Shani chandra yog ke upai
शनि-चंद्र योग विहीन जातक को ज्यादा चिंता नहीं सताती जिस तरह इस योग वालों को सताती है। इस योग में जन्मे सभी जातकों को अकारण एवं अतिरिक्त चिंतित रहने के कारणवश उन्माद अवस्था तक ले जाता है तथा जातक विषादग्रस्त और भयभीत होकर जीवन जीता है जो जातक के लिए मंगलकारी नही होता। इस योग वाले जातक को हमेशा अतिरिक्त चिंताओं से दूर तथा शांत रहकर ही अपना जीवन निर्वाह करना चाहिए। यह मानकर चलना चाहिए कि चिंता चिता के समान है जो व्येक्ति को उन्माद बनाकर पागल तक कर सकता है इसलिए चिंता रहित होकर मन को शांत रखना ही इनके अशांत मन-मस्तिष्क को संतुलित रख सकता है और परिणामस्वरूप शनि-चंद्र योग (विष योग) में इन सभी उपायों द्वारा इस योग के पूर्ण रूपेण अशुभ फल न पाकर मन के स्थितिशीलता को शान्त रखने में मदद अवश्य करता हैं। यह बात कटु सत्य और जग जाहिर हैं कि शनि-चंद्र योग से मानसिक शांति न के बराबर ही होता हैं। ऐसा कहें कि घर-परिवार की विषम परिस्थितियों के चलते मानसिक अशांति का विष जातक के शुकून को छीनकर दिल-दिमाग को बेचैन कर देता है। वो समय समय पर हँसता और गाता तो हैं लेकिन वो सामयिक हैं क्योंकि कुछ देर बाद उसकी मनिसिक चिंता वाली स्थिति पुनः बन जाती हैं और इस तरह यह योग विष योग बन जाता हैं। विभिन्न भावों में इस योग का फल इस प्रकार है।
शनि-चंद्र योग के उपाय-
सफेद मोती या चांदी धारण करना ( धनु लग्न वालों ) को छोड़कर। शिव आराधना व पूजा करें। शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि के संध्या के समय शिव की आराधना करने से आशुतोष शंकर की कृपा अवश्य होती हैं। चारपाई के पायों में चांदी की कील लगाना। कीकर के वृक्ष में दूध या पानी डालना। माता, नानी, दादी, सास, विधवा स्त्री की सेवा करना। चांदी के बर्तन में दूध पीएं या पानी पिएं। चलते पानी में स्नान करें। घर में जेट पम्प लगवाना। पहाड़ की सैर करना। बर्षा का पानी चावल, ठोस चांदी घर पर रखें। सफेद रंग की चीजों का दान करें। चंद्र दोष से बचने के श्री कृष्ण, महादेव, कमला माता और चंद्र देव की पूजा अर्चना अवश्य करें। शरद पूर्णिमा के दिन घर पर कर्पूर, सफेद मिश्री युक्त चावल की खीर बनाकर एक रजत पत्र (चांदी की थाली) में रखकर घर के छत पर पूर्ण चंद्र दिखने पर अर्पित करें इसे रातभर पूर्णिमा की चाँदनी के नीचे रखें तथा सुबह परिवार के सभी सदस्यों में बाट दें और खुद भी थोड़ा खा लें। हर पूर्णिमा के रात को चंद्र को 10 /15 मिनट बिना पलक झपकाएं देखें। मन को असीम शांति का अनुभव होगा और मानसिक विकार से मुक्ति मिलेगी। चंद्र देव के प्रियफूल रात को खिलनेवाली सफेद कुमुद हैं इसके अलावा सफेद शंखपुष्पी भी चंद्र देव का अत्यधिक प्रिय फुल माना जाता हैं। इनके न मिलने पर किसी दूसरे सफेद फूलों से पूजा कर सकते हैं। चंद्र देव को अर्पित पुष्प या फूल लाल रंग वाले नहीं होने चाहिए। जन्म कुंडली में शनि-चंद्र योग हो या चंद्र अशुभ हो तो ब्रम्हमुहूर्त में स्नान और शाम होने पहले भी स्नान करते रहना चाहिये। शुक्ल त्रयोदशी के शाम के समय शिव पूजा करते रहें। जल और सफेद गाय के कच्चे दूध, चावल, दूध से बनी सफेद मिठाई ,गंगा जल या शुद्ध जल महादेव को अर्पित करें तो देवादिदेव महादेव के कृपा का पात्र बन जाता हैं और प्रबल मानसिक शांति मिलती हैं। जन्मदात्री माता के नियमित सेवा से चंद्र शुभ फलदायी बन जातें हैं। मनको शांत रखने की हमेशा कोशिश करते रहें।
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