राहु नवम भाव में योगकारी होकर शुभ स्थानगत हों तो जीवन के कई वर्ष जन्मस्थान से दूर रहने वाला, धार्मिक, अनेक प्रकार के सुख-सुविधाओं से सम्पन्न, देश, विदेश या तीर्थदर्शन की यात्राएं करवाने वाला होता है। कवि भट्ट नारायण के अनुसार जातक अपने विशेष गुणों से जन-समाज में लोकमान्य एवं पूजित होता है। जातक स्वकीय गुणों द्वारा सन्मानित एवं दूसरों के उपकार को न भूलने वाला, कृतज्ञ होता है। अशुभ होने पर पितृ-निन्दूक, दरिद्र, धर्म-कर्महीन, अपवित्र, कोई कोई ज्ञानी या धर्मात्मा होते हुए भी मंद एवं दुर्बुद्धि वाला होता है। सामाजिक तौर तरीके को न मानकर अपनी मनमानी करने वाला होता है। दूसरों को उत्पीड़ित करने का बुरा स्वभाव होता है। राहु के शुभ फलों की प्राप्ति वृष, मिथुन, कन्या अथवा कुम्भ राशि पर स्थित होने से प्राप्त होती है। अशुभ राहु से धर्म-कर्महीन होकर निंदकर्म करते हुए जीवन जीता है। पिता से अच्छा संबंध स्थापित नही होता तथा अपने ही दुर्गुणों के कारण अपयश पाने वाला होता है।
अशुभ राहु के उपाय :-
सरस्वती माता कि वंदना करे। भंगी को पैसे दें या मदद करें। ननिहाल, ससुराल से अच्छे सम्बन्ध रखें। गंगा स्नान करें। रसोई में बैठकर खाना खाएं। सरसों नीलम तम्बाकु दान दें। जौ, मूली कच्चे कोयले जल में प्रवाह करें। नारियल का दान दे। सिर पर चोटी रखे, जौ बोझ तले दबाएं। खोटे सिक्के या सिक्का (Lead coin) जल प्रवाह करें।
राहु अशुभ कैसे होता है?
बदनीयत से या धोखे से धन कमाना, झूठी गवाही देना, गबन करना या धोखा देना। घर में धुआं करना। बिजली की चोरी करना, बिजली का सामान और स्टील के बर्तन मुफ्त लेना। ननिहाल, ससुराल से झगड़ा करना। तम्बाकु, सिगरेट आदि का इस्तेमाल करना या मुफ्त मांगकर पीना, नाभि के ऊपर की बिमारियां हो।घर के पास गन्दे पानी का जमा होना या गन्दा पानी घर के दरवाजे के नीचे से निकलता हो, बिना छत के घर में दीवार खड़ी हो, दक्षिण दिशा में घर का दरवाजा हो, मुकदमे बाजी करने पर।
वेदों में राहु का दान-
वेदों में राहु का दान-
गोमेद रत्न (अभाव में १:२५ सवा रुपये), नीला वस्त्र, काला कम्बल, काले तिल, लोहपात्र में काले तिल का तेल, सवस्त्र भोज्य एवं दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें। मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं राहवे। जपसंख्या-१२०००, देवी छिन्नमस्तिका, अधिदेवता-काल, प्रत्यधिदेवता-सर्प, पैठीनमि गोत्र, शुद्र, मलयज, चतुर्भुज, द्वादशांगुल, नैऋत्य कोण में कृष्णवर्ण मकराकृति, सीसे की मूर्ति, सिंहवाहन, वराहावतार, श्वेतचंदन, पुष्पादि कृष्णवर्ण, धूप-दारचीनी, बलि-बकरे का मांस, समिध-दूर्वा आदि।
राहु के विषय में-
राहु को तामसिक ग्रह की संज्ञा प्राप्त है। अशुभ होने पर इन्हें क्रूर और निर्दयी कहा गया है। इनका वार शनिवार और बुधवार और अमावस्या है। ये मिथुन राशि में उच्च तथा धनु राशि इनका नीच स्थान है। आद्रा, स्वाति तथा शतभिषा इनके तीन नक्षत्र है। शुक्र, शनि और बुध इनके मित्र ग्रह है।
राहु को तामसिक ग्रह की संज्ञा प्राप्त है। अशुभ होने पर इन्हें क्रूर और निर्दयी कहा गया है। इनका वार शनिवार और बुधवार और अमावस्या है। ये मिथुन राशि में उच्च तथा धनु राशि इनका नीच स्थान है। आद्रा, स्वाति तथा शतभिषा इनके तीन नक्षत्र है। शुक्र, शनि और बुध इनके मित्र ग्रह है।