Dukh nash ke upai
दुख नाश के उपाय
किसी भी तरह की ईश्वर या देवताओं के साधना में तत्परता का मूल्य अधिक होता है। प्रगाढ़ भक्ति से सफलता तथा अपवित्र एवं अन्यमनस्क चित्त से जड़ जागतिक भौतिक कामनाओं से लिप्त होकर साधन भजन की सफलता का न्यूनतम फल ही दृष्टिगोचर होता है। भक्ति भाव से समस्त दुखों के नाश के लिए निम्नलिखित मंत्र और स्तोत्र को उपयोग में लाकर जीवन में लंबित पड़े दुखों का अब अंत कर दें।
क्लेशों के नाश के लिए- मंत्र
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:॥ - इस मंत्र का जाप करने से घर में होने वाली कलह खत्म हो जाती है और परिवार में खुशियां बनी रहती है। कलि कल्मष नाश हेतु ब्रम्हवैबर्त पुराण में वर्णित एवं कलियुग कृष्णावतार श्रीमन चैतन्य महाप्रभु द्वारा कथित इस षोडश महामंत्र का सदा समर्पित होकर नित्य १६ माला का जाप वर्तमान में श्रेष्ठ माना गया है। इस महामंत्र द्वारा पूर्वजन्म व अतीत में किये गए घोर पापों से बचने की अद्भुत शक्ति है। कलियुग में इस महामंत्र के जाप के बिना पाप और क्लेश नाश असम्भव है।
" हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे "
समस्त दुखों के नाश के लिए श्री मधुसूदन का नाम अमोघ माना जाता है। संकटकाल में श्री मधुसूदन नाम का उच्चारण तथा मधुसूदन स्त्रोत अति उत्तम माना गया है। किसी भी प्रकार के संकट आने पर शास्त्रों में " दुसप्ने स्मर गोविंद संकटे मधुसूदन ' बताया गया है। इसी कारणवश दुख नाश के लिए ज्ञानीजन निम्नलिखित मधुसूदन स्त्रोत का पाठ अवश्य किया करते है। दुखों के नाश की सोचें और श्री मधुसूदन का नाम न लें ऐसा तो कदापि सम्भव नही। दुख विनाश के नित्य पाठ करें श्री मधुसूदन स्त्रोत।
श्रीमधुसूदनस्तोत्रम्
ओमिति ज्ञानमात्रेण रोगाजीर्णेन निर्जिता ।
कालनिद्रां प्रपन्नोऽस्मि त्राहि मां मधुसूदन ॥ १॥
न गतिर्विद्यते चान्या त्वमेव शरणं मम ।
पापपङ्के निमग्नोस्मि त्राहि मां मधुसूदन ॥ २॥
मोहितो मोहजालेन पुत्रदारगृहादिषु ।
तृष्णया पीड्यमानोऽस्मि त्राहि मां मधुसूदन ॥ ३॥
भक्तिहीनं च दीनं च दुःखशोकातुरं प्रभो ।
अनाश्रयमनाथं च त्राहि मां मधुसूदन ॥ ४॥
गतागतेन श्रान्तोस्मि दीर्घसंसारवर्त्मसु ।
येन भूयो न गच्छामि त्राहि मां मधुसूदन ॥ ५॥
बहवो हि मया दृष्टाः क्लेशाश्चैव पृथक् पृथक् ।
गर्भवासे महद्दुःखं त्राहि मां मधुसूदन ॥ ६॥
तेन देव प्रपन्नोऽस्मि त्राणार्थं त्वत्परायणः ।
दुःखार्णवपरित्राणात् त्राहि मां मधुसूदन ॥ ७॥
वाचा यच्च प्रतिज्ञातं कर्मणा नोपपादितम् ।
तत्पापार्जितमग्नोऽस्मि त्राहि मां मधुसूदन ॥ ८॥
सुकृतं न कृतं किञ्चिद्दुष्कृतं च कृतं मया ।
संसारघोरे मग्नोऽस्मि त्राहि मां मधुसूदन ॥ ९॥
देहान्तरसहस्रेषु चान्योन्यभ्रामितो मया ।
तिर्यक्त्वं मानुषत्वं च त्राहि मां मधुसूदन ॥ १०॥
वाचयामि यथोन्मत्तः प्रलपामि तवाग्रतः ।
जरामरणभीतोऽस्मि त्राहि मां मधुसूदन ॥ ११॥
यत्र यत्र च यातोऽस्मि स्त्रीषु वा पुरुषेषु च ।
तत्र तत्राचला भक्तिस्त्राहि मां मधुसूदन ॥ १२॥
गत्वा गत्वा निवर्तन्ते चन्द्रसूर्यादयो ग्रहाः ।
अद्यापि न निवर्तन्ते द्वादशाक्षरचिन्तकाः ॥ १३॥
ऊर्ध्वपातालमर्त्येषु व्याप्तं लोकं जगत्त्रयम् ।
द्वादशाक्षरात्परं नास्ति वासुदेवेन भाषितम् ॥ १४॥
द्वादशाक्षरं महामन्त्रं सर्वकामफलप्रदम् ।
गर्भवासनिवासेन शुकेन परिभाषितम् ॥ १५॥
द्वादशाक्षरं निराहारो यः यः पठेद्धरिवासरे ।
स गच्छेद्वैष्णवं स्थानं यत्र योगेश्वरो हरिः ॥ १६॥
इति श्रीशुकदेवविरचितं मधुसूदनस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
शांतिदायक मंत्र -
श्री राम, जय राम, जय जय राम
ये हनुमान जी के इस मंत्र को जप करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
संकटमोचन मंत्र-
ॐ हं हनुमते नम:।
हनुमान जी के इस मंत्र को पढ़ने से जीवन के संकटों का नाश हो जाता है और आपको खुशहाल जीवन मिल जाता है।
चिन्तामुक्ति के लिए शिव मंत्र-
चिंता मुक्ति मंत्र : ॐ नम: शिवाय।
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय इस मंत्र का जाप करें। ये मंत्र जपने से शिव जी की कृपा बन जाती है।
हिंदू धर्म शास्त्रों में धन की इच्छा को पूरी करने के लिए बहुत सारे मंत्र, उपाय और अनुष्ठान बताए गए हैं। जिनका अपना-अपना महत्व है। ऋग्वेद में एक अमोघ मंत्र बतलाया गया है, जिसका जाप करने से लक्ष्मी उसके आकर्षण में बंध कर अपनी कृपा बरसाती हैं। इस मंत्र का जाप आरंभ करने से पूर्व शुभ मुहूर्त पर अवश्य ध्यान दें, उसके बाद कुश के आसन पर बैठ कर पूर्व दिशा में मुंह करके कम से कम एक माला जाप अवश्य करें।
ऋग्वेद का प्रसिद्ध मन्त्र-
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।।
अर्थात
हे लक्ष्मीपते! आप दानी हैं, साधारण दानदाता ही नहीं बहुत बड़े दानी हैं। आप्तजनों से सुना है कि संसार भर से निराश होकर जो याचक आप से प्रार्थना करता है, उसकी पुकार सुन कर उसे आप आर्थिक कष्टों से मुक्त कर देते हैं। उसकी झोली भर देते हैं। हे भगवान! मुझे इस अर्थ संकट से मुक्त कर दो।
कल्याण के लिए-
1- हे कृष्ण करुनासिन्धु दीनबंधु जगत्पते गोपेश गोपिकाकांत राधाकांत नमोस्तुते।
2- ॐ नमो नारायण। या श्रीमन नारायण नारायण हरि-हरि।
2 -ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
3- त्वमेव माता च पिता त्वमेव। त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।।
4 -त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव। त्वमेव सर्व मम देवदेव।।
5 - शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्।
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।।
लक्ष्मीकान्तंकमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्।
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।
ये सभी भगवान विष्णु जी के मंत्र हैं और इन मंत्र का जाप करने से भगवान विष्णु जी की कृपा बन जाती है।
बाधा नाश, रोग नाश और आयु वृद्धि के लिए-
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंपुष्टिवर्द्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धानान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
रोग व्याधि और अकालमृत्यु से बचने हेतु आप शिव जी के महामृंत्युजय मंत्र का जाप करें।
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