शुक्र बलवान होने पर भाग्य वृद्धि, भाई-बहन युक्त, संगीत एवं कला आदि में रुचि रखने वाला तथा आस-पड़ोस एवं सहोदरों से स्नेह पाने वाला होता है। शुक्र उच्च राशिगत या स्वक्षेत्री होने पर आनंददायक जीवन का लाभ तथा भाई-बहनों की संख्या अधिक होती है। कवि भट्ट नारायण के अनुसार ऐसा जातक अगर सैनिक भी हों फिर भी प्रत्यक्ष युद्ध से दूर ही रहते है यानी पराक्रमी होने का दावा करने पर भी ये वास्तव में युद्ध समीप होने पर कायर होते है। जीवन में कई स्थानों की यात्रा का सौभाग्य सहित सफलता का लाभ होता है। शुक्र आशुभ होने पर अधिक कामी होकर दुर्व्यसनों का शिकार होते है। विशेष अशुभ होने पर सौतेले भाई आदि से युक्त होते है। इन्हें व्यर्थ में समय नष्ट करते भी देखा गया है। अशुभ शुक्र से जातक भाग्यहीन, झगड़ालू किस्म के होते है। परिवार या आस-पड़ोस से इन्हें स्नेह नसीब नही होता तथा उनसे अपमानित होने पर दुखी होते है।
शुक्र के विशेष उपाय-
घर में तुलसी का पौधा लगाएं। संभव हो तो हीरा धारण करें ( मीन और वृश्चिक लग्न को छोड़कर )। क्रीम या सफेद रंग के कपड़े या जूते पहनें। शुक्रवार या शुक्र की दशा में एक सफेद गाय पालें और रोजाना चारा दें। संभव हो तो बछड़े वाली सफेद गाय का दान करें। अपने इष्ट की मूर्ति चांदी की रखें। चांदी का सिक्का हमेशा अपने पास रखें। लगातार ४३ दिन तक अपने गुप्तांग को धोएं। चांदी आदि की चैन, अंगूठी या आभूषण शुकवार को धारण करें। सफेद पुष्प, मिश्री, कपूर, अभ्रक और २७ दाने चरी को एक सफेद कपड़े में बांधकर अपने घर में रखें। घर में सुगंधित स्वेत पुष्प के पौधों को घर में लगाएं एवं पुष्प होने पर इसे उपयोग में लाएं। शुक्रवार को हरी मंदिर में लोमड़ी गाय के सफेद चामर का दान करें। दही का दान भी सदैव शुकवार को करते रहें। शुक्रवार को सर्वदा सफेद कपड़े को इस्त्री कर पहनकर सुंगधि आदि लगाकर निकलें। नशीले पदार्थ सिगरेट, तंबाकू और शराब प्रयोग में न लाएं। पांच कन्याओं को पांच शुक्रवार सफेद मिश्री वाली खीर खिलाएं। स्त्रियों को सन्मान करें । लक्ष्मी पूजन करें ।मंदिर में देशी घी का दिया जलाएं।
शुक्र कब अशुभ होता है ?
आनंद के समय अचानक दुखदायी घटना घटित होने पर। गाय या स्त्री से दुर्व्यवहार करने पर। ससुराल के साथ शुभ संबंध न होने पर। गुप्त रोग या क्षयरोग आदि होने पर तथा लंबी बीमारी से दुखदायी स्थिति होने पर। स्त्री के मायके जाने से वापस न आने पर। लक्ष्मी के रूठ जाने पर। आम लोगों से दुश्मनी मोल लेने पर। फटे, मलिन और बदबूदार कपड़े पहनने या इस्तेमाल करने पर। स्त्रियों के साथ अनैतिक संबंध होने पर। हँसमुख स्वभाव न होने पर।
वेदों में शुक्र का दान-
हीरा अभाव में ( सवा रुपये ), स्वेत या विचित्र वस्त्र, श्वेत अश्व ( अभाव में सवा रुपये ), सवत्सा धेनु, चांदी, सुगंधित चावल, सुगंधित द्रव्य, भोज्य सहित मंत्र दान करें - मंत्र- ॐ ह्रीं शुक्राय। जपसंख्या- २१,०००, देवी भुवनेश्वरी, अधिदेवता इंद्र, प्रत्यधिदेवता शची, भार्गव गोत्र, विप्र, चतुर्भुज, भोजकट, पूर्व दिशा में स्वेतवर्ण चतुष्कोणाकृति, राजतमूर्ति, पद्मोपरिस्थ, परशुराम अवतार, स्वेतवर्ण पुष्प, धूप गुग्गुल, बलि घृतमिश्रित अन्न, समिध गूलर दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें।
शुक्र के विषय में-
शुक्र को असुरगुरु की संज्ञा प्राप्त है। इन्हे सौम्य और शुभ ग्रह माना गया है। इनका वार शुक्रवार है। ये मीन राशि में उच्च और कन्या राशि इनका नीच स्थान है। बुध और शनि इनके मित्रग्रह है।