मनोकामनापूर्ति का उपाय
(Make your wish come true)
(Make your wish come true)
वेदों में मनोकामनापूर्ति के ऐसे कई उपाय बताएं गए हैं जिन्हे सिद्ध करने पर अपने इच्छा अनुसार परम सिद्धि को प्राप्त करते है लेकिन वर्तमान समय में कई लोग कठिनाई भरे पूजा अर्चना को छोड़कर टोने -टोटके आदि का सहारा लेकर इच्छापुरक कर्मों को करने का प्रयास करते है जिनसे उन्हें परिणाम में असफलता ही हाथ लगता है इसलिए इस संदर्भ में पाठकों के निमित्त मनोकामनापूर्ति के विषय में एक बहुचर्चित एवं अत्यंत प्रामाणिक प्रकिया से अवगत कराना मेरा प्रथम कर्तव्य बन जाता है।
सूर्य के उत्तरायण में संचार कालीन रविपुष्यामृत योग का कोई ऐसा संयोग वाला दिन आ जाये तो उस दिन श्वेतार्क के किसी पूराने वृक्ष की जड़को सही विधि सहित तोड़ लाएं लेकिन ये ध्यान में रखें कि पूर्व दिशा के जड़ से मान-सन्मान, राजकीय या सरकारी कृपा की प्राप्ति, उन्नति एवं सफलता के लिए, पश्चिम दिशा की जड़ से शत्रु या विरोधी पक्ष को क्षति पहुंचाने के लिए, उत्तर दिशा की जड़ से धन एवं लक्ष्मी की प्राप्ति या किसी को वश में करने के लिए तथा दक्षिण दिशा के जड़ से शत्रु की मृत्यु या विनाश एवं रोगों का नाश के लिए लिया जाता है। साधक अपने इच्छा के अनुरूप वाली दिशा का जड़ लाकर किसी मूर्तिकार से उसीदिन श्वेतार्क की जड़ से गणपति की संभावित मूर्ति का निर्माण कराएं। इसमें यह ध्यान रखें कि यह मूर्ति तकरीबन अपनी दाहिने हाथ की अंगूठे के बराबर ही होनी चाहिये तथा उससे अधिक बड़ा नही होना चाहिए। अंगूठे से बड़े होने पर यह साधना विफल होती है। इस साधना में श्वेतार्क गणपति जी को लाल कनेर के पुष्प द्वारा पूजा करना अनिवार्य होता है। जातक स्वयं या किसी ब्राह्मण द्वारा अपने नाम गोत्र का उच्चारण कर संकल्प कर उसी दिन से तकरीबन एक महीने पूजा का अनुष्ठान पूर्ण ब्रम्हचर्य पालन सहित शाकाहारी भोजन करना पड़ता है। इसमे ध्यान देने वाली बात यह है कि लाल कनेर पुष्प चैत्र के अंत से वैशाख या जेठ के महीने में ही खिलता है इसलिए वैशाख के महीने में परने वाली किसी रविपुष्यामृत का चुनाव ही बेहतर है। इस प्रक्रिया से पुजा सम्पन्न करने पर साधक के सभी इच्छाओँ की पूर्ति हो जाती है।
Nerium indicum ( लाल कनेर )
पूजा मंत्र-"ॐ गां गणेशाय नमः।
ॐ पंचातबां ॐ आंतरिक्षाय स्वाहा । "
पुजा के बाद (लाल कनेर) व शुद्ध गाय के घी के साथ शहद का मिश्रण करके ऊपरी उक्त मंत्र द्वारा १०८ बार होम कार्य सम्पन्न करें। होम समाप्त होने पर नीचे दिए गए मंत्र का १००८ बार रुद्राक्ष की माला से जप कार्य सम्पन्न करें।
जप मंत्र-"ॐ ह्रीं श्रीं मानसे सिद्धिकरि ह्रीं नमः।"
अंत मे इसी जप मंत्र को १०८ बार बोलते हुए पूजा के पुष्प एवं सभी पूजित सामग्रियों को नदी में विसर्जित कर दें। इस साधना के पूर्ण होने के कुछ ही दिनों बाद जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। यह साधना श्वेतार्क गणपति का एक स्वयं सिद्ध साधना है जिसके के लिए यह वृक्ष जगप्रसिद्ध है। प्राचीन समय से ही इस साधना को कई साधकों ने किया और अपनी इच्छा पूर्ण होने पर श्री श्वेतार्क गणपति का मन ही मन धन्यवाद किया। आप चाहें तो इस साधना को कर सकते है जो की बहुत कठिन नही है। इस साधना में न तो सवा लाख जप एवं जप के दशांश होम की व्यापकता है न ही मंत्र के पुरश्चरण की इसलिए जातक वैशाख या भाद्र के महीने में पड़ने वाली किसी रविपुष्यामृत योग में इस साधना को सम्पन्न कर लाभान्वित हो सकते है। अनेक जानकर व्येक्तियों के लिए ये साधना अनुभूत और स्वयंसिद्ध साधनाओं में से एक है। इस साधना को सही विधि से करके कइयों की जिंदगी ही बदल चुकी है तथा श्री श्वेतार्क गणपति के आशीर्वाद से धन ऐश्वर्य से संपन्न होकर सुखी जीवन व्येतीत कर चुके हैं।
नोट-
लाल कनेर और दूर्वादल से यह पूजा बहुत प्रभावशाली मानी जाती है यदि लाल कनेर पुष्प की प्राप्ति संभव न हो तो भी ये पूजा सम्पूर्ण कराई जा सकती है जिसके लिए वैशाख या भाद्र का महीना सर्वश्रेष्ठ है। आदरनीय पाठकगण इस साधना के विषय मे और जानकारी प्राप्त करने हेतु हमारे ज्योतिष कार्यालय से संपर्क कर सकते है। धन्यवाद।
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