सूर्य राहु युति |
सूर्य और राहु परस्पर शत्रु ग्रह माने जातें है। इसलिए इनकी युति को अशुभ माना गया है। जो व्यक्ति के जीवन में किसी भी समय बदनामी का अंधेरा लाता है। जब ऐसे बदनामी की स्थिति जीवन में आता है तो भय और तनावपूर्ण स्थितियों का कारण बन जाता है। कई लोगों का मानना है कि यह युति सकारात्मक प्रभाव भी लाता पर इसके परिणाम से ऐसा बिल्कुल नही लगता। वैसे इस युति के कई जातक राजनीति में सफलता के साथ आगे तो बढ़ जातें है पर अशुभ प्रभाव के परिणाम स्वरूप बाद में सरकारी कामकाजों में घपला या टैक्स की चोरी तथा करप्शन के कई मामले सामने आकर बदनामी के अंधेरे में घिर जाता है। जिससे अंततः यही माना जाता है कि यह युति दिखने में सकारात्मक चाहे कुछ भी हो पर इसका हमेशा नकारात्मक प्रभाव ही पड़ता है। कई ऐसे जानकारी रखने वाले लोग नीच ग्रह को भी उच्च ग्रह के माफिक सकारात्मक बताना शुरू कर देतें है ताकि यह योग या ग्रह बुरा फल देने पर भी दिलासा दिखाकर खुश रखने का प्रयास करते है जिससे पाठक और जानकारी लेने वाले लोग बेफिक्र होकर इसके अशुभ परिणाम को हल्के में लेकर इससे बचने के प्रयासों में कमी ला देता है जो सही नही कहा जा सकता। इस योग के जातकों को हमेशा सूर्य की आराधना, पिता की सेवा तथा सरकारी या किसी भी कामकाज में चोरी, घपला, करप्शन आदि से दूर ही रहना मुनासिब है वरना जीवन में अचानक बदनामी की ऐसी स्थिति होती है कि जीवन भर मिटाये नही मिटती क्योंकि कलंक काजल से भी काला होता है। काजल तो मिटाये मिट जाता है पर कलंक मिटाये नही मिटता। नीचे इस युति के दुष्परिणाम के बारे में बताया गया है जिसे जानकर आप भी सचेत रह सकते है और साथ ही इस युति के उपाय कर इसके दुष्प्रभावों से बचे रह सकते है।
सूर्य और राहु की युति के प्रभाव-
सूर्य और राहु की युति अच्छी नहीं है क्योंकि वे प्राकृतिक शत्रु हैं। इसे ग्रहण योग माना गया है जो सूर्य के महत्व को कम करता है और पितृ दोष का कारण बनता है। पिता के साथ मतभेद बने रहते हैं साथ ही पिता की सेहत पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जातक में झूठा अहंकार और गुस्सैल स्वभाव हो सकता है। जातक कुटिल और दुष्ट स्वभाव का हो सकता है। राजनीति में इनकी रुचि हो सकती है। वे फरेबी और धोखेबाज हो सकते हैं। जातक अपने पिता से अलग रहेगा या उसके साथ संबंध खराब रहेंगे। उसके पिता का स्वास्थ्य खराब हो सकता है, और बहुत संघर्षों के साथ उसका जीवन कठिन हो सकता है। जातक को संतानोत्पत्ति में परेशानी हो सकती है और गर्भपात हो सकता है। संतान होने में देरी हो सकती है या सिजेरियन से संतान हो सकती है। उनके बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है। जातक के दादा प्रसिद्ध व्यक्ति हो सकते हैं। लेकिन जातक के पिता अपने धन का आनंद लेने में असमर्थ हो सकते हैं। जातक स्वार्थी हो सकता है। उसका आत्मविश्वास कम हो सकता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं होगा। जातक को अपने बॉस या सरकार से परेशानी हो सकती है। प्रमोशन को लेकर इन्हें परेशानी हो सकती है। सरकार की ओर से टैक्स संबंधी मामलों को लेकर उन्हें नोटिस मिल सकता है। यदि किसी की कुंडली में सूर्य ग्रहण योग हो तो उसके पिता के साथ मतभेद बने रहते हैं साथ ही पिता की सेहत पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ग्रहण योग के कारण जातक को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जातक को हड्डियों से संबंधित रोग होने की आशंका रहती है। व्यक्ति के मान-सम्मान और आत्मविश्वास में कमी आती है और क्रोध की अधिकता रहती है। जिसके कारण व्यक्ति को कई बार सरकारी दंड भी झेलना पड़ सकता है। यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य ग्रहण योग बना हो तो उसे उच्च 1अधिकारियों का गुस्सा झेलना पड़ सकता है साथ ही सरकारी कामों में दिक्कते आने लगती हैं। इस योग के कारण गृह क्लेश, कार्यक्षेत्र में असफलता, पुत्र, पिता और मामा से मतभेद आदि परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
सूर्य+राहु की युति के उपाय-
सूर्य को प्रतिदिन लाल चंदन लगाकर जल अर्पित कर प्रणाम करें। तांबा या माणिक्य धारण करें। (मकर लग्न वालों) को छोड़कर। वैशाख मास के दूसरे रविवार से लगातार ४३ दिन नित्य स्नानोपरांत रक्त चंदन आदि का तिलक लगाकर पूर्वमुखी बैठकर "आदित्य हृदय" स्त्रोत्र का पाठ करें। घर का आंगन खुला और पूर्व दिशा में दरवाजा रखें। हरिवंश पुराण तथा रामचरित मानस की कथा करें या खुद पाठ करें। गेहूं, लाल चंदन, गन्ने का गुड़, ताम्बा, गुलाबी वस्त्रआदि का दान करें। लाल मुह वाले बंदर को रोटी में गन्ने का गुड़ रखकर को खिलाएं। रविपुष्यामृत योग में एक विल्व वृक्ष स्थिर लग्न में घर के वायुकोण के उत्तरी दिशा में रोपण करें और नित्य जल दान आदि से नियमित देख भाल करें। सदा सत्य का सहारा लें। मिथ्यावादी बनने से बचें। सूर्य दोष सेे सदैव बचे रहने के लिए ईमानदार होना और सात्विक होना जरूरी होता हैं क्योंकि सूर्य एक सात्विक ग्रह हैं। श्री राम, देवी मातंगी और सूर्यदेव की पूजा अर्चना हमेशा करते रहें। स्वात्विक आहार करें। मद्य, मांस, मदिरा का त्याग करें। सूर्य अशुभ हो तो राजनीति से बचें। पिता की देखभाल करें। यदि किसी की कुंडली में सूर्य ग्रहण या पितृदोष का प्रभाव हो तो ऐसे में जातक को गेहूं, गुड़ व तांबे का दान करना चाहिए लेकिन गुड़ का सेवन नहीं करना चाहिए। यदि कुंडली में सूर्य ग्रहण योग या पितृ दोष हो तो किसी से भी कोई वस्तु बिना पैसों के नहीं लेनी चाहिए और नेत्रहीनों की सहायता करनी चाहिए। यदि ग्रहण दोष यो पितृ दोष हो तो उसके अशुभ प्रभावो से बचने के लिए छह नारियल लेकर सिर के ऊपर से वारकर बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए। ग्रहण दोष की अशुभता से बचने के लिए पीपल का वृक्ष लगाना चाहिए और उसमें प्रतिदिन जल देना चाहिए। ग्रहण दोष के प्रभावों से मुक्ति के लिए अपने परिवार के सभी सदस्यों से बराबर-बराबर रुपए के सिक्के लेकर किसी मंदिर में दान कर दें। इन उपायों में से एक समय में एक ही उपाय करें।
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