राहु सप्तम भाव में शुभ हो जातक परिश्रमी एवं धन सम्पन्न होते है। शत्रु परास्त होते है। संतानों के पराक्रम की वृद्धि होती है। जातक अनेक प्रकार के भोग भोगने वाला होता है। साधारणतः सप्तमस्थ राहु के अशुभ फल मिलने की संभावना ज्यादा होती है। अशुभ होने पर विवाह के समय बदनामी लाने वाला, व्यवसाय मे सर्वस्व नाश करने वाला होता है। व्यापार को छोड़कर नौकरी करना शुभ होता है। राहु के ज्यादा अशुभ होने पर द्विभार्या योग होता है। जातक चतुर होकर भी दुष्कर्मी, क्रोधी, व्यर्थ झगड़े फसाद करने वाला, मित्र वियोगी तथा कटुभाषी, लोकनिन्दित, युवाकाल में विजातीय या पापाचारिणी नारी से सम्बन्ध रखने वाला, अच्छे भोजन का शौकीन होता है। स्त्री जातकों का गर्भ से संबंधित रोग होता है। कवि भट्ट नारायण के अनुसार सप्तमस्थ राहु से जातक की पत्नी प्रचण्डरूपा एवं विवादिनी होती है जिसके कारण जातक का मन अग्नि में तपे कटाह की भांति संतापित रहता है। राहु शुभ स्थानगत होकर या शुभ ग्रह युक्त-दृष्ट होने पर उपरिउक्त दोषों में कमी लाता है। राहु वृष, मिथुन, कन्या या कुम्भ राशि में होने पर पूर्ण अशुभ फल प्रदान नही करता एवं गुरु युक्त-दृष्ट होने से गुरु दुर्बल होने पर भी राहु के अशुभ फलों में कमी लाता है।
अशुभ राहु के उपाय :-
राहु अशुभ कैसे होता है?
वेदों में राहु का दान-
गोमेद रत्न (अभाव में १:२५ सवा रुपये), नीला वस्त्र, काला कम्बल, काले तिल, लोहपात्र में काले तिल का तेल, सवस्त्र भोज्य एवं दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें। मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं राहवे। जपसंख्या-१२०००, देवी छिन्नमस्तिका, अधिदेवता-काल, प्रत्यधिदेवता-सर्प, पैठीनमि गोत्र, शुद्र, मलयज, चतुर्भुज, द्वादशांगुल, नैऋत्य कोण में कृष्णवर्ण मकराकृति, सीसे की मूर्ति, सिंहवाहन, वराहावतार, श्वेतचंदन, पुष्पादि कृष्णवर्ण, धूप-दारचीनी, बलि-बकरे का मांस, समिध-दूर्वा आदि।
राहु को तामसिक ग्रह की संज्ञा प्राप्त है। अशुभ होने पर इन्हें क्रूर और निर्दयी कहा गया है। इनका वार शनिवार और बुधवार और अमावस्या है। ये मिथुन राशि में उच्च तथा धनु राशि इनका नीच स्थान है। आद्रा, स्वाति तथा शतभिषा इनके तीन नक्षत्र है। शुक्र, शनि और बुध इनके मित्र ग्रह है।
सरस्वती माता कि वंदना करे। भंगी को पैसे दें या मदद करें। ननिहाल, ससुराल से अच्छे सम्बन्ध रखें। गंगा स्नान करें। रसोई में बैठकर खाना खाएं। सरसों नीलम तम्बाकु दान दें। जौ, मूली कच्चे कोयले जल में प्रवाह करें। नारियल का दान दे। सिर पर चोटी रखे, जौ बोझ तले दबाएं। खोटे सिक्के या सिक्का (Lead coin) जल प्रवाह करें।
राहु अशुभ कैसे होता है?
बदनीयत से या धोखे से धन कमाना, झूठी गवाही देना, गबन करना या धोखा देना। घर में धुआं करना। बिजली की चोरी करना, बिजली का सामान और स्टील के बर्तन मुफ्त लेना। ननिहाल, ससुराल से झगड़ा करना। तम्बाकु, सिगरेट आदि का इस्तेमाल करना या मुफ्त मांगकर पीना, नाभि के ऊपर की बिमारियां हो।घर के पास गन्दे पानी का जमा होना या गन्दा पानी घर के दरवाजे के नीचे से निकलता हो, बिना छत के घर में दीवार खड़ी हो, दक्षिण दिशा में घर का दरवाजा हो, मुकदमे बाजी करने पर।
वेदों में राहु का दान-
गोमेद रत्न (अभाव में १:२५ सवा रुपये), नीला वस्त्र, काला कम्बल, काले तिल, लोहपात्र में काले तिल का तेल, सवस्त्र भोज्य एवं दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें। मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं राहवे। जपसंख्या-१२०००, देवी छिन्नमस्तिका, अधिदेवता-काल, प्रत्यधिदेवता-सर्प, पैठीनमि गोत्र, शुद्र, मलयज, चतुर्भुज, द्वादशांगुल, नैऋत्य कोण में कृष्णवर्ण मकराकृति, सीसे की मूर्ति, सिंहवाहन, वराहावतार, श्वेतचंदन, पुष्पादि कृष्णवर्ण, धूप-दारचीनी, बलि-बकरे का मांस, समिध-दूर्वा आदि।
राहु के विषय में-
राहु को तामसिक ग्रह की संज्ञा प्राप्त है। अशुभ होने पर इन्हें क्रूर और निर्दयी कहा गया है। इनका वार शनिवार और बुधवार और अमावस्या है। ये मिथुन राशि में उच्च तथा धनु राशि इनका नीच स्थान है। आद्रा, स्वाति तथा शतभिषा इनके तीन नक्षत्र है। शुक्र, शनि और बुध इनके मित्र ग्रह है।