शत्रुओं से बचाये ये उपाय

Kaushik sharma
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         शत्रुओं से बचाये ये उपाय





शत्रुओं से बचाये ये उपाय, shatruon se bachaye ye upai




शत्रुओं से बचाए यदि आपकी की उन्नति या अन्य किसी भी कारण से भयभीत या चिंतित है यह उपाय जहाँ आपका धन सुरक्षित करेगा, वहीं आपकी हमेशा रक्षा भी करेगा। वर्तमान समय व कालानुसार ईष्ष्याग्रस्त होकर कुछ उसके अपने ही उसके शत्रु बन जाते हैं और उसे सहयोग देने के स्थान पर वे ही उसकी उन्नति के मार्ग को अवरुद्ध करने लग जाते हैं, ऐसे शत्रुओं से निपटना अत्यधिक कठिन होता है। ऐसी ही परिस्थितियों से निपटने के लिए प्रांतःकाल सात बार हनुमानू बाण का पाठ करें तथा हनुमानू जी को लड़ू का भोग लगाएँ और पाँच लौंग पूजा स्थान में देशी कर्पूर के साथ जलाएँ। फिर भस्म से तिलक करके बाहर जाएँ। यह प्रयोग आपके जीवन के समस्त शत्रुओं को परास्त करने में सक्षम होगा, वहीं इस यंत्र के माध्यम से आप अपनी मनोकामनाओं की भी पूर्ति करने में सक्षम होंगे, निश्चय ही यह प्रयोग आपके जीवन के लिए अत्यन्त अनुकूलता प्रदान करने वाला सिद्ध होगा। कच्ची घानी के तेल के दीपक में लौंग डालकर हनुमानजी की आरती करें। अनिष्ट दूर होगा और धन भी प्राप्त होगा। ये उपाय हनुमान जयंती या कार्तिक मास के मंगलवार या किसी भी मंगलवार को कर सकते है। हनुमान जी को नारंगी सिंदूर, लाल चोला चढ़ाकर केशर और लाल चंदन का तिलक लगाएं। संभव हो तो केवड़ा गुलाब और सूर्यमुखी के फूल हनुमान जी को चढ़ाएं। हनुमान जी के मंदिर के ऊपर एक लाल रंग के त्रिकोण पताके में अष्टगंध, रक्तचन्दन और केशर मिश्रित करके जय श्री राम लिखें और मंदिर के ऊपर के बीचों बीच लगा दें।  

यदि शत्रु बलवान हों या शत्रु पर जयलाभ की अभिलाषा हो तो शत्रु नाशक हनुमानजी के इस मंत्र का जाप करें।
 
'पूर्व कपि मुखाय पंचमुख हनुमते टं टं टं टं सकल शत्रु संहारणाय स्वाहा।।'  
 
किस तरह करें जप... 
 
इस मंत्र का हनुमान जयंती के दिन हनुमानजी के मंदिर या चित्र के समक्ष और बाद में नित्य जप करें। हनुमान जी को नारंगी सिंदूर, लाल चोला चढ़ाकर केशर और लाल चंदन का तिलक लगाएं। संभव हो तो केवड़ा गुलाब और सूर्यमुखी के फूल हनुमान जी को चढ़ाएं। हनुमान जी के मंदिर के ऊपर एक लाल रंग के त्रिकोण पताके में अष्टगंध, रक्तचन्दन और केशर मिश्रित करके जय श्री राम लिखें और मंदिर के ऊपर के बीचों बीच लगा दें।  यदि गंभीर संकट या शत्रु से अधिक पीड़ा हो तो हनुमान जयंती से सात दिन में 27 हजार जप करके आठवें दिन रात्रि में सरसों का हवन करें। इसी मंत्र को बोलते हुए स्वाहा के साथ सरसों की आहुतियां दें। इसमें 270 आहुतियां देने पर शत्रु नतमस्तक होगा।  

मन के भय को दूर करने के लिए " ॐ हनुमते रामदूताय नमः " मंत्र जाप भी उत्तम होता है। हनुमानजी की साधना व पूजा के तीन दिन पूर्व से ब्रम्हचर्य और आमिष आहार आदि खान-पान को परहेज करें। स्नान के उपरांत स्वच्छ एवं पवित्र वस्त्रों को पहनकर अनामिका से पिसे हुए रक्तचंदन का तिलक लगाकर शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें। 



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