शुक्र योगकारी होकर चतुर्थ भाव भावगत हों तो भू-स्वामी, अट्टालिका या सुन्दर भवन वाहन आदि का सुख पाने वाला, युवाकाल में बहुमित्रों की संगति करने वाला, मनमौजी एवं आनंदी प्रकीर्ति का होता है। जातक सौंदर्यप्रिय,मनोरंजन से पूर्ण संगीत, नाट्य, सिनेमा आदि का प्रेमी तथा व्यवहार कुशल होकर सर्वप्रिय होता है। कवि भट्ट नारायण के अनुसार ऐसे जातकों से घर या बाहरवाले रुष्ट होने पर भी इनका कोई ज्यादा नुकसान नही होता क्योंकि हर प्रयोजनीय भाग्य से ये भूषित होते है। शुक्र स्वक्षत्री हों तो माता से अधिक स्नेह पाने वाले तथा स्वयं भी मातृवत्सल होते है। शुक्र के बलाबल और राशिगत भावपति के अनुसार उक्त फलों की प्राप्ति होती है। शुक्र षष्ट, अष्टम या द्वादशपति होकर चतुर्थ में हों तो जन्मदात्री माता को दुःख की प्राप्ति संभव है तथा भूमि या जमीन जायदाद के विषय में अशुभ फल की प्राप्ति होती है। किराये के मकान या पर आश्रित होकर दुःखी जीवन व्येतीत करते है। ऐसे जातकों को बहुत ज्यादा प्रसन्नता शुभसूचक नही होती क्योंकि आगे चलकर किसी की भी किंचित दुखदायी कटूक्ति इनका हृदय विदीर्ण कर देती है। शुक्र योगकारी होकर स्वक्षत्री होने पर ज्योतिष उक्त मालव्य योग का निर्माण करता है जो कि भूमि-भवन या वाहनादि के सुखों से जातक को भाग्यशाली बनाता है। आशुभ होने पर इन्ही विषयों में कमी लाकर दुखी जीवन जीता है।
शुक्र विभिन्न भावों में-
शुक्र के विशेष उपाय-
घर में तुलसी का पौधा लगाएं। संभव हो तो हीरा धारण करें ( मीन और वृश्चिक लग्न को छोड़कर )। क्रीम या सफेद रंग के कपड़े या जूते पहनें। शुक्रवार या शुक्र की दशा में एक सफेद गाय पालें और रोजाना चारा दें। संभव हो तो बछड़े वाली सफेद गाय का दान करें। अपने इष्ट की मूर्ति चांदी की रखें। चांदी का सिक्का हमेशा अपने पास रखें। लगातार ४३ दिन तक अपने गुप्तांग को धोएं। चांदी आदि की चैन, अंगूठी या आभूषण शुकवार को धारण करें। सफेद पुष्प, मिश्री, कपूर, अभ्रक और २७ दाने चरी को एक सफेद कपड़े में बांधकर अपने घर में रखें। घर में सुगंधित स्वेत पुष्प के पौधों को घर में लगाएं एवं पुष्प होने पर इसे उपयोग में लाएं। शुक्रवार को हरी मंदिर में लोमड़ी गाय के सफेद चामर का दान करें। दही का दान भी सदैव शुकवार को करते रहें। शुक्रवार को सर्वदा सफेद कपड़े को इस्त्री कर पहनकर सुंगधि आदि लगाकर निकलें। नशीले पदार्थ सिगरेट, तंबाकू और शराब प्रयोग में न लाएं। पांच कन्याओं को पांच शुक्रवार सफेद मिश्री वाली खीर खिलाएं। स्त्रियों को सन्मान करें । लक्ष्मी पूजन करें ।मंदिर में देशी घी का दिया जलाएं।
शुक्र कब अशुभ होता है ?
आनंद के समय अचानक दुखदायी घटना घटित होने पर। गाय या स्त्री से दुर्व्यवहार करने पर। ससुराल के साथ शुभ संबंध न होने पर। गुप्त रोग या क्षयरोग आदि होने पर तथा लंबी बीमारी से दुखदायी स्थिति होने पर। स्त्री के मायके जाने से वापस न आने पर। लक्ष्मी के रूठ जाने पर। आम लोगों से दुश्मनी मोल लेने पर। फटे, मलिन और बदबूदार कपड़े पहनने या इस्तेमाल करने पर। स्त्रियों के साथ अनैतिक संबंध होने पर। हँसमुख स्वभाव न होने पर।
वेदों में शुक्र का दान-
हीरा अभाव में ( सवा रुपये ), स्वेत या विचित्र वस्त्र, श्वेत अश्व ( अभाव में सवा रुपये ), सवत्सा धेनु, चांदी, सुगंधित चावल, सुगंधित द्रव्य, भोज्य सहित मंत्र दान करें - मंत्र- ॐ ह्रीं शुक्राय। जपसंख्या- २१,०००, देवी भुवनेश्वरी, अधिदेवता इंद्र, प्रत्यधिदेवता शची, भार्गव गोत्र, विप्र, चतुर्भुज, भोजकट, पूर्व दिशा में स्वेतवर्ण चतुष्कोणाकृति, राजतमूर्ति, पद्मोपरिस्थ, परशुराम अवतार, स्वेतवर्ण पुष्प, धूप गुग्गुल, बलि घृतमिश्रित अन्न, समिध गूलर दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें।
शुक्र के विषय में-
शुक्र को असुरगुरु की संज्ञा प्राप्त है। इन्हे सौम्य और शुभ ग्रह माना गया है। इनका वार शुक्रवार है। ये मीन राशि में उच्च और कन्या राशि इनका नीच स्थान है। बुध और शनि इनके मित्रग्रह है।