श्रीकृष्ण और उत्तंग मुनि का मिलन एक महत्वपूर्ण घटना थी। यह एक संकेत था कि कृष्ण एक दयालु और समझदार भगवान थे, जो हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते थे। यह एक संकेत भी था कि क्रोध एक विनाशकारी शक्ति है, और हमें हमेशा प्रेम और दया को अपनाना चाहिए।
महाभारत के युद्ध के बाद, भगवान श्री कृष्ण अपने माता-पिता से मिलने द्वारिका जा रहे थे। मार्ग में उन्हें उत्तंग मुनि मिले। उत्तंग मुनि एक महान ऋषि थे, जो अपने ज्ञान और दयालुता के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने कृष्ण को देखा और उनसे पूछा कि वे कौन हैं और वे कहाँ जा रहे हैं।
कृष्ण ने उन्हें बताया कि वे भगवान विष्णु के अवतार हैं, और वे द्वारिका जा रहे हैं। उत्तंग मुनि को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि महाभारत के युद्ध में इतना विनाश हुआ है, और उन्होंने कृष्ण को युद्ध को रोकने के लिए नहीं किए जाने के लिए दोषी ठहराया।
कृष्ण ने उत्तंग मुनि को समझाया कि उन्होंने युद्ध को रोकने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन यह अपरिहार्य था। उन्होंने उत्तंग मुनि को महाभारत के युद्ध के पीछे के कारणों के बारे में बताया, और उन्होंने उन्हें बताया कि युद्ध के बिना, दुनिया एक बुरी जगह बन जाती।
उतंग मुनि को कृष्ण की व्याख्या से संतुष्टि नहीं हुई। वह अभी भी क्रोध में थे, और उन्होंने कृष्ण को श्राप देने की धमकी दी।
कृष्ण ने उत्तंग मुनि को शांत करने की कोशिश की। उन्होंने उन्हें बताया कि क्रोध एक विनाशकारी शक्ति है, और उन्होंने उन्हें क्रोध को छोड़ने और प्रेम और दया को अपनाने के लिए कहा।
उतंग मुनि को कृष्ण की बातें सुनकर कुछ आराम हुआ। उन्होंने कृष्ण से माफी मांगी, और उन्होंने कृष्ण से उन्हें आशीर्वाद देने के लिए कहा।
कृष्ण ने उत्तंग मुनि को आशीर्वाद दिया, और उन्होंने उन्हें वरदान दिया कि वे जब भी कृष्ण को स्मरण करेंगे, उन्हें कभी भी पानी की कमी नहीं होगी।
उतंग मुनि कृष्ण के आशीर्वाद से बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने कृष्ण को धन्यवाद दिया, और उन्होंने उन्हें द्वारिका सुरक्षित रूप से पहुंचने के लिए आशीर्वाद दिया।
कृष्ण और उत्तंग मुनि का मिलन एक महत्वपूर्ण घटना थी। यह एक संकेत था कि कृष्ण एक दयालु और समझदार भगवान थे, जो हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते थे। यह एक संकेत भी था कि क्रोध एक विनाशकारी शक्ति है, और हमें हमेशा प्रेम और दया को अपनाना चाहिए।
उतंग मुनि और कृष्ण की मुलाकात के कुछ महत्वपूर्ण पहलू-
यह मुलाकात महाभारत के युद्ध के बाद हुई थी। युद्ध में लाखों लोगों की मृत्यु हुई थी, और उत्तंग मुनि को युद्ध से गहरा दुख हुआ था।
उत्तंग मुनि ने कृष्ण को युद्ध को रोकने के लिए नहीं किए जाने के लिए दोषी ठहराया। वह कृष्ण से नाराज थे, और उन्होंने उन्हें श्राप देने की धमकी दी।
कृष्ण ने उत्तंग मुनि को शांत करने की कोशिश की। उन्होंने उन्हें युद्ध के पीछे के कारणों के बारे में बताया, और उन्होंने उन्हें क्रोध को छोड़ने और प्रेम और दया को अपनाने के लिए कहा।
उत्तंग मुनि को कृष्ण की बातें सुनकर कुछ आराम हुआ। उन्होंने कृष्ण से माफी मांगी, और उन्होंने कृष्ण से उन्हें आशीर्वाद देने के लिए कहा।
कृष्ण ने उत्तंग मुनि को आशीर्वाद दिया, और उन्होंने उन्हें वरदान दिया कि वे जब भी कृष्ण को स्मरण करेंगे, उन्हें कभी भी पानी की कमी नहीं होगी।
उतंग मुनि और कृष्ण की मुलाकात का महत्व
यह मुलाकात कृष्ण की दयालुता और समझदारी का एक उदाहरण है। कृष्ण ने उत्तंग मुनि के क्रोध को समझा, और उन्होंने उसे शांत करने की कोशिश की। उन्होंने उत्तंग मुनि को क्रोध के विनाशकारी प्रभावों के बारे में बताया, और उन्होंने उसे प्रेम और दया को अपनाने के लिए प्रेरित किया।
यह मुलाकात एक महत्वपूर्ण सबक भी है। यह हमें बताता है कि हमें हमेशा क्रोध पर विजय प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। क्रोध एक विनाशकारी शक्ति है, और यह हमें सही निर्णय लेने से रोक सकती है। हमें हमेशा प्रेम और दया को अपनाना चाहिए, जो दुनिया को एक बेहतर जगह बनाएंगे।
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