शनि तृतीय भाव में (Saturn in 3rd house)

Kaushik sharma
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शनि तृतीय भाव में  (Saturn in 3rd house)

शनि तृतीय भाव में योगकारी होकर स्थित हो तो जातक पराक्रमी, अपने नगर व ग्राम का प्रभावशाली, राजा के सामान सुखभोगी, यशस्वी एवं पृष्ठज भाई-बेहन के लिए अरिष्ट करक होता है। जातक धार्मिक, न्यायप्रिय एवं प्रतिष्ठित होते है। विरोधियों में फुट डालकर उन पर विजय पाने वाले होते है। शनि नीचस्थ होने पर बाल्यकाल में किसी भाई या अनुज के मृत्यु का अशुभ फल मिलता है। शुभ होने पर भाइयों के लिए शुभ व सहयोग देने वाले होते है। कवि भट्ट नारायण के अनुसार जातक दृड़ संकल्पी, गंभीर एवं करवा सच प्रकट करने के कारण आस-पड़ोस से उसके भाग्योन्नति में बाधाएं उत्पन्न होती है। इस कारणवश जातक अप्रसन्न रहता है एवं विघ्न सहित भाग्योदय होता है। नीच राशिगत होने पर पड़ोसियों या सम्बन्धियों से अनबन रखने वाला, उदास चित्त वाला तथा प्रयत्न करने पर भी भाग्योदय न पाने वाला होता है। शनि तुला, मकर, कुम्भ का हो तो भाग्योदय कारक, राहु के साथ हो तो बाहु रोगी, मंगल युक्त हो तो क्रोधी एवं साहस के साथ कर्म करने वाला तथा शुभ ग्रह युक्त दृस्ट न होने पर धर्म के प्रतिकूल चलता है। अशुभ होने से धन का आभाव बना रहता है एवं यात्राओं से असफलता, दुःख एवं धन की हानि होती है।

शनि विभिन्न भावों में

शनि के विशेष उपाय-

शनिवार के दिन संध्या के समय मा काली एवं शनि देव की काले तिल के तेल और नीले अपराजिता के पुष्पों पूजा अर्चना करें।सापों के दूध के लिए सपेरे को पैसे दें। काले तिल तेल, काली उड़द की दाल, लोहा, काले कपड़े, काले चमड़े के जूते, काला छाता, तवा, चिमटा शनिवार अंधेरा होने पर संध्या के समय दान दें। भैरव मंदिर में शराब चढ़ाएं। भैसों को काले बैगन से बना हुआ  भोजन खिलाएं। मोची, लोहार या किसी नाई की धन द्वारा मदद करें। एरंड के पौधे पर आठ शनिवार आठ कीलें चढ़ाएं। शनिवार को लोहे की कटोरी में आठ शनिवार को तिल के तेल का छायापात्र दान करें। आठवें शनिवार को उस लोहे के पात्र को पेड़ के जड़ के समीप मिट्टी में दबा दें। मादक पदार्थ, शराब, मांस, मछली से परहेज करें । कौवों को काले तिल से बनी चीजें शनिवार को खिलाएं। परिश्रम से जी न चुराएं। आलस्य का त्याग करें। आज का काम कल के लिए न छोड़े। पाप कर्मों से बचे रहें। 

शनि आशुभ कब होता है ?

लोहा, चमड़ा आदि का सामान मुफ्त लेने पर। शराब, कबाब, मांस, मछली आदि खाने पर। सापों को मारने पर। किसी मजदूर का हक न देने पर। रात को मकान की नींव खोदने पर। घर के आखिर के अंधेरे कमरे में रोशनी करने पर। आलसी होने पर। सूर्योदय से पूर्व नींद से न जागने पर। कामचोर होकर मेहनत न करने पर। आज का काम कल पर छोड़ने पर। किसी को दुख देने पर। कौवा या काली चींटियों को सताने या मारने पर। कर्महीन होने या कामकाज न करने पर। निकम्मा होने पर। पशु पक्षी एवं जीवों को सताने पर। कटुवादी या कड़वी जबान होने पर। दूसरों से नफरत कर प्रेम न करने पर। कुटिल बुद्धि होने पर। बड़े-बूढ़ों को सताने पर। दुखदायी होने पर।

वेदों में शनि का दान-

काले उड़द की दाल, तिल तेल, नीलम (अभाव में सवा रुपये), काले तिल के दाने, भैंस (अभाव में आठ कौड़ी या सवा रुपया), लोहा, काले वस्त्र एवं काले तिल से बनी भोज्य सामग्री सहित दक्षिणा एवं मंत्र द्वारा दान करें। मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं शानिश्चराय। जपसंख्या- १००००, देवी दक्षिणाकाली, अधिदेवता यमराज, प्रत्यधिदेवता प्रजापति, कश्यप गोत्र, शुद्र, सौराष्ट्र, चतुर्भुज, चतुरंगुल, पश्चिम दिशा, कृष्णवर्ण सर्पाकृति, लोहमूर्ति, गधा वाहन, कूर्म अवतार, चंदन, कस्तूरी, कृष्णवर्ण पुष्प, धूप काला अगरु, समिध शमी, काली गाय (अभाव में सवा रुपया ), बलि भुना हुआ काला चावल और काले तिल।

शनि के विषय में- 

शनि को कर्मफल प्रदायी एवं नपुंसक ग्रह की संज्ञा प्राप्त है। शुभ होने पर अत्यंत सुखदायी तथा अशुभ होने पर इन्हें क्रूर एवं दुखदायी ग्रह मना गया माना गया है। इनका वार शनिवार है। उत्तरभाद्रपद, पुष्या, अनुराधा इनके तीन नक्षत्र है। ये तुला राशि मे उच्च और मेष राशि इनका नीच स्थान है। शुक्र और बुध इनके मित्र ग्रह है।


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