कालसर्प योग द्वारा निरंतर बाधाएं हों तो निम्नलिखित सर्पसूक्त स्तोत्र के 108 या 11 बार पाठ के बाद किसी नदी में स्वर्ण या चांदी आदि के सर्प सर्प सर्पिणी के जोड़े को किसी नदी या सरोवर में विसर्जित कर दें तथा इसे और प्रभावी बनाने के लिए इस सर्पसूक्त को नित्य तीन बार स्नान और पूजा के बाद पढ़ें। ईश्वर की कृपा से आपके सारी बाधाएं नष्ट हो जाएंगी। नाग पंचमी, तर्पण अमावस्या या बुधवार के दिन इस उपाय को करके भाग्य में आने वाली सभी बाधाओं को दूर कर सकते है।
सर्प सूक्त-
कलियो नाम नागोअसौ , कृष्णस्य पाद पांशुना
रक्षा राक्ष्येण सम्प्रात: सोअभयं हि ददातु न:
कलियो नाम नागोअसो, विश्वरूपो भयंकर:
नारायणेन संपृष्टो , सदा शं विदधातु न:
कलियो नाम नागोअयं, ज्ञातो सर्वे महाबली
अभयं प्राप्त कृष्णेन, निर्भयो विचरत्यहि
वसो कालीन स्वदोशाच्च निर्भयं कुरु मां सदा
अनेन पूजानेनाथ प्रीतो सुखकरो भवेत
बलिं प्राप्य स्वकीयां हिं आशीषं मे प्रयच्छतु
कालसर्पस्य दोषोअयं, शान्तो भवतु सर्वथा
तृप्तो नाग: प्रयज्छं में , धन्य धान्यादि सम्पद:
जले विहर त्वं नाग , मां हि शांति प्रदो भव:।।
विशेष नोट :-
जिनको अपने जन्म कुंडली क कालसर्प के नाम का पता हो वे लोग ऊपर दिए गए मंत्र में " कलियो " के स्थान पर अपने कालसर्प का नाम लेकर पढ़ना शुभ होगा ।।
2 :- किसी शिवलिंग में चढ़ाने योग्य तांबे का बड़ा सर्प लाएं और उसे प्राण प्रतिष्ठित कर ब्रम्ह मुहूर्त में शिव मंदिर या शिवालय में छोड़ आएं तथा चांदी से निर्मित एक सर्प सर्पिणी के जोड़े को नदी में प्रवाहित धीरे से करें। इससे भी कालसर्प योग की शांति का विधान बताया जाता है।
3:- शिव उपासना रुद्रसूक्त एवं रुद्राभिषेक द्वारा अभिमंत्रित जल से स्नान करने पर इस योग के अशुभ फलों में कमी लाता है जिससे जातक को राहत मिलती हैं।
4 :- कालसर्प योग के कारण राहु के असर कम करने के लिए हर एक काम में बाधा से निपटने के लिए कम से कम पांच बुधवार राहुकाल में काले कपड़े में एक मुट्ठी अनुसार जों, काले तिल, कला कोयला, शीशा या रांग का टुकड़ा, काली सरसों के दाने और एक जटायुक्त नारियल बांधकर सात बार मंत्र को बोलते हुए अपने सर पर उल्टा घुमाकर (anticlockwise ) घुमाकर नदी में दक्षिण दिशा की और मुह करके धीरे से बहा दें ।
मंत्र:- ओम रां राहवे नमः ।।
इस उपाय के कुछ दिनों बाद देखेंगे कि बंधे हुए कार्यों में गति आ गई हैं तथा कई दिनों से मुलाकात ना होने वाले मित्र या परिचित व्यक्ति से भी मुलाकात होने लगती हैं । सम्पूर्ण जीवन में और कलियुग में राहु का पूर्ण उपाय कभी भी संभव नही हैं इसलिए राहु के इस उपाय को समय समय पर राहत का उपाय के रूप में करते रहना चाहिये और यह इसलिए कि कुछ काल बाद इस उपाय का असर खत्म होने लगता हैं और जीवन में बाधाएं फिर से बढ़ने लगती हैं । पाठकों मेंने भी कई कठिनाई से भरे जीवन में इस प्रयोग को कई बार दोहरा के अपने बुरे समय को ठीक करने का प्रयत्न किया इसलिये आप की शुभता के लिए इस उपाय को अवश्य अपनाएं क्योकी यह प्रयोग सभीको मदद अवश्य करता हैं । पाठकों को यह समझना चाहिये कि कुंडली में कालसर्प अगर न भी हों तो भी इस राहु के उपाय से हर एक व्यक्ति को लाभ ही मिलता हैं तथा कोई नुकसान नही करता।
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