राहु एकादश भाव में शुभ हो तो जातक वाद-विवाद मे विजयी, अपने कार्यों में सफलता पाने वाला, पशु या वाहन आदि से सम्पन्न एवं ऐश्वर्यवान होता है। कवि भट्ट नारायण के अनुसार ऐसा जातक विजातीय लोगों के संस्पर्श मे रहकर रोजगार एवं धनलाभ करता है। जातक के पास अन्न एवं धन की कमी नही रहती। म्लेच्छों या विजातीयों द्वारा सन्मानित, परिश्रमी तथा परदेश में भाग्योदय पाने वाला होता है। ऐसे जातकों के पास भौतिक सुख-सुविधाओं की कमी नही रहती। राहु उच्च,बलि एवं शुभ ग्रह युक्त-दृष्ट होने पर संकल्प द्वारा स्वयं के भाग्य का निर्माण करते है। ज्योतिष में एकादश भाव मे स्थित राहु को अरिष्ट और विघ्न नाशक माना गया है। राहु अशुभ होने पर समाज के धूर्त एवं बुरे लोगों से मित्रता रहती है। जातक निर्लज्ज, ठगी या धोखेबाजी से धन हरपने वाला, मित्रों से विवाद करने वाला, व्यर्थ समय नष्ट करने वाला, घमंडी एवं अनर्थकारी होता है। जातक संतान कष्ट से पीड़ित तथा कभी अल्प लाभ पाने वाला होता है।
अशुभ राहु के उपाय :-
सरस्वती माता कि वंदना करे। भंगी को पैसे दें या मदद करें। ननिहाल, ससुराल से अच्छे सम्बन्ध रखें। गंगा स्नान करें। रसोई में बैठकर खाना खाएं। सरसों नीलम तम्बाकु दान दें। जौ, मूली कच्चे कोयले जल में प्रवाह करें। नारियल का दान दे। सिर पर चोटी रखे, जौ बोझ तले दबाएं। खोटे सिक्के या सिक्का (Lead coin) जल प्रवाह करें।
राहु अशुभ कैसे होता है?
बदनीयत से या धोखे से धन कमाना, झूठी गवाही देना, गबन करना या धोखा देना। घर में धुआं करना। बिजली की चोरी करना, बिजली का सामान और स्टील के बर्तन मुफ्त लेना। ननिहाल, ससुराल से झगड़ा करना। तम्बाकु, सिगरेट आदि का इस्तेमाल करना या मुफ्त मांगकर पीना, नाभि के ऊपर की बिमारियां हो। घर के पास गन्दे पानी का जमा होना या गन्दा पानी घर के दरवाजे के नीचे से निकलता हो, बिना छत के घर में दीवार खड़ी हो, दक्षिण दिशा में घर का दरवाजा हो, मुकदमे बाजी करने पर।
वेदों में राहु का दान-
गोमेद रत्न (अभाव में १:२५ सवा रुपये), नीला वस्त्र, काला कम्बल, काले तिल, लोहपात्र में काले तिल का तेल, सवस्त्र भोज्य एवं दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें। मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं राहवे। जपसंख्या-१२०००, देवी छिन्नमस्तिका, अधिदेवता-काल, प्रत्यधिदेवता-सर्प, पैठीनमि गोत्र, शुद्र, मलयज, चतुर्भुज, द्वादशांगुल, नैऋत्य कोण में कृष्णवर्ण मकराकृति, सीसे की मूर्ति, सिंहवाहन, वराहावतार, श्वेतचंदन, पुष्पादि कृष्णवर्ण, धूप-दारचीनी, बलि-बकरे का मांस, समिध-दूर्वा आदि।
वेदों में राहु का दान-
गोमेद रत्न (अभाव में १:२५ सवा रुपये), नीला वस्त्र, काला कम्बल, काले तिल, लोहपात्र में काले तिल का तेल, सवस्त्र भोज्य एवं दक्षिणा सहित मंत्र द्वारा दान करें। मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं राहवे। जपसंख्या-१२०००, देवी छिन्नमस्तिका, अधिदेवता-काल, प्रत्यधिदेवता-सर्प, पैठीनमि गोत्र, शुद्र, मलयज, चतुर्भुज, द्वादशांगुल, नैऋत्य कोण में कृष्णवर्ण मकराकृति, सीसे की मूर्ति, सिंहवाहन, वराहावतार, श्वेतचंदन, पुष्पादि कृष्णवर्ण, धूप-दारचीनी, बलि-बकरे का मांस, समिध-दूर्वा आदि।
राहु के विषय में-
राहु को तामसिक ग्रह की संज्ञा प्राप्त है। अशुभ होने पर इन्हें क्रूर और निर्दयी कहा गया है। इनका वार शनिवार और बुधवार और अमावस्या है। ये मिथुन राशि में उच्च तथा धनु राशि इनका नीच स्थान है। आद्रा, स्वाति तथा शतभिषा इनके तीन नक्षत्र है। शुक्र, शनि और बुध इनके मित्र ग्रह है।
राहु को तामसिक ग्रह की संज्ञा प्राप्त है। अशुभ होने पर इन्हें क्रूर और निर्दयी कहा गया है। इनका वार शनिवार और बुधवार और अमावस्या है। ये मिथुन राशि में उच्च तथा धनु राशि इनका नीच स्थान है। आद्रा, स्वाति तथा शतभिषा इनके तीन नक्षत्र है। शुक्र, शनि और बुध इनके मित्र ग्रह है।