शुक्र द्वादश भाव में शुभ राशिगत होकर स्थित हों तो धन का लाभ करने वाला, स्त्री, चौपाये या उत्तम शय्या का भोगी तथा सत्कर्मों में व्येय करने वाला होता है। ऐसे जातक दृरता एवं परिश्रम से कार्य करते हुए भाग्य की वृद्धि करने वाला तथा अपने जीवन काल में स्वर्गिक सुखों का भोग करने वाला तथा मृत्यु के उपरांत स्वर्गलोक की प्राप्ति करने वाला होता है। कोई कोई जातक चलचित्र, नाट्य या संगीत शाला आदि का संस्थापक भी होता है। विदेश में ये अधिक सफलता का लाभ करने वाले तथा धन-धान्य से परिपूर्ण ऐश्वर्यशाली जीवन जीने वाले होते है। अशुभ होने पर कामादि दुर्व्यसनों का शिकार तथा स्त्री लोलुप होता है। जातक मित्रों से वैर रखने वाला, स्वेच्छाचारी, परस्त्रीगामी, अपव्येयी तथा आलसी होता है। युवाकाल में स्त्रियों के कारण धन खर्च करने वाला, इन्द्रिय लोलुप तथा मानसिक चिंताओं से ग्रसित होता है। विशेष प्रयास करने पर भी धन संचय न कर पाना, ऋणग्रस्त तथा लक्ष्मी विहीन होकर नरकगामी होता है।
शुक्र विभिन्न भावों में-
शुक्र के विशेष उपाय-
घर में तुलसी का पौधा लगाएं। संभव हो तो हीरा धारण करें ( मीन और वृश्चिक लग्न को छोड़कर )। क्रीम या सफेद रंग के कपड़े या जूते पहनें। शुक्रवार या शुक्र की दशा में एक सफेद गाय पालें और रोजाना चारा दें। संभव हो तो बछड़े वाली सफेद गाय का दान करें। अपने इष्ट की मूर्ति चांदी की रखें। चांदी का सिक्का हमेशा अपने पास रखें। लगातार ४३ दिन तक अपने गुप्तांग को धोएं। चांदी आदि की चैन, अंगूठी या आभूषण शुकवार को धारण करें। सफेद पुष्प, मिश्री, कपूर, अभ्रक और २७ दाने चरी को एक सफेद कपड़े में बांधकर अपने घर में रखें। घर में सुगंधित स्वेत पुष्प के पौधों को घर में लगाएं एवं पुष्प होने पर इसे उपयोग में लाएं। शुक्रवार को हरी मंदिर में लोमड़ी गाय के सफेद चामर का दान करें। दही का दान भी सदैव शुकवार को करते रहें। शुक्रवार को सर्वदा सफेद कपड़े को इस्त्री कर पहनकर सुंगधि आदि लगाकर निकलें। नशीले पदार्थ सिगरेट, तंबाकू और शराब प्रयोग में न लाएं। पांच कन्याओं को पांच शुक्रवार सफेद मिश्री वाली खीर खिलाएं। स्त्रियों को सन्मान करें । लक्ष्मी पूजन करें ।मंदिर में देशी घी का दिया जलाएं।
शुक्र कब अशुभ होता है ?
आनंद के समय अचानक दुखदायी घटना घटित होने पर। गाय या स्त्री से दुर्व्यवहार करने पर। ससुराल के साथ शुभ संबंध न होने पर। गुप्त रोग या क्षयरोग आदि होने पर तथा लंबी बीमारी से दुखदायी स्थिति होने पर। स्त्री के मायके जाने से वापस न आने पर। लक्ष्मी के रूठ जाने पर। आम लोगों से दुश्मनी मोल लेने पर। फटे, मलिन और बदबूदार कपड़े पहनने या इस्तेमाल करने पर। स्त्रियों के साथ अनैतिक संबंध होने पर। हँसमुख स्वभाव न होने पर।
वेदों में शुक्र का दान-
हीरा अभाव में ( सवा रुपये ), स्वेत या विचित्र वस्त्र, श्वेत अश्व ( अभाव में सवा रुपये ), सवत्सा धेनु, चांदी, सुगंधित चावल, सुगंधित द्रव्य, भोज्य सहित मंत्र दान करें - मंत्र- ॐ ह्रीं शुक्राय। जपसंख्या- २१,०००, देवी भुवनेश्वरी, अधिदेवता इंद्र, प्रत्यधिदेवता शची, भार्गव गोत्र, विप्र, चतुर्भुज, भोजकट, पूर्व दिशा में स्वेतवर्ण चतुष्कोणाकृति, राजतमूर्ति, पद्मोपरिस्थ, परशुराम अवतार, स्वेतवर्ण पुष्प, धूप गुग्गुल, बलि घृतमिश्रित अन्न, समिध गूलर दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें।
शुक्र के विषय में-
शुक्र को असुरगुरु की संज्ञा प्राप्त है। इन्हे सौम्य और शुभ ग्रह माना गया है। इनका वार शुक्रवार है। ये मीन राशि में उच्च और कन्या राशि इनका नीच स्थान है। बुध और शनि इनके मित्रग्रह है।
अन्य सभी ग्रह-
👉 सूर्य सभी घरों में
👉 चंद्र सभी घरों में
👉 मंगल सभी घरों में
👉 बुध सभी घरों में
👉 बृहस्पति सभी घरों में
👉 शुक्र सभी घरों में
👉 शनि सभी घरों में
👉 राहु सभी घरों में
👉 केतु सभी घरों में
👉 युरेनस सभी घरों में
👉 नेप्च्यून सभी घरों में
👉 प्लूटो सभी घरों में
👉 सूर्य सभी घरों में
👉 चंद्र सभी घरों में
👉 मंगल सभी घरों में
👉 बुध सभी घरों में
👉 बृहस्पति सभी घरों में
👉 शुक्र सभी घरों में
👉 शनि सभी घरों में
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👉 प्लूटो सभी घरों में