शुक्र पंचम भाव में शुभ हो तो जातक ललितकला, संगीत या काव्य आदि में रुचि रखने वाला, विद्या स्थानादि शुभ होने पर पंचमस्थ शुक्र के जातक नौकरी आदि में उच्चपद की प्राप्ति करने वाला होता है।कोई कोई जातक स्वतंत्र व्यवसाय द्वारा विपुल अर्थ का लाभ पाने वाला होता है। कवि भट्ट नारायण के अनुसार ऐसे जातकों के घर या पड़ोस में नृत्य-संगीत आदि का वातावरण बना रहता है। सरकारी कर्म करने पर इनको विशेष सन्मान लाभ तथा विवाहोत्तर जीवन में कन्या संतानों की वृद्धि कराने वाला होता है। जातक उत्तम सलाहकार होते है तथा व्यापार एवं व्यवसाय करने पर इन्हें विपुल धन लाभ होता है। जातक स्त्री देवता के उपासक होते है। कई जातकों को सट्टा आदि द्वारा लाभवान होते भी देखा गया है। शुक्र शत्रु क्षेत्रगत, अस्त या पापयुक्त होने पर बुद्धिहीनता से कई नुकसान पाने वाला तथा कन्याओं के वृद्धि के कारण पुत्र प्राप्ति के अभाव से दुखी या पीड़ित रहने वाला होता है। विशेष अशुभ होने पर अत्यधिक संभोग से पत्नी के गर्भपात की संभावना होती है। शुक्र मध्यबली होने पर भी निन्मतर संगीत आदि कला या व्यवसाय आदि द्वारा धन लाभ करते देखा गया है। अशुभ होने से धूर्त और कपटता का सहारा लेते है तथा धनादि उधार लेने पर भी ये समय पर नही लौटातें। इनका यश चरित्रहीनता के कारण क्षतिग्रस्त होता है।
शुक्र विभिन्न भावों में-
शुक्र के विशेष उपाय-
घर में तुलसी का पौधा लगाएं। संभव हो तो हीरा धारण करें (मीन और वृश्चिक लग्न को छोड़कर)। क्रीम या सफेद रंग के कपड़े या जूते पहनें। शुक्रवार या शुक्र की दशा में एक सफेद गाय पालें और रोजाना चारा दें। संभव हो तो बछड़े वाली सफेद गाय का दान करें। अपने इष्ट की मूर्ति चांदी की रखें। चांदी का सिक्का हमेशा अपने पास रखें। लगातार ४३ दिन तक अपने गुप्तांग को धोएं। चांदी आदि की चैन, अंगूठी या आभूषण शुकवार को धारण करें। सफेद पुष्प, मिश्री, कपूर, अभ्रक और २७ दाने चरी को एक सफेद कपड़े में बांधकर अपने घर में रखें। घर में सुगंधित स्वेत पुष्प के पौधों को घर में लगाएं एवं पुष्प होने पर इसे उपयोग में लाएं। शुक्रवार को हरी मंदिर में लोमड़ी गाय के सफेद चामर का दान करें। दही का दान भी सदैव शुकवार को करते रहें। शुक्रवार को सर्वदा सफेद कपड़े को इस्त्री कर पहनकर सुंगधि आदि लगाकर निकलें। नशीले पदार्थ सिगरेट, तंबाकू और शराब प्रयोग में न लाएं। पांच कन्याओं को पांच शुक्रवार सफेद मिश्री वाली खीर खिलाएं। स्त्रियों को सन्मान करें। लक्ष्मी पूजन करें ।मंदिर में देशी घी का दिया जलाएं।
शुक्र कब अशुभ होता है ?
आनंद के समय अचानक दुखदायी घटना घटित होने पर। गाय या स्त्री से दुर्व्यवहार करने पर। ससुराल के साथ शुभ संबंध न होने पर। गुप्त रोग या क्षयरोग आदि होने पर तथा लंबी बीमारी से दुखदायी स्थिति होने पर। स्त्री के मायके जाने से वापस न आने पर। लक्ष्मी के रूठ जाने पर। आम लोगों से दुश्मनी मोल लेने पर। फटे, मलिन और बदबूदार कपड़े पहनने या इस्तेमाल करने पर। स्त्रियों के साथ अनैतिक संबंध होने पर। हँसमुख स्वभाव न होने पर।
वेदों में शुक्र का दान-
हीरा अभाव में ( सवा रुपये ), स्वेत या विचित्र वस्त्र, श्वेत अश्व ( अभाव में सवा रुपये ), सवत्सा धेनु, चांदी, सुगंधित चावल, सुगंधित द्रव्य, भोज्य सहित मंत्र दान करें - मंत्र- ॐ ह्रीं शुक्राय। जपसंख्या- २१,०००, देवी भुवनेश्वरी, अधिदेवता इंद्र, प्रत्यधिदेवता शची, भार्गव गोत्र, विप्र, चतुर्भुज, भोजकट, पूर्व दिशा में स्वेतवर्ण चतुष्कोणाकृति, राजतमूर्ति, पद्मोपरिस्थ, परशुराम अवतार, स्वेतवर्ण पुष्प, धूप गुग्गुल, बलि घृतमिश्रित अन्न, समिध गूलर दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें।
शुक्र के विषय में-
शुक्र को असुरगुरु की संज्ञा प्राप्त है। इन्हे सौम्य और शुभ ग्रह माना गया है। इनका वार शुक्रवार है। ये मीन राशि में उच्च और कन्या राशि इनका नीच स्थान है। बुध और शनि इनके मित्रग्रह है।