शुक्र छठे भाव में उच्च, मित्र राशिगत अथवा स्वगृही हो तो शत्रुओं पर विजय दिलाता है। ऐसे जातक का शरीर निरोगी एवं स्वस्थ रहता है। अशुभ होने पर दुर्बल, माता-पिता एवं गुरूजनों के सुख से रहित, मनमौजी, मित्रों का विरोधी तथा चिरकाल तक शत्रुओं से भयभीत रहता है। युवाकाल में स्त्रियों के लिए अपव्ययी होकर भी प्रेम में असफल एवं प्रेमी द्वारा त्यागी होते है। जातक युवाकाल में कामादि दुर्व्यसनों का शिकार होकर वीर्यहीनता से उम्र होने पर कामशक्ति हीन होता है। जातक को मधुमेह,बहुमूत्र, मूत्र विकार या गुप्त रोग होने की संभावना भी होती है। आगे चलकर शारीरिक अक्षमता के कारण ,अलसी एवं निर्धन बनते है। कवि भट्ट नारायण के अनुसार ऐसे जातकों के आस-पड़ोस की स्त्रियों में से कोई इनके बारे कुमन्त्रनाकारी होकर इनके भाग्यवृद्धि में अवरोध उत्पन्न करते है जिसके कारण इनका मन तापित होता है। जातक यत्नपूर्वक किये गए कार्यों में भी असफल होते है तथा शत्रुओं की संख्या में वृद्धि होती है। शुक्र शुभ होने पर उक्त अशुभ फलों में कमी लाकर जातक का जीवन कम कष्टदायी बनाता है। ज्योतिष प्रवाद अनुसार छठे भाव में स्थित शुक्र प्रायःनिष्फल या प्रभावहीन होता है तथा स्त्री वियोग आदि अशुभ फलों की प्राप्ति होती है। विशेष अशुभ होने पर जातक लक्ष्मी विहीन होता है।
शुक्र विभिन्न भाव में-
शुक्र के विशेष उपाय-
घर में तुलसी का पौधा लगाएं। संभव हो तो हीरा धारण करें ( मीन और वृश्चिक लग्न को छोड़कर )। क्रीम या सफेद रंग के कपड़े या जूते पहनें। शुक्रवार या शुक्र की दशा में एक सफेद गाय पालें और रोजाना चारा दें। संभव हो तो बछड़े वाली सफेद गाय का दान करें। अपने इष्ट की मूर्ति चांदी की रखें। चांदी का सिक्का हमेशा अपने पास रखें। लगातार ४३ दिन तक अपने गुप्तांग को धोएं। चांदी आदि की चैन, अंगूठी या आभूषण शुकवार को धारण करें। सफेद पुष्प, मिश्री, कपूर, अभ्रक और २७ दाने चरी को एक सफेद कपड़े में बांधकर अपने घर में रखें। घर में सुगंधित स्वेत पुष्प के पौधों को घर में लगाएं एवं पुष्प होने पर इसे उपयोग में लाएं। शुक्रवार को हरी मंदिर में लोमड़ी गाय के सफेद चामर का दान करें। दही का दान भी सदैव शुकवार को करते रहें। शुक्रवार को सर्वदा सफेद कपड़े को इस्त्री कर पहनकर सुंगधि आदि लगाकर निकलें। नशीले पदार्थ सिगरेट, तंबाकू और शराब प्रयोग में न लाएं। पांच कन्याओं को पांच शुक्रवार सफेद मिश्री वाली खीर खिलाएं। स्त्रियों को सन्मान करें । लक्ष्मी पूजन करें ।मंदिर में देशी घी का दिया जलाएं।
शुक्र कब अशुभ होता है ?
आनंद के समय अचानक दुखदायी घटना घटित होने पर। गाय या स्त्री से दुर्व्यवहार करने पर। ससुराल के साथ शुभ संबंध न होने पर। गुप्त रोग या क्षयरोग आदि होने पर तथा लंबी बीमारी से दुखदायी स्थिति होने पर। स्त्री के मायके जाने से वापस न आने पर। लक्ष्मी के रूठ जाने पर। आम लोगों से दुश्मनी मोल लेने पर। फटे, मलिन और बदबूदार कपड़े पहनने या इस्तेमाल करने पर। स्त्रियों के साथ अनैतिक संबंध होने पर। हँसमुख स्वभाव न होने पर।
वेदों में शुक्र का दान-
हीरा अभाव में ( सवा रुपये ), स्वेत या विचित्र वस्त्र, श्वेत अश्व ( अभाव में सवा रुपये ), सवत्सा धेनु, चांदी, सुगंधित चावल, सुगंधित द्रव्य, भोज्य सहित मंत्र दान करें - मंत्र- ॐ ह्रीं शुक्राय। जपसंख्या- २१,०००, देवी भुवनेश्वरी, अधिदेवता इंद्र, प्रत्यधिदेवता शची, भार्गव गोत्र, विप्र, चतुर्भुज, भोजकट, पूर्व दिशा में स्वेतवर्ण चतुष्कोणाकृति, राजतमूर्ति, पद्मोपरिस्थ, परशुराम अवतार, स्वेतवर्ण पुष्प, धूप गुग्गुल, बलि घृतमिश्रित अन्न, समिध गूलर दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें।
शुक्र के विषय में-
शुक्र को असुरगुरु की संज्ञा प्राप्त है। इन्हे सौम्य और शुभ ग्रह माना गया है। इनका वार शुक्रवार है। ये मीन राशि में उच्च और कन्या राशि इनका नीच स्थान है। बुध और शनि इनके मित्रग्रह है।