांगकर पीना, नाभि के ऊपर की बिमारियां हो।घर के पास गन्दे पानी का जमा होना या गन्दा पानी घर के दरवाजे के नीचे से निकलता हो, बिना छत के घर में दीवार खड़ी हो, दक्षिण दिशा में घर का दरवाजा हो, मुकदमे बाजी करने पर।

वेदों में राहु का दान- 

गोमेद रत्न (अभाव में १:२५ सवा रुपये), नीला वस्त्र, काला कम्बल, काले तिल, लोहपात्र में काले तिल का तेल, सवस्त्र भोज्य एवं दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें। मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं राहवे। जपसंख्या-१२०००, देवी छिन्नमस्तिका, अधिदेवता-काल, प्रत्यधिदेवता-सर्प, पैठीनमि गोत्र, शुद्र, मलयज, चतुर्भुज, द्वादशांगुल, नैऋत्य कोण में कृष्णवर्ण मकराकृति, सीसे की मूर्ति, सिंहवाहन, वराहावतार, श्वेतचंदन, पुष्पादि कृष्णवर्ण, धूप-दारचीनी, बलि-बकरे का मांस, समिध-दूर्वा आदि।

राहु के विषय में-

राहु को तामसिक ग्रह की संज्ञा प्राप्त है। अशुभ होने पर इन्हें क्रूर और निर्दयी कहा गया है। इनका वार शनिवार और बुधवार और अमावस्या है। ये मिथुन राशि में उच्च तथा धनु राशि इनका नीच स्थान है। आद्रा, स्वाति तथा शतभिषा इनके तीन नक्षत्र है। शुक्र, शनि और बुध इनके मित्र ग्रह है।



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