अयोध्या का नाम भारतीय संस्कृति और इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है। यहां न केवल धार्मिक महत्ता है बल्कि राजनीतिक और सामाजिक महत्ता भी है। अयोध्या के राम मंदिर का इतिहास भी बहुत विशेष है, जो देश भर में हर किसी के लिए एक आदर्श और प्रेरणास्त्रोत है। चलिए, हम अयोध्या के राम मंदिर के इतिहास को विस्तार से समझते हैं।
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण एक बहुत लंबी और महत्वपूर्ण कहानी है। इसका आरंभ 16वीं शताब्दी में हुआ था जब मुघल बादशाह बाबर के द्वारा अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया था। बाद में, 20वीं शताब्दी में रामलला के नाम पर आंदोलन शुरू हुआ, जिसमें 1992 में बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया गया था। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत, 2020 में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का शिलान्यास किया गया। यह मंदिर भगवान राम को समर्पित है और यह भारतीय संस्कृति और धर्म के एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।
प्राचीन इतिहास:
अयोध्या का इतिहास बहुत पुराना है। इसे भारतीय संस्कृति के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में जाना जाता है। पुराणों और इतिहास के अनुसार, यहां पर आदि कथाओं में भगवान राम ने अपना राज्याभिषेक किया था।
राम मंदिर का निर्माण: अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कई सदियों पहले हुआ था। यह मंदिर हिंदू धर्म के एक प्रमुख स्थल के रूप में माना जाता है।
इतिहास के परिपेक्ष में विवाद: राम मंदिर के स्थान पर बाबरी मस्जिद का निर्माण हुआ था। इसके बाद से हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद चला आ रहा है।
राम मंदिर आंदोलन: राम मंदिर के स्थान पर मस्जिद के निर्माण के बाद, हिंदू समुदाय ने इसे अपने लिए महत्वपूर्ण स्थल मानने का आंदोलन किया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले: सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में बाबरी मस्जिद के निर्माण के विवाद के फैसले में राम मंदिर के लिए फैसला किया।
निर्माण का आरंभ: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, राम मंदिर के निर्माण का कार्य शुरू हुआ।
भविष्य की उम्मीदें: राम मंदिर का निर्माण एक ऐतिहासिक पल है जो हिंदू समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह उनकी आस्था और धार्मिक भावनाओं को समर्पित करता है।
इस प्रकार, अयोध्या के राम मंदिर का इतिहास बहुत ही महत्वपूर्ण और रोचक है, जो भारतीय समाज के विविधता और धार्मिक धारणाओं को प्रकट करता है।
अयोध्या में राम मंदिर के दर्शन के लिए आपको पहले मंदिर के संबंधित नियमों और विधियों का पालन करना होगा। फिर आपको स्थानीय गाइड या प्रबंधक के साथ संपर्क करके आवश्यक जानकारी प्राप्त करनी चाहिए, जैसे कि पहुंच का सही तरीका, समय सारणी, और अन्य आवश्यक विवरण।
कब जाएं अयोध्या प्रभु श्रीराम के दर्शन के लिए ?
श्री राम सूर्य के गुणों के अवतार है तो इस लिहाज से श्री राम जी का दर्शन अगर संभव हो तो ग्रीष्म ऋतु में करें क्योंकि सुर्य इसी ऋतु में बलवान होते है। अप्रैल के 15 तारीख बाद जब कोई रविवार आए तो दर्शन करना अत्यंत शुभ होगा क्योंकि इस समय सूर्य अपने उच्च राशि मेष में विराजमान रहते है एवं वैशाख का महीना भी होता है। इसके अलावा अगर ग्रीष्म ऋतु में अक्षय तृतीया किसी रविवार के दिन पड़ जाए और उस दिन दर्शन कर लिया जाए तो समझ लीजिए कि प्रभु श्रीराम का स्नेह और आर्शीवाद आपको मिलने से कोई नही रोक सकता। वैसे तो सम्पूर्ण वर्ष में कई ऐसे शुभ समय जैसे कि अमृतसिद्धि योग, सर्वार्थसिद्धि योग, पूर्णिमा आदि कई शुभ दिन मिल ही जातें है पर प्रभु श्रीराम के दर्शन का अगर कोई सही समय का चुनाव किया जाए तो ऊपर बताये गए समय में दर्शन के लिए जाना अति विशेष शुभ और मंगलमय होगा। इन दिनों उत्तर भारत यानी अयोध्या में गर्मी की अधिकता अवश्य रहेगी पर इस पर जोर न देकर अगर इसी समय को ध्यान में रखकर दर्शन कर लिया जाए तो सोने पे सुहागा वाली बात सत्य ही होगी।
Please do not insert any spam link in the comment box.