दमा का तुरंत चमत्कारी इलाज
दमा का तुरंत चमत्कारी इलाज
अस्थमा का रोग वंश रोग यानी माता-पिता से यानी विरासत से होने को भी माना गया है परंतु ऐसा हमेशा से नही होता। अस्थमा यदि विरासत में नही मिला तो ये छाती या शरीर में धूम्रपान या अन्य कारणों से छाती या शरीर में जमा होने वाले कफ व श्लेष्मा, दूषित रक्त या बदहजमी आदि कारणों से छाती पर दबाव तथा शरीर से श्लेष्मा-कफ के बाहर निकलने पर थोड़ा आराम मिलता है। किसी किसी को ज्यादा ठंड लगने की आदत होती है जिसके चलते दवा लेने पर थोड़ा आराम मिलने के बाद फिरसे तकलीफ शुरू हो जाती है। अक्सर ये भी देखा गया है कई लोगों के कमजोर छाती व स्नायविक दुर्बलता के कारण सांस लेने में तकलीफ शुरू हो जाती है। कुछ लोग अपने गरीबी की वजह से इसका समय पर इलाज कर पाने के कारण ये व्येक्ति के लिए ये मालूम करना भी कठिन हो जाता है की उसको असल में हृदय रोग है या फेफड़े का रोग या सिर्फ अस्थमा रोग ही है। दीर्घकालिक धूम्रपान से अस्थमा या हृदय रोग दोनों का होना भी संभव होने लगता है जिससे फेफड़े से सांस नाली द्वारा होते हुए सांस का निकलना या लिए हुए सांस को फेफड़े तक सही तरह न पहुंचने से छाती पर जकड़न जैसा अनुभव होता है। अस्थमा में सुबह ९ से १० बजे के बीच दो चम्मच वासकारिष्ट पीएं तथा रात को चंद्रामृतरस बड़ि का एक टुकड़ा अदरक के रस एवं मधु के साथ चाट चाट कर खाएं। इस बीमारी में फेफड़ों का ठीक से इलाज न होने पर फेफड़ों के कैंसर या संक्रमण आदि की संभावना बढ़ जाती है। इसके लिए फेफड़ों का डिटॉक्स होना भी जरूरी होता है। जिसके लिए गोलमिर्च, लौंग, छोटी इलायची, तेजपत्ता, अदरक, दारचीनी और (chilli pepper ) के चूर्ण को आधा ग्लास साधारण से थोड़ा
ज्यादा गर्म पानी में उबला हुआ निकाल लें और इसमें एक चम्मच मधु और एक चम्मच नींबू का रस डालकर चम्मच से हिलाकर मिला दें। अब आपका दावा तैयार है जिसे फूंक फूंक कर पिये। याद रखें कि अस्थमा में चावल की जगह रोटी खाना ही ज्यादा अच्छा होता है। यदि ये न हो सके तो ऊपर बताए गए उपायों से सांस की तकलीफ, हृदयरोग और फेफड़ों के कैंसर से बचे रह सकते है। प्रतिदिन रात को सोने से पहले थोड़ा पानी पीके सोने पर हार्ट अटैक की संभावना कम होती है इसलिए सोने से पहले अस्थमा या हृदय के रोगी थोड़ा गरम पानी पीकर ही सोएं तथा अर्जुन tablet हमेशा रात को खाएं।
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