अमलतास वृक्ष तंत्र

Kaushik sharma
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                    अमलतास वृक्ष तंत्र 

अमलतास वृक्ष तंत्र, Amaltas vriksha tantra




अमलतास वृक्ष तंत्र -अमलतास का लैटिन नाम cassia fistula है। विश्वभर में इसे अंग्रेजी में golden shower tree के नाम से जाना जाता है। संस्कृत में इसे अम्लतस, व्याधिघात, नृपद्रुम, बंगाली में बादर लाठी या सोनालू, मराठी में बहावा, कर्णिकार कहा जाता है। आयुर्वेद में इसके औषधि गुणों की भूरी भूरी प्रशंसा की गई है। आइए जानें कि ज्योतिष-तंत्र में अमलतास के क्या क्या उपाय किये जाते रहे है।  


जन्मकुण्डली में बृहस्पति ग्रह अशुभ हों तो अमलतास के पौधे को गुरुपुष्यामृत योग में घर के उत्तरी दिशा के बीचों बीच न लगाकर उत्तर और ईशान के बीच लगाकर गुरुवार के दिन हल्दी वाले पानी से सींचने पर तथा समय समय पर इसकी देखभाल करने पर गुरुग्रह को मजबूती प्रदान करता है।  


इसकी लंबे आकर वाली फली को रात्रि में सिर की तरफ गद्दे के नीचे रखकर सोने से दुःस्वप्न नहीं आते हैं। अमलतास की पकी हुई फली का गूदा काला होता है। इसे चमेली के तेल में मिलाकर उस तेल से काजल बनाकर एक सफेद कागज पर एक रूपये के सिक्के बराबर काला गोला बनाकर उस पर त्राटक करने से शीघ्र ही व्येक्ति का ध्यान लगने लगता है।


अमलतास के ५ बीज, लाल गूंजा के ५ बीज कचनार के ५ बीज तथा ५ बीज विष्णुकांता के लेकर इन सभी बीजों को एकत्र करके एक स्वच्छ प्लेट या पात्र  में रखकर अपने पूजा के स्थान में रखें। अगरबत्ती अर्पित करें और अपने इष्ट के किसी भी मंत्र का एक माला जाप करें। उसके बाद प्रणाम करके इन्हें उठाकर एक प्लास्टिक की थैली में डालकर अपनी जेब में रख लें। ऐसा करने से व्यक्ति को पैसे की समस्या परेशान नहीं करती है। रात्रिकाल में बीज शर्ट की जेब में ही रखे रहने दें। इन बीजों को इसी प्रकार से प्राप्त कर आप अपनी तिजोरी में रखते हैं तो वहाँ धन की कमी नहीं रहती है। अगर आपका व्यवसाय है तो इन्हें अपने गल्ले में रखें। इसके पश्चात् प्राप्त होने वाले परिणाम आपके समक्ष होने लगेगा।


अमलतास के बीजों को धन के साथ तिजोरी में सुरक्षित रखने से धन वृद्धि होती है। उस तिजोरी में कभी भी धन की कमी नहीं होती हैं। अमलतास का ज्योतिषीय महत्व है कि जो व्यक्ति गुरु ग्रह की पीड़ा से त्रस्त हो उस जातक को नित्य अमलतास के वृक्ष का स्पर्श करना चाहिये। ऐसा करना उसके लिये शुभ होता है। इस वृक्ष को अगर जल अर्पित कर सकते हैं तो आपको गुरु ग्रह के शुभत्व का बहुत अधिक लाभ प्राप्त रहेगा। जिन जातकों का जन्म रेवती नक्षत्र में हुआ हो, उन्हें गुरूवार के दिन अमलतास के वृक्ष की परिक्रमा करनी चाहिये। यह परिक्रमा 7 अथवा 11 की संख्या में हो। ऐसा करने से उनकी ग्रह पीड़ा शांत होती है। पढ़ने वाले विद्यार्थी अमलतास  के नीचे बैठकर अध्ययन करते हैं तो उनका परिश्रम निष्फल नहीं जाता है। मंदबुद्धि बच्चों के लिये अमलतास का आश्रय श्रेष्ठ होता है।

अमलतास का वास्तु में महत्व 

अमलतास के वृक्ष का घर की सीमा में होना शुभकारी होता है। यह वृक्ष उत्तर दिशा में होना चाहिये इससे  घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है, उस घर में सभी सदस्य अपने-अपने क्षेत्र में बहुत उन्नति करते हैं। उस घर में रहने वालों में तनाव नहीं होता। प्रतिवर्ष ग्रीष्म ऋतु यानी अप्रैल से मई महीने के दौरान इसके नए पत्तियों की हरीभरी शोभा एवं झूमर की तरह लटके हुए पीले पुष्पों से व्येक्ति का मन प्रसन्न हो उठता है। आप भी अपने गृह एवं वास्तु में इसे लगाकर घर की शोभा बढ़ा सकते है।


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