लाल कनेर पुष्प ज्योतिष में मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अलावा संसार के सभी स्वाद में कड़वा होने वाले पौधों या वृक्षों पर मंगल ग्रह का आधिपत्य क़याम है। इस तरह लाल कनेर पूर्ण रूप से मंगल ग्रह के अधीन ही आता है ये ज्योतिष और तंत्र के जानकारों को विदित है। आज हम इस लेख में लाल कनेर पुष्प के महानिर्वाण तन्त्र शास्त्र की उस विद्या की चर्चा करेंगे जिससे इस वृक्ष से एक रिश्ता कायम है। आईये जानें क्या है क्या है वो रिश्ता एवं उपयोगिता इस वृक्ष के मनुष्य जीवन में।
महानिर्वाण तन्त्र में ये उल्लेख-
मार्गशीर्षे तु संग्राह्य सुरक्त करबीरकम
नबांगुलं कीलकं तत सप्तावाराभी मंत्रितम ।
यस्य नांमा ऋनेद भूमौ स वश्या भवति धुवम।
मंत्र- ॐ हुं हुं स्वाहा। ततत स्थाने यथा संख्या ममुक्ते अयुतंजपेत।
इसका अर्थ ये है कि मृगशिरा नक्षत्र के दिन नौ अंगुली के नाप का लाल कनेर का जड़ " ॐ हुं हुं स्वाहा" सात बार बोल कर ले लें और एक किलक यानी कील जैसा रूप दें तथा भूमि खोदना प्रारंभ के समय से वृक्ष के जड़ को निकाल लेने तक समय उस व्यक्ति का नाम लेते रहें जिसे आप वश में करना चाहते है। जिसके नाम को लेकर भूमि खनन कर के ये जड़ निकाला जाएगा वो अवश्य ही वश में आ जायेगा। ये ध्रुव सत्य है। जड़ निकालने के उपरांत उस जड़ को एक कीलक का रूप देने के पश्चात उस जड़ को किसी भूमि में दबा देना चाहिए। उसके बाद जिस जगह उस जड़ को दबाया गया है उसी के ऊपर लाल ऊनी आसान बिछाकर उस पर बैठकर ॐ हुं हुं स्वाहा मंत्र का दस हज़ार या कम से कम एकसौ आठ बार जाप कर लें।
वशीकरण के इस क्रिया इसको करने पर अभिलाषित नारी आपके वश में अवश्य हो जाती है। ये अनुभूत है परंतु ये ध्यान देने योग्य है कि तंत्र के सभी षट्कर्म विशेष अवस्था में किया जाना ठीक रहता है। अपने शरीर के आनंद के लिए तथा बिना वजह इसे करना सही नही माना जाता है। विवाहित रहकर दूसरे विवाह या प्रेम के उद्धेश्य से इसे करना भी दोषपूर्ण ही माना जायेगा। सच्चे उद्देश्य या प्रेम से किया गया काम ही सही माना गया है।
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