शुक्र सप्तम भाव में (venus in 7th house)

Kaushik sharma

शुक्र सप्तम भाव में (venus in 7th house)


शुक्र सप्तम भाव में उच्च, स्वक्षेत्री या मित्र राशि में हों तो जातक उत्तम स्त्री का पति, संगीत या अन्य कलाकुशाली तथा सुंदर स्वरूप वाला होता है। जातक आपने परिवार परिजनों एवं सभी के लिए विश्वासपात्र होता है। अपनी बुद्धि से सभी को आश्चर्यचकित करने वाला तथा व्यापार द्वारा विपुल धन लाभ करने वाला होता है। गृहस्थ जीवन सुख एवं आनंद से परिपूर्ण होता है तथा सभी की सहायता से भाग्यशाली होकर यशश्वी होता है। जातक कामकला में निपुण एवं सभी को अपने मोहजाल में फसाने वाला होता है। ऐसे जातक स्त्रियों के प्रति आसक्त तथा अत्यधिक कामी होने के कारण सिर्फ एक स्त्री से अतृप्त रहता है जिसके चलते वह किसी एक स्त्री से सम्बन्धयुक्त होकर न रह पाने के कारण कई स्त्रियों से सम्बन्ध रखने वाला होता है। शुक्र गुरु युक्त-दृष्ट या गुरु की राशिगत होने पर कामी होने पर भी मर्यादा भंग नही करता तथा गुरु से सम्बन्धविहीन होने पर ही दुर्व्यसनों का शिकार होता है। शुक अशुभ होने पर व्येश्या से संपर्क रखने वाला तथा सर्वदा कामादि चिंताओं में आसक्त रहने वाला होता है। कई जातकों को दूसरों का विवाह कराने में माहिर होने के कारण मॅट्रिमोनी आदि संस्थाओं से जुड़े रहते देखा गया है। शुक्र मेष अथवा वृश्चिक राशि में हो तो कामासक्त एवं व्येभिचारी होता है। अशुभ होकर शनि युक्त हों जातक की स्त्री व्येभिचारीणी होती है तथा द्विभार्या योग वाला होता है। अधिक ग्रहों के साथ युक्त होने पर कई विवाह संबंध बनने वाला एवं कलह करने के कारण गृहस्थ जीवन को बर्बाद करने वाले होते है जिसके कारण इनके जीवन का रंग भंग होकर दुखपूर्वक जीवन जीने को मजबूर होते है।


शुक्र विभिन्न भावों में-


शुक्र के विशेष उपाय-


घर में तुलसी का पौधा लगाएं। संभव हो तो हीरा धारण करें ( मीन और वृश्चिक लग्न को छोड़कर )। क्रीम या सफेद रंग के कपड़े या जूते पहनें। शुक्रवार या शुक्र की दशा में एक सफेद गाय पालें और रोजाना चारा दें। संभव हो तो बछड़े वाली सफेद गाय का दान करें। अपने इष्ट की मूर्ति चांदी की रखें। चांदी का सिक्का हमेशा अपने पास रखें। लगातार ४३ दिन तक अपने गुप्तांग को धोएं। चांदी आदि की चैन, अंगूठी या आभूषण शुकवार को धारण करें। सफेद पुष्प, मिश्री, कपूर, अभ्रक और २७ दाने चरी को एक सफेद कपड़े में बांधकर अपने घर में रखें। घर में सुगंधित स्वेत पुष्प के पौधों को घर में लगाएं एवं पुष्प होने पर इसे उपयोग में लाएं। शुक्रवार को हरी मंदिर में लोमड़ी गाय के सफेद चामर का दान करें। दही का दान भी सदैव शुकवार को करते रहें। शुक्रवार को सर्वदा सफेद कपड़े को इस्त्री कर पहनकर सुंगधि आदि लगाकर निकलें। नशीले पदार्थ सिगरेट, तंबाकू और शराब प्रयोग में न लाएं। पांच कन्याओं को पांच शुक्रवार सफेद मिश्री वाली खीर खिलाएं। स्त्रियों को सन्मान करें । लक्ष्मी पूजन करें ।मंदिर में देशी घी का दिया जलाएं।

शुक्र कब अशुभ होता है ? 


आनंद के समय अचानक दुखदायी घटना घटित होने पर। गाय या स्त्री से दुर्व्यवहार करने पर। ससुराल के साथ शुभ संबंध न होने पर। गुप्त रोग या क्षयरोग आदि होने पर तथा लंबी बीमारी से दुखदायी स्थिति होने पर। स्त्री के मायके जाने से वापस न आने पर। लक्ष्मी के रूठ जाने पर। आम लोगों से दुश्मनी मोल लेने पर। फटे, मलिन और बदबूदार कपड़े पहनने या इस्तेमाल करने पर। स्त्रियों के साथ अनैतिक संबंध होने पर। हँसमुख स्वभाव न होने पर।


वेदों में शुक्र का दान- 


हीरा अभाव में ( सवा रुपये ), स्वेत या विचित्र वस्त्र, श्वेत अश्व ( अभाव में सवा रुपये ), सवत्सा धेनु, चांदी, सुगंधित चावल, सुगंधित द्रव्य, भोज्य सहित मंत्र दान करें - मंत्र- ॐ ह्रीं शुक्राय। जपसंख्या- २१,०००, देवी भुवनेश्वरी, अधिदेवता इंद्र, प्रत्यधिदेवता शची, भार्गव गोत्र, विप्र, चतुर्भुज, भोजकट, पूर्व दिशा में स्वेतवर्ण चतुष्कोणाकृति, राजतमूर्ति, पद्मोपरिस्थ, परशुराम अवतार, स्वेतवर्ण पुष्प, धूप गुग्गुल, बलि घृतमिश्रित अन्न, समिध गूलर दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें। 

शुक्र के विषय में-


शुक्र को असुरगुरु की संज्ञा प्राप्त है। इन्हे सौम्य और शुभ ग्रह माना गया है। इनका वार शुक्रवार है। ये मीन राशि में उच्च और कन्या राशि इनका नीच स्थान है। बुध और शनि इनके मित्रग्रह है। 















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