अस्थमा इलाज कान छिदवाकर
अस्थमा का इलाज कान छिदवाकर या भेदकर जिसे हम सभी संस्कृत में कर्णवेध कहते है। यह एक प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति है जिसमें कान छिदवाकर अस्थमा की बीमारी का इलाज किया जाता है। भारत के वाराणसी में बीएचयू के चिकित्सा विभाग में कान छिदवाकर होता है इसका इलाज।
यहाँ के डॉक्टर्स बताते हैं कि अस्थमा एक बहुत ही आम बीमारी जैसी है जिससे रोगी को बहुत तकलीफ रहती हैं तथा तरह-तरह की दवाओं का इस्तेमाल करने के बाद भी पूर्णरूप से ठीक नहीं हो पाते हैं। आधुनिक युग के चिकित्सा प्रणाली में इस रोग के इलाज के लिए कई तरह की दवाएं और इन्हेलर आदि से इसका इलाज किया जाता है। आयुर्वेद में भी इस रोग का इलाज औषधियों, पंचकर्म आदि के जरिये किया जाता है. इसके अतिरिक्त एक बहुत ही खास चिकित्सा होती है, कर्ण बेधन जिसमें चिकित्सक द्वारा रोगी के कान के बाहरी हिस्से में छिद्र करके उसमें धागा या धातु का छल्ला पहना दिया जाता है, साथ ही उसे कुछ दिनों के लिए खाने पीने का परहेज बताया जाता है. जिससे रोगियों को बहुत लाभ मिलता है तथा उसको दवाओं व तकलीफों से निज़ात भी मिलती है.
आप भी चाहें तो ये विधि अपनाकर दमे की तकलीफ में काफी हदतक आराम ला सकते है। आप चाहे तो वाराणसी न जाकर इसे अपने स्वकीय स्थान में भी करवा सकते है परंतु इसके लिए पूछताछ और गाइडेंस अवश्य लें ताकि कोई गलती न हो। वाराणसी में बीएचयू के चिकित्सा विभाग से इसकी पूर्ण जानकारी लेकर ये काम करें।
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