शुक्र सप्तम भाव में उच्च, स्वक्षेत्री या मित्र राशि में हों तो जातक उत्तम स्त्री का पति, संगीत या अन्य कलाकुशाली तथा सुंदर स्वरूप वाला होता है। जातक आपने परिवार परिजनों एवं सभी के लिए विश्वासपात्र होता है। अपनी बुद्धि से सभी को आश्चर्यचकित करने वाला तथा व्यापार द्वारा विपुल धन लाभ करने वाला होता है। गृहस्थ जीवन सुख एवं आनंद से परिपूर्ण होता है तथा सभी की सहायता से भाग्यशाली होकर यशश्वी होता है। जातक कामकला में निपुण एवं सभी को अपने मोहजाल में फसाने वाला होता है। ऐसे जातक स्त्रियों के प्रति आसक्त तथा अत्यधिक कामी होने के कारण सिर्फ एक स्त्री से अतृप्त रहता है जिसके चलते वह किसी एक स्त्री से सम्बन्धयुक्त होकर न रह पाने के कारण कई स्त्रियों से सम्बन्ध रखने वाला होता है। शुक्र गुरु युक्त-दृष्ट या गुरु की राशिगत होने पर कामी होने पर भी मर्यादा भंग नही करता तथा गुरु से सम्बन्धविहीन होने पर ही दुर्व्यसनों का शिकार होता है। शुक अशुभ होने पर व्येश्या से संपर्क रखने वाला तथा सर्वदा कामादि चिंताओं में आसक्त रहने वाला होता है। कई जातकों को दूसरों का विवाह कराने में माहिर होने के कारण मॅट्रिमोनी आदि संस्थाओं से जुड़े रहते देखा गया है। शुक्र मेष अथवा वृश्चिक राशि में हो तो कामासक्त एवं व्येभिचारी होता है। अशुभ होकर शनि युक्त हों जातक की स्त्री व्येभिचारीणी होती है तथा द्विभार्या योग वाला होता है। अधिक ग्रहों के साथ युक्त होने पर कई विवाह संबंध बनने वाला एवं कलह करने के कारण गृहस्थ जीवन को बर्बाद करने वाले होते है जिसके कारण इनके जीवन का रंग भंग होकर दुखपूर्वक जीवन जीने को मजबूर होते है।
शुक्र विभिन्न भावों में-
अन्य सभी ग्रह-
👉 सूर्य सभी घरों में
👉 चंद्र सभी घरों में
👉 मंगल सभी घरों में
👉 बुध सभी घरों में
👉 बृहस्पति सभी घरों में
👉 शुक्र सभी घरों में
👉 शनि सभी घरों में
👉 राहु सभी घरों में
👉 केतु सभी घरों में
👉 युरेनस सभी घरों में
👉 नेप्च्यून सभी घरों में
👉 प्लूटो सभी घरों में
👉 सूर्य सभी घरों में
👉 चंद्र सभी घरों में
👉 मंगल सभी घरों में
👉 बुध सभी घरों में
👉 बृहस्पति सभी घरों में
👉 शुक्र सभी घरों में
👉 शनि सभी घरों में
👉 राहु सभी घरों में
👉 केतु सभी घरों में
👉 युरेनस सभी घरों में
👉 नेप्च्यून सभी घरों में
👉 प्लूटो सभी घरों में